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संकट का राजनीतिक समाधान सीरियाई जनता के हितों से अनुकूल
2012-07-20 16:59:12

19 जुलाई को संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद ने ब्रिटेन आदि देशों द्वारा प्रस्तुत सीरियाई सवाल से जुड़े प्रस्ताव मसौदे पर मतदान किया , रुस और चीन ने मतदान में वीटो किया , जिस से यह प्रस्ताव मसौदा पारित नहीं हो पाया । यह चीन व रुस ने अक्तूबर 2011 से लेकर अब तक सीरिया के बारे में संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के प्रस्ताव के मतदान में तीसरी बार वीटा दिया है , कारण है कि यह प्रस्ताव सीरियाई जनता के मूल हितों से बिलकुल अनुकूल ही नहीं , बल्कि सभी सीरियाई पक्षों से हिंसा बंद करने व राजनीतिक समाधान की खोज करने की अंतर्राष्ट्रीय समुदाय की अभिलाषा व चीन के सैद्धांतिक रुख के एकदम खिलाफ भी है , इसलिये चीन ने स्वभावतः इस का विरोध कर दिया है ।

वास्तव में वर्तमान सुरक्षा परिषद की मेज पर सीरिया के बारे में दो प्रस्ताव मसौदे रखे हुए हैं , एक है रुस ने प्रस्तुत किया , दूसरा है ब्रिटेन आदि देशों ने संयुक्त रुप से पेश किया । रुस का प्रस्ताव चीन के रुख से मेल खाता है , जबकि ब्रिटेन आदि देशों द्वारा प्रस्तुत प्रस्ताव में सीरियाई परिस्थिति को अंतर्राष्ट्रीय सुरक्षा व शांति को खतरे में डालने की संज्ञा दी गयी है और संयुक्त राष्ट्र चार्टर के सातवें खंड के आधार पर कार्यवाही करने की मांग की गयी है , साथ ही सीरिया सरकार से दस दिन के भीतर भारी शस्त्रों के प्रयोग को बंद करने समेत सिलसिलेवार जबरदस्त कदम उठाने का अनुरोध भी पेश किया , नहीं तो सीरिया के खिलाफ फौजी हस्तक्षेप समेत दंड दिया जाय़ेगा । इस के अलावा यह एक अत्यंत असंतुलित प्रस्ताव मसौदा भी है , उस में सीरिया सरकार से एक तरफा तौर पर कड़ी मांग पेश की गयी है , जबकि सीरिया के विपक्षी दलों का बहुत कम उल्लेख किया गया है , साथ ही संयुक्त राष्ट्र चार्टर के सातवें खंड का हवाला देते हुए सीरिया के खिलाफ दंड और फौजी हस्तक्षेप करने की धमकी भी दी गयी है । इस से जाहि है कि इस प्रस्ताव मसौदे का उद्देश्य है कि युद्ध विराम के बजाये सीरियाई विपक्षी दलों को हिंसक हमला बोलने के लिये प्रोत्साहन दिया जाये , विशेष दूत अन्नान और संयुक्त सीरियाई मंडल के कार्यों को तो़ड़फोड़ कर सीरिया के खिलाफ दंड , यहां तक कि फौजी हस्तक्षेप किया जाये , ताकि बाशार अल असाद को सत्ता छोड़ने और शासन बदलने पर मजबूर किया जा सके ।

वर्तमान में सीरियाई संकट को जारी हुए 16 महीने हो गये हैं , हिंसक घटना तीव्र से तीव्र रुप ले रही है । चीन हमेशा इस बात का पक्षधर है कि सीरिया के विभिन्न पक्ष हिंसा को बंद करें , सीरियाई जनता के नेतृत्व में सहनशील वार्तालाप और संकट का राजनीतिक समाधान शुरु किया जाये । इस से न सिर्फ हताहत होने वालों और क्षति को कम किया जाता है और युद्धाग्नि पड़ोसी देशों तक फैलने से रोकी जा सकती है , बल्कि युद्ध की समाप्ति के बाद पुनर्निर्माण के लिये बेहतरीन नींड भी डाली जा सकती है । यह सीरियाई जनता के हितों से बिलकुल मेल खाता है ।

चीन इस राजनीतिक समाधान का पक्ष लेता है कि सीरियाई जनता को स्वतंत्र रुप से सीरिया के भाग्य़ का फैसला करने दिया जाये , विदेशों के जबरदस्त समाधान प्रस्ताव को स्वीकार नहीं किया जाये और विदेशी शक्तियों के दखल की इजाजत न दी जाये और विदेशी फौजी हस्तक्षेप से राजी न किया जाये । यह दूसरे देशों के अंदरुनी मामलों में दखल न देने के संयुक्त राष्ट्र चार्टर के सैद्धांतिक निश्चय से बिलकुल मेल खाता है और चीन का हमेशा का मूल सिद्धांत भी है । चीन सीरिया के किसी भी पक्ष का पक्षपात व विरोध नहीं करता । चीन सीरियाई जनता के स्वतंत्र विकल्प का समादर करता है ।

उक्त रुख के मद्देनजर चीन संयुक्त राष्ट्र और अरब लीग के विशेष दूत अन्नान द्वारा सीरिया के समन्वय और इसी संदर्भ में प्रस्तुत छै सूत्रीय प्रस्ताव का समर्तन करता है , विदेशी शक्तियों की सीरियाई विपक्षी दलों को पुरजोर से हथियारबंद व सहायता करने , युद्धाग्नि विस्तृत करने , वार्तालाप को अस्वीकार करने और विशेष दूत अन्नान के समन्वय को भंग करने की कुत्सित कार्यवाहियों का ड़टकर विरोध करता है , विदेशी शक्तियों की सीरियाई राष्ट्रपति की वैधता , पद से इस्तीफा देने और जबरन शासन बदलने की सुनवाई सुनाने की प्रभुत्ववादी हरकत का डटकर विरोध करता है , विदेशी शक्तियों की सीरिया पर राजनीतिक दबाव डालने , आर्थिक प्रतिबंध लगाने , सीरिया को कूटनीतिक तौर पर अलगाव में डालने और फौजी धमकी देने की बेहूदा हरकतों का दृढ़ विरोध करता है ।

इधर दस सालों में पश्चिमी एशिया और उत्तरी अफ्रीका के काफी ज्यादा तथ्यों से साबित कर दिखाया गया है कि गृह युद्ध और बाहरी फौजी दखल से संबंधित देशों के लिये भारी क्षति व अपार परेशानियां उत्पन्न होती हैं , जबकि अंतरविरोध का राजनीतिक समाधान ही स्थानीय जनता के मूल हितों से मेल खाता है और क्षेत्रीय शांति व स्थिरता के लिये लाभदायक भी है ।

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