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भारतीय समकालीन कला प्रदर्शनी ने पेइचिंग में धूम मचाई
2012-07-06 18:04:28

दोस्तो , भारतीय हाईवे नामक समकालीन कला प्रदर्शनी 24 जून से 26 अगस्त तक पेइचिंग के योलुनस कला केंद्र में दर्शायी जाती है , इस प्रदर्शनी में करीब तीस भारतीय कलाकारों के चित्र , नक्कशी और भवन निर्माण आदि कृतियां प्रदर्शित हैं , अधिकतर कलात्मक कृतियों में भारतीय समाज , धर्मों और अमीरों व गरीबों के बीच खाई आदि वास्तविक स्थिति प्रतिबिम्ब हो गयी है , जिस से चीनी दर्शकों के लिये भारतीय समाज को समझने का प्रत्यक्ष व असली झरोखा अदा किया गया है , इस प्रदर्शनी को चीनी दर्शकों की ओर से खूब दाद मिली है ।


कू हाई चुन पेइचिंग टेकनोलाँजी यूनिवर्सिटी में पढ़ती है , उस ने पहली बार भारतीय कलात्मत कृतियों को देख लिया है । हालांकि उसे ज्यादा प्रदर्शित कृतियां समझ में नहीं आती हैं , लेकिन उस ने फिर भी भारतीय संस्कृति में ज्यादा दिलचस्पी दिखायी है । 

विविधतापूर्ण जिंदगी शीर्षक वाले चित्र ने मुझे पर सब से गहरी छाप छोड़ रखी है , जिस में लोगों के बीच जो रिश्ते प्रकट हुए हैं , उस से दर्शक बहुत प्रभावित हुए हैं , मैं भारतीय संस्कृति के बारे में और ज्यादा जानकारी प्राप्त करना चाहती हूं ।

उस ने यह भी कहा कि प्रदर्शनी हांल के बीच जो मेरा भाषण सुनो शीर्षक वाले व्यक्तियों के चित्रों का समूह लटका हुआ है , वह सब से आकर्षित है । यह चित्र समूह छै आयताकार ड्राइंग बोर्डों से गठित है , हरेक ड्राइंग बोर्ड पर भारतीय धार्मिक चित्रण कला से करीब तीन सौ आदमियों की अलग अलग आकृतियां चित्रित हुई हैं , उन की जीवंत मुद्राओं से उन के पृथक स्वभाव की झलक भी देखने को मिलती है । चित्र में चित्रित विभिन्न हैसियतों वाले व्यक्ति मानो सारी दुनिया को अवाक से इस प्राचीन देश के अतीत और आज बता रहे हो । पारम्परिक और आधुनिक वस्तुओं का उस पर गहरा प्रभाव पड़ गया है ।

येनयेन एक विश्वविद्यलय छात्रा भी है । उस का विचार है कि इस प्रदर्शनी ने भारतीय समाज को समझने बुझाने का एक अलग माध्यम प्रदान कर दिया है । 

यह प्रदर्शनी बहुत मजेदार है , जिस में विविधतापूर्ण तौर तरीकों के जरिये विकास , औद्योगीकरण और शहरीकरण की वैज्ञानिक संभ्यतापूर्ण प्रगति अभिव्यक्त करने के साथ साथ अपनी पुरानी धार्मिक सांस्कृतिक झटका भी प्रकट हो गया है । मेरे ख्याल से यह प्रदर्शनी अलग पहलू से भारत को पहचानने का एक बहुत अच्छा मौका ही है , न्यूज रिपोर्टों से ही नहीं , बल्कि उन की समकालीन कलात्मक कृतियों और सांस्कृतिक दृष्टि से भारत के विकास व संस्कृति के बारे में समझना और अधिक बेहतर तरीका भी है ।

चीनी दर्शकों को छोड़कर इस प्रदर्शनी ने काफी ज्यादा विदेशियों को भी आकर्षित कर दिया है । पाकिस्तान का जेमील पहली बार चीन के दौरे पर आया है । उस ने एक पत्रिका में मौजूदा भारतीय कला प्रदर्शनी की खबर पढ़ी , फिर उस ने इस प्रदर्शनी को अपनी चीन यात्रा का प्रथम पड़ाव बना दिया । 

यह प्रदर्शनी बहुत बढ़िया है , मजेदार है , प्रदर्शित कलात्मक कृतियां परवान चढने वाले कलाकारों ने रची हैं । मुझे मल्टीमीडिया अभिव्यक्त प्रारुप ज्यादा पसंद है , डिजिटल तकनीक और वीडियो का प्रयोग भी किया गया है , मुझे लगा है कि इस प्रदर्शनी के संपूर्ण तैयारी काम ने बड़ी तादाद में दर्शकों को अपनी ओर खिंच लिया है । संक्षेप में कहा जाये , प्रदर्शनी अपना विशेष स्थान बना लेती है , देखने लायक है , मेरी कल्पना से परे है । क्योंकि मैं पाकिस्तान से आया हूं , चीन के दौरे पर सब से पहले इसी प्रदर्शनी को देखने आया हूं ।

थ्येन फी यू योलुनस कला केंद्र के प्रभारी हैं और इस प्रदर्शनी का संयोजक भी हैं । उन्होंने कहा कि वे चीन भारत कलाओं का आदान प्रदान करने में पुल की भूमिका पर बहुत खुश हैं , जबकि यह प्रदर्शनी एक शुभारम्भ मात्र ही है ।

क्योंकि यह एक बहुत दिलचस्प काम है , और तो और चीन में आज तक भी इतने संपूर्ण रुप से भारत की समकालीन प्रदर्शनी नहीं लगी है , साथ ही यह एक अलग प्रकार वाला सहयोग भी है , इसलिये हम ने यह प्रदर्शनी लगाने का फैसला कर लिया है ।

फिलिप तिनारी भारत के प्रसिद्ध चित्रकार हैं , इस प्रदर्शनी में भाग लेने आये कलाकारों में बहुत ज्यादा उन के मित्र हैं , चीन में चार दिन ठहरने के दौरान वे दो बार यह प्रदर्शनी देखने गये , जब उन्होंने देखा कि चीनी दर्शकों ने भारतीय कलाकारों की कृतियों को इतना पसंद किया है , तो उन्हे बेहद खुशी व गर्व है। 

यह एक बहुत अच्छी प्रदर्शनी है , आधुनिक भारत का प्रतिनिधित्व करती है । बेशक , मुझे ये कृतियां बहुत पसंद हैं , क्योंकि वे मेरी मातृभूमि से आयी हैं । ये कलाकार मुझ से जवान हैं , उन की सोच और आविष्कार उपाय अधिक समुन्नत है , वे भारत का प्रतिनिधित्व करते हैं , जबकि ये कृतियां भारत के बारे में उन की धारणा का प्रतिनिधित्व भी कर लेती हैं ।

कुछ दर्शकों का कहना है कि आवाजाही बढ़ने के साथ साथ चीनी लोग कदम ब कदम भारत की जीवंत शक्तियां व आविष्कृत संस्कृति समझ लेंगे , कला इन दोनों बड़े देशों की जनता का दिल एक दूसरे के नजदीक ला रही है ।

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