अमरीकी विदेश मंत्री हिलेरी क्लिंगटन ने तीन जुलाई को घोषित किया है कि पाकिस्तान अफगानिस्तान स्थित नाटो की टुकड़ियों के लिये सप्लाई लाइन खोलने पर राजी हो गया है , इस से अमरीका व पाकिस्तान के बीच सात माह से चले आये राजनयिक गतिरोध तोड़ा गया है । विश्लेषकों का कहना है कि अमरीका व पाकिस्तान के बीच संपन्न सुलह समझौते का अर्थ यह है कि दोनों पक्ष एक दूसरे की रणनीति में अपरिहार्य भूमिका निभाते हैं , हालांकि सप्लाई लाइन फिर से खुल गयी है , पर दोनों देशों के संबंध में पिघलने के लिये समय की जरुरत भी है ।
गत नवम्बर में अमरीका के नेतृत्व में नाटो टुकड़ियों ने पाकिस्तानी चौकी पर हुए हवाई हमले में 20 से ज्यादा पाकिस्तानी सैनिक घायल हुए और अमरीकी पाक संबंध में भारी गिरावट आयी , अमरीका ने इस हमले को दुर्घटना कहकर माफी मांगने से इनकार किया । जबकि पाकिस्तान ने इस का बदला लेने के लिये अपने रास्ते के जरिये अफगानिस्तान स्थित नाटो टुकड़ियों को भेजे जाने वाले सामानों की सप्लाई लाइन को बंद कर दिया । फिर इस के कई माहों से जारी रस्साकशी वार्ता से अमरीका पाकिस्तान संबंध को बड़ी क्षति पहुंची । गत मई में शिकागो में आयोजित नाटो शिखर सम्मेलन में पाकिस्तान को अंतिम सैकंड में निमंत्रण मिला , लेकिन ओबामा ने पाक राष्ट्रपति जरदारी के साथ द्विपक्षीय वार्ता करने का बंदोबस्त भी नहीं किया , सिर्फ तकनीकी मुलाकात के मौके पर जरदारी से मामली सी बातचीत की ।
अमरीका व पाकिस्तान के बीच तीन जुलाई को हाथ मिलाकर सुलह हो गयी है । अमरीकी विदेश मंत्री हिलेरी ने कहा कि उन्होंने उसी दिन पाक विदेश मंत्री खर के साथ टेलीफोन पर बात की और पाकिस्तानी चौकी पर अमरीकी हवाई हमले पर बड़ा खेद जताया , पाकिस्तानी सैनिकों को हुई क्षति से माफी मांगी और मारे गये सैनिकों के परिजनों के प्रति ईमानदारी से संवेदना व्यक्त की । अमरीका ने पाकिस्तान व अफगानिस्तान के साथ घनिष्ट सहयोग करने का वचन भी दिया है , ताकि ऐसी दुर्घटना की पुनरावृति से बच जाये । जबकि पाकिस्तान ने अपने रास्ते से अफगानिस्तान स्थित नाटो टुकड़ियों को सप्लाई लाइन फिर से खोलने और नाटो से संबंधित सीमाशुल्क न वसूलने पर रजामंदी भी जतायी । हिलेरी ने कहा कि अमरीका पाकिस्तान की प्रादेशिक प्रभुसत्ता का समादर करता है और समान हितों व आपसी सम्मान के आधार पर साथ मिलकर प्रयास करने को तैयार है । हिलेरी ने अपने वक्तव्य में कहा कि आतंकवादी खतरा पाकिस्तान व अमरीका के सामने मौजूद समान दुश्मन है , दोनों पक्षों ने एक ही स्वर में साथ मिलकर आतंकवादी खतरे का मुकाबला करने पर जोर दिया ।
हिलारी और खर के बीच टेलीफोन पर बात के बाद पाक चौकी पर हवाई हमले को लेकर अमरीका व पाकिस्तान के बीच उत्पन्न राजनयिक संकट अस्थायी तौर पर समाप्त हो गया है । सात माह से चले आये राजनयिक विवाद के बाद दोनों देश आखिरकार एक दूसरे के नजदीक आ गये हैं , जिस से दोनों पक्षों का संबंध टूटने से बच गया ।
अमरीका के लिये पाकिस्तानी थलीय सप्लाई लाइन योजनानुसार अफगानिस्तान से सेना हटाने की नाटो की महत्वपूर्ण गारंटी ही नहीं , बल्कि अमरीका के नेतृत्व में अफगानिस्तान में तैनात नाटो टुकड़ियों द्वारा तालिबान पर डालने वाले दबाव को बनाये रखने की अहम सुनिश्चितता भी है ।
जबकि पाकिस्तान के लिये अमरीका का समर्थन पाना भी निहायत जरुरी है । सर्वप्रथम आर्थिक दृष्टि से पाकिस्तान को अमरीका की सहायता की जरुरत है । अमरीकी प्रतिनिधि सभा ने गत अप्रैल में पारित 2013 वार्षिक राष्ट्रीय रक्षा विधेयक में पाकिस्तान सहायता धारा पर स्पष्टतः कह दिया है कि सप्लाई लाइन के फिर से खुलने को पूर्वशर्त बनायी जायेगी । वर्तमान में पाकिस्तानी सामाजिक व्यवस्था उथल पुथल है , वित्तीय घाटे में तेज वृद्धि हुई है , मुद्रास्फीति से आर्थिक वृद्धि वातावरण में बिगाड़ आयी है । जबकि बाहरी सहायता या अंतर्राष्ट्रीय संगठनों की सहायता ऋण की कमी से वित्तीय कठिनाइयां और बढ़ गयी हैं , इसलिये अमरीका की सहायता पाकिस्तान के लिये निहायत जरूरी है । इस के साथ ही अंतर्राष्ट्रीय मामलात में पाकिस्तान को अमरीका इस संश्रयकारी की सख्त जरुरत भी है । खासकर इधर सालों में भारत अमरीका संबंध के तेज विकास की हातल में पाकिस्तान स्वभावतः दक्षिण एशियाई महा द्वीप में हाशिये पर रहने को तैयार भी नहीं है । इस के अलावा आतंक विरोधी संघर्ष और अफगान स्थिरता की हिफाजत अमरीका को ही नहीं , पाकिस्तान को भी चाहिये । पाकिस्तान आतंकवाद का शिकार है , वह आतंकवाद व उग्रवाद के विस्तार से उत्पन्न नुकसान को अच्छी तरह जानता है , साथ ही अफगानिस्तान के महत्वपूर्ण निकट पड़ोसी की हैसियत से पाकिस्तान अफगान परिस्थिति पर बेहद चिन्तित है । इसलिये समान लक्ष्य़ के मद्देनजर पाकिस्तान अमरीका के साथ संबंध को पूरी तरह बिगाड़ना भी नहीं चाहता ।
हालांकि दोनों पक्षों का संबंध सुधरने लगा है , पर संबंधित विशेषज्ञों का कहना है कि पाकिस्तान व अमरीका दोनों देश खीचतान वाला आपसी निर्भर संबंध जारी रखेंगे ।