दोस्तो, चांगसू का इतिहास बहुत पुराना है। अनुमान है कोई पांच हजार साल पहले ही मानव यहां अपना घर बसाने के साथ एक शानदार संस्कृति का सृजन करने लगा था। यहां सुरक्षित असंख्य ऐतिहासिक अवशेष इस का प्रमाण हैं।
चांगसू की संस्कृति प्राचीन समय से ही विकसित रही है। यह हरेक युग में अनेक प्रतिभाशाली व्यक्तियों को जन्म देता रहा है, जिन में मशहूर साहित्यकार, वैज्ञानिक और कलाकार शामिल रहे हैं। कुछ इसी कारण इसे एक अरसे से प्रतिभाओं का जमघट कहा जाता रहा है।
यहां पर्यटन करने आये कई प्राचीन मशहूर कवियों के इस के रमणीक दृश्यों पर मोहित होकर कविताएं लिखने का भी उल्लेख है, इन में से बहुत ही कविताओं के अमर हो जाने से चांगसू की रमणीकता का यश भी अनंत हो गया लगता है।
चांगसू में सुन्दर प्राकृतिक दृश्यों की भरमार है, फिर यहां जगह-जगह ऐतिहासिक अवशेष खडे हैं। छांगच्यांग नदी इसे बीच से काटती हुई बहती है और पुरानी महानहर दक्षिण से उत्तर की ओर गुजर जाती है। इस की मैदानी भूमि सब से अधिक मनोहर है। उदाहरण के लिये नानचिंग के छै राजवंशों की पत्थरतराशी, सूचओ के उद्यान, ऊशी की थाएहू झील, चनचांग के मठ-मंदिर, ईशीन की कंदराएं, ल्येनयुनकांग बंदरगाह का समुद्री स्वर्ग, यांगचओ के स्वे राजवंश और थांग राजवंश के अवशेष और श्वीचओ के छिन राजवंश और हान राजवंश के खंडहर बड़े दर्शनीय हैं। यों इन के अलावा यहां के छोटे छोटे रंगीन फूलदार पत्थर, प्राचीन शैली का लाल मिट्टी के बर्तन और देश-विदेश में मशहूर जरबफ्त भी पर्यटकों को आकृष्ट करते हैं। चांगसू के मनोहारी स्थानों और दृश्यों में सब से मशहूर सूचओ के उद्यान ही हैं। उन्हं संयुक्त राष्ट्र संघ के शिक्षा-विज्ञान-संस्कृति संगठन से विश्व की विरासतों की सूची में दर्ज होने का सौभाग्य भी मिल चुका है।
छांगच्यांग के दक्षिण में स्थित उद्यान दुनिया भर में बेजोड़ माने जाते हैं और सूचओ के उद्यान इन उद्यानों में सर्वश्रेष्ठ। इन में हांगलांग मंडप, सिंह वन, त्सोचन उद्यान और ल्यूय्वान उद्यान इन के प्रतिनिधि कहे जा सकते हैं। ये सुंग, य्वान, मिंग और छिंग राजवंशों की उद्यान निर्माण शैली के नमूने हैं और सूचओ के चार मशहूर उद्यान भी कहलाते हैं। जाहिर है इन चारों की अपनी अपनी विशेषता है। मसलन छांगलांग मंडप का बहुत शांत वातावरण प्राचीन सादगी से भरा है, सिंह वन पर्वतों की भूल-भुलैयों के लिये मशहूर हैं तो त्सोचन उद्यान घने पेड़ों, तालाब और सुंदर मंडपों और गृहों के कारण अपूर्व लगता है और ल्यूय्वान की इमारतों और दृश्यों के नमूने बहुत अनोखे और प्रामाणिक लगते हैं।
अनगिनत खूबसूरत दृश्यों ने चांगसू को पर्यटन विकास की अच्छी स्थिति प्रदान की है। चीन ने पर्यटन-वर्ष के दौरान प्रांत ने पर्यटन व्यवसाय को आर्थिक विकास से जोडकर उस का अभूतपूर्व विकास करने के प्रयास किये।
