Web  hindi.cri.cn
रमणीक ह्वांगशान
2012-07-09 09:27:53

ह्वांगशान बड़ा खूबसूरत है। इस पर्वत पर जाकर आप इसी की अच्छी से अच्छी तस्वीरें उतार सकते हैं।

आठ साल पहले फोटोग्राफी की एक कक्षा में अध्यापक द्वारा कहे उपर्युक्त वाक्य मेरी याद में हमेशा ताजा रहे हैं और ह्वांगशान पर चढने की मेरी आकांक्षा तभी से बलवती रही है।

पर यह आकांक्षा पूरी करने का अवसर मुझे पिछले वर्ष ही हाथ लगा।

पिछले वर्ष सितंबर की एक दोपहर आनह्वी प्रातं के थुंगलिंग नगर का अपना दौरा पूरा करने के बाद मैं ने वहां से ह्वांगशान शहर तक जाने वाली बस पकड़ी और तीन घंटे के बाद स्वयं को ह्वांगशान की तलहटी में पाया। दूसरी सुबह केबलकार से ह्वांगशान के श्वेतहंस शिखरपर पहुंचने के बाद मैंने निकट स्थित सिंहवन होटल में अपना सामान छोड दिया और कैमरा उठाकर होटल के पीठ-पीछे खड़े सिंहवन को पार कर सिंह शिखर पर चढी। सिंह शिखर को यह नाम उस के रूप के कारण मिला है। यह पूर्व की तरफ सिर उठाए भीमकाय सिंह की तरह अन्य पर्वत-चोटियों को निहारता लगता है। इस की कमर के बीचोंबीच खड़ी तीन मीटर चौड़ी एक लंबोत्तरी चट्टान तीन तरफ से अधर में लटकी हुई है, जिस पर सुरक्षा का कोई भी प्राकृतिक सहारा नहीं है। यहां एक स्तंभ पर छिंगल्यान मंच अंकित है।

छिंगल्यान मंच पर खड़े हो कर आप सुदूर स्थित पर्वत चोटियों की छवि निहार सकते हैं। यहां आप अपनी आंखों के सामने के दृश्यों को क्षण-क्षण बदलता पाएंगे और अपने निकट चीड़ व देवदार के प्राचीन वृक्ष देख सकेंगे। मंच के बाई ओर की एक चोटी पर अकेला खडा शिला-वानर आसपास की रंग-बिरंगी छटा का आनंद उठाता लगता है। इसलिये इस जगह के दृश्य को वानर द्वारा मेघ-सागर का अवलोकन नाम दिया गया। यहां से दाईं ओर देखने पर शिशिन, श्येननी व शांगशंग जैसी उत्तुंग चोटियां बादलों से बातें करती लगती हैं और एक-एक दृश्य परंपरागत चीनी सैली के चित्रों का आभास देता है। शांगशंग व शिशिन के बीच पंक्तिबद्ध खड़ी चट्टानों का अजीबोगरीब आकार ताओपंथियों के चोगे धारण किये सिर पर शिखा बांधे साधुओं की प्रतीति कराता है। दो व्यक्ति बीच में आमने सामने बैठे लगते हैं और उन के बीच खड़ा एकदम समतल सिरे वाला एक प्राचीन चीड़ वृक्ष उन दोनों के बीच सजी मेज का आभास देता है और लोगों को यह कल्पना करने को उकसाता है कि दोनों इस मेज पर शतरंज खेल रहे हैं। बगल में खड़ा प्राचीन पोशाक और टोपी में सजा एक शिला-मानव दोनों हाथों को पीठ-पीछे मोडे उन्हें शतरंज खेलते देखता लगता है। शिशिन पर चढकर आप इस बात का अनुभव कर सकते हैं कि यहां की दो चोटियों के बीच कभी एक शिला-पुल अस्तित्व में रहा होगा और नीचे गहरी घाटियों में झांकने वाले इस पुल पर कई जंगल लटके रहे होंगे।

