14 जून की सुबह सौ से अधिक चीनी नौसेना के अफसरों और सैनिकों ने शांगहाई की यात्रा कर रहे चार भारतीय युद्धपोतों का दौरा किया। दोपहर के बाद सौ से अधिक भारतीय अफसरों और सैनिकों ने मा एन शान नाम के चीनी मिसाइल रक्षक जहाज की यात्रा की। दो पक्षों ने आशा व्यक्त की कि ऐसी आवाजाही निरंतर होने से पारस्परिक समझ और विश्वास बढेगा।
भारतीय शिवालिक मिसाइस ध्वंसक जहाज से वापस आते समय एक चीनी महिला नौसैनिक ने कहा कि मेरे पास और कुछ सवाल बाकी हैं। एक घंटे के दौरे में कुछ साथियों के साथ उन्होंने भारतीय साथियों से कई सवाल पूछे ,जैसे यह इंजन किस धातु से बना है ,इस उपकरण का क्या प्रयोग है ,आप कैसे शिफ्ट में काम करते हैं ।भारतीय सैनिकों ने चीनी मेहमानों के लिए चाय और स्नैक्स तैयार किया । इस दौरान जंगी जहाज पर मैत्री और उत्साह का माहौल छाया रहा ।
बातचीत में कभी कभी भाषा की बाधा आती थी, लेकिन उन की एक दूसरे को जानने की इच्छा काफी प्रबल रही। चीनी जहाज पर भारतीय जवानों ने चीनी मेजबान को बहुत सवाल भी उठाये ,जैसे चीनी जवानों की दिनचर्या कैसी है ,जहाज का फंक्शन कैसा है । एक चीनी जवान ने बताया कि मैं नौसेवा में 18 साल से काम कर रहा हूं । यह पहली बार है कि मैं भारतीय जंगी जहाज पर चढ़ा। लगता है कि भारतीय नौसेना को हमारे साथ आदान प्रदान करने की तीव्र इच्छा है , उनके मन में हमारे लिए सतर्कता अवश्य है। आपसी संपर्क से समझ बढेगी और आदान प्रदान से पारस्परिक विश्वास मजबूत हो। आशा है कि चीन और भारतीय नौसेना अधिक तरीकों से आदान प्रदान और सहयोग करेंगी ,जिस से दो देशों के संबंधों में प्रगाढ़ता आएगी।