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चीन की स्थिर अर्थव्यवस्था दूसरे देशों की बाहरी सहायता
2012-06-20 17:03:39

जी बीस समूह का दो दिवसीय शिखर सम्मेलन 19 जून को मैक्सिको में संपन्न हुआ । सम्मेलन के दौरान विभिन्न पक्षों ने विश्व आर्थिक परिस्थितियों , अंतर्राष्ट्रीय वित्तीय प्रणाली , विकास , व्यापार और रोजगार मामलों समेत सभी मुद्दों पर विचारों का आदान प्रदान कर मतैक्य प्राप्त कर लिया और कार्य कार्यक्रम भी निर्धारित कर दिया . सम्मेलन का मानना है कि अंतर्राष्ट्रीय समुदाय के लिये यह जरुरी है कि एकजुट होकर वित्तीय संकट , रोजगार , गरीबी व वातावरण आदि सवालों व चुनौतियों का समान रुप से मुकाबला किया जाये और विश्व अर्थव्यवस्था के जबरदस्त , सतत व संतुलित विकास को बढावा दिया जाये । ध्यान देने की बात यह है कि सम्मेलन के दौरान चीन ने विश्व का दूसरा बड़ा आर्थिक समुदाय होने के नाते रचनात्मक सहयोग का साझेदार रवैया अपनाते हुए जो अपना विचार व कार्यसूची पेश की है , उन्हें सम्मेलन में उपस्थित नेताओं व अंतर्राष्ट्रीय लोकमत की ओर से प्रशंसा मिली है ।

चीनी राष्ट्राध्यक्ष हू चिन थाओ ने सम्मेलन के दौरान बताया है कि ऐसी पृष्ठभूमि में , जबकि वर्तमान विश्व आर्थिक पुनरुत्थान बरकरार होने के चलते अस्थिर व अनिश्चित तत्व फिर भी मौजूद हैं , आर्थिक व सामाजिक स्थिरता व विकास बनाये रखना आवश्यक है , साथ ही स्थिरता में प्रगति करने , नये आयाम की खोज करने , नये कदम उठाने और नये मामलों से निपटने की जरुरत भी है , इन मामलों को ध्यान में रखकर उन्होंने चार प्रस्ताव प्रस्तुत किये हैं । कहा जा सकता है कि इन दृष्टिकोणों व प्रस्तावों ने निरंतर विकास चाहने वाले सदस्य देशों के लिये नयी सोच व सबब प्रदान कर दिया है । इसी बीच राष्ट्राध्यक्ष हू चिन थाओ ने शिखर सम्मेलन में गम्भीरता से वचन दिया है कि चीन आर्थिक विकास फारमूले को बदलने में तेजी लायेगा और अर्थव्यवस्था का स्थिर व काफी तेज विकास बरकरार रखेगा , ताकि दूसरे देशों को संकट से छुटकारा दिलाने और अर्थव्यवस्था के निरंतर विकास को मूर्त रुप देने के लिये बाहरी सहायता दी जा सके ।

विश्व वित्तीय स्थिरता विकास की आवश्यक शर्त ही है । चीन ने अमरीकी डालर पूंजी बढाने से अमरीकी आर्थिक पुनरुत्थान को गति मिली है , चीन यूरोपीय देशों के कर्ज संकट से उबारने में सक्रियता से हाथ बटाता है , जिस से रणनीतिक सहयोग साझेदार की चीन की सदिच्छा अभिव्यक्त हुई है । चीन अपने देश के उपक्रमों को विदेशों में प्रत्यक्ष पूंजी निवेश करने के लिये प्रोत्साहन देता है , जिस से मेजबान देशों को आर्थिक पुनरुत्थान व रोजगार मौके बढाने के लिये तरलता समर्थन दिया गया है । सम्मेलन के दौरान चीन ने अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष संगठन को 43 अरब अमरीकी डालर सहायता देने की घोषणा की है , ताकि विश्व वित्तीय परिस्थिति को स्थिर बनाने और आपात सहायता देने की इस संगठन की क्षमता बड़ी हद तक उन्नत हो सके ।

व्यापार विश्व आर्थिक विकास की प्रमुख पावर शक्ति है । चीन का मानना है कि अंतर्राष्ट्रीय समुदाय को साथ मिलकर दोहा राऊंड वार्ता में प्रगति करना , मुक्त , खुला व न्यायपूर्ण भूमंडलीय व्यापार वातावरण तैयार करना और विविधातापूर्ण व्यापार संरक्षणवादों का विरोध करना चाहिये । इस के साथ ही चीन ने बड़े विश्व व्यपार देश की हैसियत से राष्ट्रीय आर्थिक ढांचे का समायोजन करने में तेजी लाने , घरेलू मांग का विस्तार करने और विश्व अर्थव्यवस्था को सकारात्मक सहायता देने का वचन भी दिया है । चीन व्यापार व पूंजी निवेश के जरिये विश्व आर्थिक वृद्धि की निहित शक्ति को मजबूत बनाने की कोशिश करेगा और व्यापार साझेदार देशों को मुद्रास्फीति दर पर नियंत्रण करने और आर्थिक वृद्धि को बढावा देने के लिये अपना समुचित योगदान देगा ।

इस के अलावा चीन ने अपनी ठोस राष्ट्रीय शक्ति और अंतर्राष्ट्रीय कर्तव्य के आधार पर समाज , वातावरण व आर्थिक विकास आदि क्षेत्रों में अपना तदनुरुप दायित्व निभायेगा और विश्व अर्थव्यवस्था के निरंतर विकास के लिये विश्ववसनीय सहायता देगा , जिस से शांतिपूर्ण विकास , सहयोग विकास तथा समान विकास करने की चीन की छवि पूर्ण रुप से अभिव्यक्त हो गयी है ।

वास्तव में चीन ने दूसरे देशों को संकट से पिंड छुड़ाने और भूमंडलीय आर्थिक पुनरुत्थान करने के लिये जो योगदान दिया है , वह आसानी से नहीं आया है । क्योंकि 2008 के बाद चीनी अर्थव्यस्था को बाहरी झटका भी लगा है । विश्व वित्तीय संकट से सब से पहले पूंजी जंजीर से चीनी अर्थव्यवस्था व वित्तीय संपत्ति बड़ी हद तक सिकुड़ गयी है , इस से आगे बढ़कर माल जंजीर से चीन के विदेश आर्थिक व व्यापारिक गतिविधियों पर कुप्रभाव भी पड़ गया है । लेकिन चीन ने घरेलू व अंतर्राष्ट्रीय परिस्थितियों को मजबूती से काबू में पाकर संकट के झटके का सफल रुप से सामना कर दिया है और आर्थिक मंदी से उबारने और तेज वृद्धि प्रवृति को बनाये रखने में पहल किया है , जिस से वह विश्व आर्थिक पुनरुत्थान व वृद्धि को बढावा देने का प्रमुख पावर शक्ति बन गया है ।

चीन बड़ा विकासमान देश की हैसियत से विश्व के विभिन्न देशों के साथ एकजुट होकर सहयोग बढाने और समान हितों की हिफाजत करने तथा समान विकास को मूर्त रुप देने को कृतसंकल्प है ।

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