शिशिन से बाई तरफ एक पगडंडी में उतर कर श्याय्वी नामक घाटी में पहुंचा जा सकता है। यहां भी एक शिला-पुल खड़ा दिखता है और तमाम चोटियां किसी शिला स्तंभ या अंकुराए बांस की तरह नजर आती हैं। पुल पर दक्षिण सागर की दिशा में मौने अठारह अर्हत अंकित है। कद में एक दूसरे से भिन्न इन अर्हतों का रूप भी अलग अलग है। इन में कोई पहाडी चोटी पर खडा है, तो कोई पेड के नीचे मौन बैठा है और कोई छाता लिये हुए है तो कोई लाठी टेकता चलता दिखता है।

ह्वांगशान की क्वांगमिंग चोटी के दृश्य वाकई अनुपम है। इस की भूमि खुली व समतल है और छटा चित्ताकर्षक। 1840 मीटर ऊंची यह चोटी ह्वांगशान की 72 चोटियों में दूसरी सब से ऊंची चोटी है। यहां दक्षिण-पूर्वी चीन का सब से बड़ा पहाडी मौसम-विज्ञान केंद्र स्थापित है। यहां से चारों ओर नजर दौडाने पर अन्य पहाड़ी चोटियां बहुत छोटी मालूम देती है। ह्वांगशान प्राकृतिक पर्यटन क्षेत्र में स्थित क्वांगमिंग छ्येनशान और होहाए नामक स्थानों के बीच खड़ी है। छ्येनशान का प्रतिनिधि-दृश्य य्वीफिन शिखर है और होहाए का सिंह शिखर।

क्वांगमिंग से दक्षिण की ओर पगडंडी के सहारे य्वीफिन तक पहुंच जा सकता है। रास्ते में कभी घाटी में उतरना पडता है तो कभी खतरनाक पुलिन को पार करना, कभी ऊंचे कगार पर खुदी तंग पगडंडी पर चलना पडता है तो कभी ऊंची चट्टानों के बीच से गुजरना होता है। खैर आखिर सौ गज लंबी पथरीली सीढियां चढ कर गंतव्य प्राप्त हो ही जाता है। यों इस रास्ते में पड़ने वाली पगडंडी का फासला तीन किलोमीटर से कुछ ही अधिक है, पर शिखर पर पहुंचकर आप ऊंचे य्वीफिन भवन और स्वागत के लिये तैयार चीड़ वृक्ष देखकर असीम आनंद से भर उठते हैं।

य्वीफान भवन समुद्र तल से 1668 मीटर ऊंची य्वीफिन चोटी पर स्थित है। कहा जाता है कि मिंग राजवंश सम्राट वानली के शासन काल में हुए फुवन नामक भिक्षु ने शानशी प्रांत की ताएश्येन काऊंटी में सपने में सामंत भद्र मंजुश्री को एक शिला आसन पर बैठे देखा और इसीलिये इस चोटी पर इस भवन का निर्माण कर इसे मंजुश्री भवन नाम दिया। आज तक यहां यह कथन प्रचलित है कि मंजुश्री भवन न आना ह्वांगशान पर्वत न आने जैसा है।

ह्वांगशान के कोई 154 वर्गकिलोमीटर क्षेत्रफल में फैले पर्यटन क्षेत्र में सैकड़ों छोटी बडी पहाडी चोटियां ही नहीं है जीबोगरीब चट्टानों भी खडी है।

फिर यहां जगह जगह फैले चीड व देवदार के सुंदर पेड़ों की छटा ह्वांगशान की सुंदरता में चार चांद ही लगाती है। ह्वांगशान पर चारों मौसमों में उमड़ते बादलों की छवि देखते ही बनती है और वर्षा के बाद उभरने वाले दृश्य तो पर्यटकों को निहाल कर देते हैं।(रूपा)

आप की राय लिखें
Radio
Play
सूचनापट्ट
मत सर्वेक्षण
© China Radio International.CRI. All Rights Reserved.
16A Shijingshan Road, Beijing, China. 100040