24 जून 2012 को चीनी अंतरिक्ष यान थ्येनकुंग नम्बर एक और शनचो नम्बर नौ की अंतरिक्ष कक्षा में हस्त नियंत्रण से सफल डॉकिंग हुई। यह सफलता इस बात का प्रतीक है कि चीन विश्व का ऐसा तीसरा देश बन गया है, जिसने दो अंतरिक्ष यानों को अंतरिक्ष में स्वचालित रूप से एवं हस्त नियंत्रण से एक दूसरे से जोड़ने की तकनीकों पर महारत हासिल की है।
वर्तमान अंतरिक्ष तकनीकी विकास की दृष्टि से देखा जाए, तो अंतरिक्ष स्टेशन अंतरिक्ष में संसाधनों के विकास के लिए आदर्श प्लेटफार्म है, अंतरिक्ष स्टेशन की स्थापना के बाद अंतरिक्ष यात्री अंतरिक्ष में जाने और धरती पर लौटने में समर्थ होंगे और अंतरिक्ष यान से अंतरिक्ष यात्री व आवश्यक सामग्री को स्टेशन में पहुंचाया जा सकता है। इस काम के लिए अंतरिक्ष यान को अंतरिक्ष स्टेशन से जोड़ने की डॉकिंग तकनीक अनिवार्य और कुंजीभूत है, इस तकनीक पर महारत हासिल करने के बाद अंतरिक्ष स्टेशन की स्थापना के लिए आधार तैयार हो गया है।
लेकिन अंतरिक्ष में यानों की डॉकिंग तकनीक अत्यन्त जटिल और मुश्किल है। अब तक दुनिया में सिर्फ अमेरिका, पूर्व सोवियत संघ यानी आज के रूस तथा चीन तीनों देशों ने इस पर अधिकार कर लिया है। यूरोपीय अंतरिक्ष यान के इंटरनेशनल अंतरिक्ष स्टेशन के साथ जोड़ने का काम रूस की तकनीक पर संभव है और जापान ने इस काम के लिए अमेरिका की तकनीक का इस्तेमाल किया।
वर्तमान में अंतरिक्ष यानों की डॉकिंग के लिए दो प्रकार की तकनीकों का इस्तेमाल होता है यानी स्वचालित रूप से और हस्त कंट्रोल से । दोनों की अपनी अपनी श्रेष्ठता है।
स्वचालित डॉकिंग का काम सरल और सटीक है, इसकेलिए जीवन गारंटी सिस्टम और अंतरिक्ष यात्री की सुरक्षा की समस्या नहीं है, जो मानव रहित यान के लिए उपयोगी है, लेकिन इस के उपकरण पैचीदा है और समस्या उभरने पर समय रहते समाधान मुश्किल है।
हस्त नियंत्रण से डॉकिंग की विशेषता यह है कि वह सरल, लचीला और सफलता की दर ऊंची है, तकनीकी बाधा पनपने के समय अंतरिक्ष यात्री खुद हल कर सकते हैं और समय व ईंधन की बचत भी होती है। लेकिन इसके लिए अंतरिक्ष यात्री का यह तकाजा है कि वे कंट्रोल तकनीक में पारंगत हो और ज्यादा मेहनत की आवश्यकता हो और अंतरिक्ष में वातावरण से प्रभावित हो।
विश्व के अंतरिक्ष यात्रा इतिहास में अमेरिका ने मुख्यतः हस्त कंट्रोल का सहारा ले लिया, पूर्व सोवियत और रूस ने स्वचालित नियंत्रण का इस्तेमाल किया । दोनों देशों को इस काम में विफलता का मुंह भी देखना पड़ा, क्योंकि शुरूआती काल में साज सामान और उपकरण की क्वालिटी उतरनी ऊंची नहीं थी। भावी अंतरिक्ष यानों की डॉकिंग में मुख्य तौर पर स्वचालित कंट्रोल काम में आएगा, हस्त नियंत्रण सहायक होगा। इस तरह डॉकिंग की सफलता की गारंटी होगी। इसलिए अंतरिक्ष यानों की डॉकिंग के लिए स्वचालित व हस्तनियंत्रण दोनों तकनीकों की जरूरत होती है।
किन्तु हस्त रूप से अंतरिक्ष यानों को जो़ड़ देने में अंतरिक्ष यात्री का ऊँचा तकनीकी तकाजा है। क्योंकि अंतरिक्ष में तेज गति से उड़ने वाले दो यानों को नियंत्रित करना और उन की सटीक डॉकिंग करना एक अत्यन्त जटिल और कठिन काम है। इसे सफल बनाने के लिए अंतरिक्ष यात्री की आंखों व हाथों के संतुलित काम, उपकरण चलाने की सुक्ष्मता और मनोवैज्ञानिक स्थायित्व की कड़ी कटौती होती है। इस के अलावा अंतरिक्ष यात्री को हैंडल चलाते हुए दोनों यानों की सापेक्ष गति व स्थिति को सुधारना चाहिए, इस काम के लिए तकनीकी सुक्ष्मता और सूचनाओं का सही समाधान करने की ऊंची क्षमता जरूरी है, साथ ही निश्चित समय के भीतर ड़ॉकिंग का काम पूरा करना है, इसलिए अंतरिक्ष यात्री का अच्छा मनोबल होना भी जरूरी है।
चीन के थ्येनकुंग एक और शनचो नौ की हस्त नियंत्रण से डॉकिंग का काम अंतरिक्ष यात्री ल्यू श्यांग ने पूरा किया, उन्हों ने विभिन्न कठिनाइयों को दूरकर सफलतापूर्वक यह काम पूरा किया। इस की सफलता के लिए ल्यू श्यांग ने धरती पर 1500 बार संबंधित ट्रेनिंग ले ली थीं और हर पूर्वाभ्यास में उन्हों ने अच्छी तकनीकी क्षमता और श्रेष्ठ मनोबल का परिचय किया था। उन की मदद के लिए अन्य दो अंतरिक्ष यात्रियों ने भी हस्त नियंत्रण की तकनीकें सीखीं, तीनों अंतरिक्ष यात्रियों के अच्छे सहयोग से चीनी अंतरिक्ष यानों की प्रथम डॉकिंग का काम सफलतापूर्वक पूरा किया गया है।
अंतरिक्ष यानों की सफल डॉकिंग ने 2020 में चीनी अंतरिक्ष स्टेशन की स्थापना के लिए मजबूत आधार तैयार किया है। इसके अलावा चीनी अंतरिक्ष यात्रियों को अंतरिक्ष यान चलाने का अनुभव भी प्राप्त हुआ है, जिस से शनचो अंतरिक्ष यान की उड़ान की सुरक्षा के लिए तकनीकी गारंटी मिली है।