यांगचओ चांगसू प्रांत का एक मशहूर शहर है। चांगसू प्रांत के मध्य भाग में स्थित यांगचओ कोई 2400 वर्ष पुराना ऐतिहासिक व सांस्कृतिक शहर है। स्वे राजवंश सम्राट यांग द्वारा प्रसिद्ध नहर खुदवाने के समय से ही यांगचओ सुंदर जेड की अपनी कलात्मक वस्तुओं के लिये विख्यात रहा है, फिर इस की चहल-पहल से अनेक व्यापारी भी आकृष्ट होते रहे हैं। थांग राजवंश को यांगचओ के विकास का स्वर्ण काल माना जाता है। तक यह अपनी रमणनीक प्राकृतिक छवि, विकसित यातायात परिवहन, आर्थिक समृद्धि और सांस्कृतिक विभूतियों के कारण चीन में सर्वोपरि था। यांगचओ वह विशिष्ट शहर भी रहा जिस का अनेक थांग राजवंशी कवि ली पाए समेत अन्य कवियों ने वसंत में यांगचओ के भ्रमण के दौरान उस की प्रशंसा में अनेक कविताएं कीं। छिंग राजवंश के सम्राटों खांग शी और छ्येन लुंग ने भी दक्षिणी चीन के भ्रमण के वक्त यहां से गुजरते हुए अनेक बार इस की प्रशंसा की थी। वर्ष की शुरूआत में हल्की वासंती बयार बहने के साथ नदियों-झीलों के किनारे खड़े विलो वृक्षों की डालें लगती है और यांगचओ में पर्यटन का मौसम शुरू हो जाता है।
कुछ समय पहले इस प्राचीन शहर के उत्तरी उपनगर में एक नया पर्यटन मार्ग खोला गया जिस ने बड़ी संख्या में देशी-विदेशी पर्यटकों को आकृष्ट किया। छिंग राजवंश के सातवें सम्राट छ्येन लुंग ने कभी इस मार्ग से दक्षिणी चीन की यात्रा की थी। आज पर्यटक इस के सहारे प्राचीन समय में निर्मित शलीपीपो जैस चौबीस रमणीक दृश्यों की यात्रा कर सकते हैं और इस दौरान चीन की विख्यात महानगर के दोनों तटों पर खड़े विलो वृक्षों व फूलों और मण्डपों-मीनारों का आनंद उठा सकते हैं।
अब यह पर्यटन मार्ग यांगच्ओ द्वारा देशी-विदेशी पर्यटकों के लिये निर्धारित विशेष दर्शनीय प्राकृतिक दृश्यों, स्थानीय रीति-रिवाजों और दर्जनों पर्यटन मार्गों में शामिल किया जा चुका है। प्राचीन सम्राटों के पद चिन्हों का अनुकरण, मुस्लिम संस्कृति का अंवेषण, प्राचीन महानहर की सैर और फूलों व सजावटी गमलों के अवलोकन भ्रमण के अलावा हाल ही में आयोजित जेड अवलोकन यात्रा पर्यटकों में जैसी लोकप्रिय है, सो अलग।
चीन के भव्य इतिहास ने यांगचओ के लिये अनेक दुर्लभ धरोहरें छोड़ीं। इस शहर के कोने कोने में बिखरे प्राचीन उद्यानों, मठों-मंदिरों, मण्डपों व मीनारों में अनेक सम्राटों के पदचिंह पडे। आज ये सभी स्थान इस के अमूल्य पर्यटन स्रोत है। हाल के कुछ वर्षों में यांगचओ ने इन प्राचीन ऐतिहासिक वास्तुओं के जीर्णोद्धार पर भारी पूंजी खर्च की। इन उद्धारित वास्तुओं में दक्षिण व उत्तर राजवंश का तामिंग मंदिर, स्वे राजवंश के सम्राट यांग ती का भुलभुलैया महल और थांग राजवंशी यांगचओ का अवशेष स्थल शामिल रहे। आज पर्यटक जब राष्ट्रीय पर्यटन स्थल की मान्यता प्राप्त शांत व प्राचीन शूकांग-सोशी झील में दाखिल होते हैं तो उन्हें वह एक विशाल प्राकृतिक संग्रहालय नजर आती है और वे उस में चीन की तीन हजार वर्ष पुरानी संस्कृति के दर्शन करना चाहते हैं।
यांगचओ की ह्वाएयांग व्यंजन व्यवस्था चीन की चार मशहूर व्यंजन व्यवस्थाओं में से एक गिनी जाती है। इस का इतिहास खासा पुराना है। आज यह राष्ट्रीय भोज समारोहों व चीनी नेताओं द्वारा विदेशी मेहमानों के सत्कार में प्रमुखता लिये हुए है। इधर यांगचओ के बावर्चियों ने अपनी शानदार पाक कला के आधार पर परंपरा व आधुनिकता के मेल से इस शहर का अपना विशेष भोज विकसित किया है जिस ने ह्वाएयांग व्यंजन व्यवस्था को और विशिष्ट बना दिया है।
यांगचओ की दस्तकारी भी बड़ी मशहूर है। इस क्रम में यहां के वार्निश-पात्र, जेड की वस्तुएं, पेपाकट और रेशमी फूल विशेष रूप से उल्लेखनीय है। यो यांगचओ के नमकीन साग, लसलसी मिश्री, खिलौने व केकडे जैसे स्मृति चिंह भी पर्यटकों के बीच काफी लोकप्रिय है।