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चीनी वायु सेना विश्वव्यापी समस्य़ा को सुलझाने में संलग्न
2012-07-18 17:39:20

 सफाया लड़ाकू विमान 20 की प्रयोगात्मक उड़ान भरने के बाद अंतर्राष्ट्रीय समुदाय की निगाहें इसी प्रकार वाले विमान की क्षमता को छोड़कर चीनी विमानन चिकित्सा के विकास और चालकों की सुरक्षा सुनिश्चितता पर भी टिकी हुई हैं । नये आकार वाले हवाई हथियारों के अध्ययन व प्रयोग से अधिभार , अल्पदूरी उड़ान भरने व उतरने , सुपर सोनिक क्रूज और पायलटों की गुणवत्ता और विमानन चिकित्सा से अत्याधिक तकाजा पेश किया गया है । जबकि अत्यंत जटिल भौगोलिक वातावरण और खराब मौसम स्थिति वाले चीन में पायलट पठार में द्रुतगति से प्रविष्ट करने के तुरंत बाद लड़ाई लड़ने में सक्षम होंगे या नहीं , यह विमानन चिकित्सा विकास स्तर के सर्वोच्च मापदंडों में से एक ही नहीं , एक विश्वव्यापी समस्या भी है । वर्तमान में चीनी इंजीनियरिंग अकादमी के विद्वान यू मंग सुन के नेतृत्व में वैज्ञानिक अनुसंधान दल पायलट के लिये द्रुतगति से पठार में प्रविष्ट कर एकदम अनुकूलन मांडल की डिजाइन करने में सफल हो गया है ।

चीनी वायु सेना की हवाई टुकड़ियों को बर्फीले पठार में ट्रेनिंग लेते समय नीचे तापमान , आक्सिजन की कमी और नीचे दबाव आदि विशेष स्थितियों का सामना करना पड़ता है , पायलटों को स्वाभाविक रुप से साधारण लोगों की ही तरह ऊंचाई बीमारी से ग्रस्त हो सकते है , उन्हें खाने पीने , रहने और शारीरिक शक्ति बरकरार रखने में बड़ी दिक्कतें होती हैं । इस विश्वव्यापी समस्या को हल करने के लिये चीनी वैज्ञानिक अनुसंधानकर्ताओं ने सृजनात्मक रुप से मानव ऊतक प्रणाली वातावरण अनुकूलन सिद्धांत पेश कर दिया है ।

जब कि यह परिणाम चीनी इंजीनियरिंग अकादमी के विद्वान , वायु सेना की विमानन चिकित्सा के विशेषज्ञ 80 वर्षीय यू मंग सुन ने तीन महीनों के भीतर चार बार पठार जाकर अपने शरीर का प्रयोग करने के बाद प्राप्त कर लिया है । 

हमारे प्रयोगात्मक परीक्षण से बहुत ज्यादा संग्रहित आंकड़ों से जाहिर है कि पायलट स्वस्थ रुप से वहां जाते हैं और रहते हैं । लेकिन इस स्वास्थ्य के लिये मानव व वातावरण के बीच प्रतिद्वंद्व की पहचान लेना अत्यावश्यक है , पहचान के आधार पर मानव वातावरण का समन्वित रुप से साथ दे सकता है । वास्तव में पठार पर ऊंचाई बीमारी से ग्रस्त होने का सीधा कारण यह है कि पर्यावरण की परिवर्तन गति हमारे शारीरिक अनुकूलन गति से कहीं अधिक तेज है । यदि इन दोनों गतिय़ों को संतुलित बनाया जाये , तो पठार जाने वाले व्यक्ति स्वस्थ होकर ऊचाई बीमारी से मुक्त होते हैं ।

यह परीक्षण बर्फीले पठार के सब से खराब प्राकृतिक वातावरण में किया गया है , यह चीनी वायु सेना ने पठार विमानन चिकित्सा का प्रथम विशाल व सिलसिलेवार वैज्ञानिक प्रयोगात्मक परीक्षण भी है । परीक्षण से सिद्धांत पेश हुआ है , इस सिद्धांत को व्यवहार में अलम में लाने की चर्चा करते हुए वायु सेना के विमानन चिकित्सा अनुसंधान प्रतिष्ठान के प्रधान लो युंग छांन ने परिचय देते हुए कहा इस सिद्धांत के मार्गदर्शन में परीक्षण दल ने पठारीय फौजी चिकित्सा के आक्सिजन के प्रयोग , पठारीय खेल चिकित्सा , पठारीय आहार व पोषण , मनोभूमि के नियंत्रण समेत इन पारम्परिक सिद्धांतों को हल कर दिया है , व्यवस्थित रुप से पायलटों द्वारा पठार जाने से पहले पूर्वअनुकूलन ट्रेनिंग , द्रुतगति से पठार पर प्रवेश कर एकदम अनुकूलन , पठार पर शारीरिक अभ्यास , आहार व पोषण नियंत्रण और मानसिक बोधगम्ता क्षमता बनाये रखने के पांच उपायों की पुष्टि की है , साथ ही पठारीय हवाई रक्षा गारंटी सूचनाकरण , हवाई टुकड़ियों की पठार पर तैनाती व द्रुत अनुकूलन , पठारीय फौजी विमानन चिकित्सा के वैज्ञानिक अनुसंधान व ट्रेनिंग सुनिश्चितता के एकीकरण के तीन नये मांडलों की खोज निकाली है , जिस से हमारी वायु सेना की तीसरी पीढ़ी वाले लड़ाकू विमानों की किस्मों , पठार पर व्यवस्थित रुप से अभ्यास की सुरक्षा के लिये टीकाऊ आधार तैयार हो गया है ।

वास्तव में उड़ान भरने के दौरान विमान की क्षमता और व्यक्ति का तत्व बराबर दोनों बड़े अहम क्षेत्र ही हैं , जबकि हवाई चिकित्सा ने इन दोनों के सार्थक आत्मसात को सुनिश्चित कर दिया है । चीनी लड़ाकू विमान की पायलटों की सुरक्षा गारंटी की क्षमता की चर्चा में यू मंग सुन ने कहा कि चीन ने इसी क्षेत्र में अंतर्राष्ट्रीय समुन्नत स्तर प्राप्त कर लिया है । उन्होंने कहा कि मेरा ख्याल है कि हम विदेशों से कहीं अधिक ताकतवर हैं , हमारा लक्ष्य और अधिक ऊंचा है । मानव में बहुत बड़ी शक्ति निहित है , हम निहित शक्त को बाहर निकाल लेंगे ।

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