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सुपर कोर्ट के अल्टीमेटम से पाक नए प्रधान मंत्री का भविष्य अनिश्चित
2012-07-09 16:24:22

19 जून को पाकिस्तान के सुपर कोर्ट ने अदालत का अवमान करने तथा राष्ट्रपति जरदरी के खिलाफ भ्रष्टाचार मामले की पुनः जांच करने से इनकार करने के नाम पर पूर्व पाक प्रधान मंत्री गिलानी को पद से खारिज कर दिया, इस की जगह सूचना तकनीक मंत्री रजा पेरवेज अशरफ को राष्ट्रीय असेंबली में मतदान के जरिए नए प्रधान मंत्री बनाये गए। लेकिन केवल चंद कुछ दिन बाद सुपर कोर्ट ने फिर अशरफ से मांग की कि वे 12 जुलाई से पहले स्वीटजर्लेंड सरकार से जरदरी के घोटाला मामले की पुनः जांच करने की मांग करने या न करने पर लिखित जवाब दें। अब सुपर कोर्ट की अंतिम चेतावनी का दिन नजदीक आया है, उस का जवाब अशरफ क्या करेंगे, इस पर लोगों का व्यापक ध्यान हो रहा है।

पाक राष्ट्रपति जरदरी का भ्रष्टाचार मामला पिछली शताब्दी के नब्बे दशक में प्रकाश में आया था, उन और उन की बेगम बेनजर भुट्टो पर स्वीटजर्लैंड में बैंक खाते के जरिए 1 करोड़ 20 लाख अमेरिकी डालर की धन राशि धोने का आरोप लगा था। किन्तु 2008 में जरदरी के राष्ट्रपति बनने के बाद स्वीटजर्लैंड ने इस मामले की जांच पर रोक लगायी। पिछले महीने की 19 तारीख को पाक सुपर कोर्ट ने तत्कालीन प्रधान मंत्री गिलानी के खिलाफ अदालत का अवमान करने का फैसला सुनाया और उन्हें पद से खारिज कर दिया, इस का कारण यह था कि गिलानी ने स्वीटजर्लैंड से जरदरी के भ्रष्टाचार मामले की पुनः जांच की मांग करने से इनकार किया। अशरफ के नए प्रधान मंत्री बनने के बाद सुपर कोर्ट ने उन्हीं से भी समान मांग की और उन्हें 12 जुलाई से पहले जवाब देने का निर्देशन दिया।

विश्लेषकों के अनुसार पाक सुपर कोर्ट की इस मांग पर अशरफ के सामने केवल दो विकल्प रहे हैं ,यानी वे या तो स्वीटजर्लैंड को पत्र लिखकर जरदरी मामले की जांच करवाएं, या सुपर कोर्ट की मांग को नकार दें। पहले विकल्प से राष्ट्रपदि जरदरी मुश्किल में फंस पड़ेंगे, जिस से उन के राष्ट्रपति पद खो बैठने की आशंका होगी और पाक पीपुल्स पार्टी की सरकार का पतन होने की संभावना भी होगी, यदि ऐसा हुआ, तो अशरफ का प्रधान मंत्री का पद भी खो जाएगा। दूसरे विकल्प से अशरफ का भाग्य पूर्व प्रधान मंत्री गिलानी की भांति होगा। लोगों का इस पर ध्यान है कि 30 जून को अशरफ ने कहा था कि वे राष्ट्रपति जरदरी के उन्मुक्ति अधिकार का समर्थन करते हैं, अर्थात वे जरदरी मामले की पुनः जांच करने का विरोध करते हैं। राष्ट्रपति जरदरी ने भी स्पष्ट शब्दों में कहा है कि पीपुल्स पार्टी के प्रधान मंत्री स्वीटजर्लैंड को पत्र नहीं लिखेंगे। इन स्थितियों से जाहिर है कि अशरफ द्वारा सुपर कोर्ट की मांग को स्वीकार कर लेने की संभावना बहुत कम है। ऐसे में अगर सुपर कोर्ट अपने फैसले पर कायम रहेगा, तो पीपुल्स पार्टी की सरकार को राष्ट्रीय असेंबली को भंग करना पड़ेगा और समय से पहले संसद का चुनाव कराया जाएगा। अनुमान है कि समय से पहले होने वाले संसद चुनाव में पीपुल्स पार्टी के जीतने की संभावना भी कम है।

जाहिर है कि सुपर कोर्ट की मांग माने या न माने, अशरफ अपने पद पर लम्बे समय के लिए ठहर नहीं सकेंगे और उन का राजनीतिक भविष्य अच्छा नहीं होगा। लोकमत ने पहले ही अंदाज लगाया था कि अशरफ का प्रधान मंत्री का पद अस्थाई होगा, वे महज संक्रमणकारी प्रधान मंत्री होंगे। इस साल 61 वर्षीय अशरफ पर भी भ्रष्टाचार का आरोप है। गिलानी की सरकार में वे जल संसाधन व पावर मंत्री थे, उस समय भी उन्हें सुपर कोर्ट द्वारा पेशी की मांग के कारण इस्तीफा देना पड़ा था। इस के अलावा उन पर ऊर्जा मुद्दे पर कमीशन लेने, तथा रिश्वत से प्राप्त धन से लंदन में संपति खरीदने का आरोप भी था। सुपर कोर्ट फिलहाल इन दो आरोपों पर सुनवाई कर रहा है और मई के माह में इन की जांच करने की मांग भी की थी। पाकिस्तान की सब से बड़ी विपक्षी पार्टी मुस्लिम लीग (नवाज) ने भी अशरफ की यह कह कर निन्दा की कि वे देश का आफत बन जाएंगे। मुस्लिम लीग ने अदालत से अशरफ की जांच करने की बार बार मांग भी की है। और तो और, नए प्रधान मंत्री के पद पर आने के कुछ समय बाद ही अशरफ ने इस्लामबाद के निकट निजी हवाई पट्टी का निर्माण करने का फैसला लिया, इस की अनाप शनाप निन्दा की गयी। पाक विरोधी पार्टी के सांसद ने यहां तक कहा था कि अशरफ खुद जानते हैं कि उन का कार्यकाल दो महीने से अधिक नहीं हो सकता है, इसलिए उन्हों ने देश की कड़ी मेहनत से प्राप्त धन राशि को ऐसे बेहूदा निर्माण में लगाया है।

विश्लेषकों का कहना है कि वर्तमान में पाक विरोधी कैंप राष्ट्रीय असैंबली को भंग करने तथा समय से पहले संसद चुनाव कराने के लिए दबाव डाल रहा है। अशरफ को प्रधान मंत्री के पद पर बिठाने में पीपुल्स पार्टी का यह मकसद है कि आम चुनाव को टाला जाए। जो भी हो, 12 जुलाई तक अशरफ को सुपर कोर्ट की मांग पर जवाब देना पड़ेगा और उन के पद पर भी फैसला होगा।

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