दुनिया में क्षेत्रीय सुरक्षा पर महत्व देने की वजह से विभिन्न प्रकार के सुरक्षा संगठन और व्यवस्थाएं प्रकाश में आए हैं। जिनमें से शांगहाई सहयोग संगठन की स्थापना भी हुई, पिछले दस सालों में संगठन के निरंतर विकास के फलस्वरूप अब वह क्षेत्रीय सुरक्षा के लिए एक परिपक्व सुरक्षा व्यवस्था बन गया है। इस संगठन की विशेषता खुली और पारदर्शी है, वह समानता के आधार पर सलाह मशविरे व आपसी लाभ वाले सहयोग के जरिए सभी सदस्य देशों की सुरक्षा और साझा विकास बढ़ाने की कोशिश करता है। जून की 8 से 14 तारीख तक शांगहाई सहयोग संगठन ने ताजिकस्तान में संयुक्त रूप से शांति मिशन—2012 वाला आतंक विरोधी युद्धाभ्यास किया, जिससे लोगों को सुरक्षा के लिए सहयोग के इस नए रूप की असलियत अधिक मालूम हुई।
शांगहाई सहयोग संगठन के इस युद्धाभ्यास से संगठन के सदस्य देशों के बीच सुरक्षा के लिए सहयोग गहरा हुआ और लोगों के सामने सुरक्षा के बारे में शांगहाई सहयोग संगठन की नयी अवधारणा अभिव्यक्त हुई। युद्धाभ्यास में रणनीतिक विचार विमर्श और पहाड़ी क्षेत्र में आतंकियों का दमन करने के रणकौशल जैसे मुद्दे शामिल हैं। रणनीतिक विचार विमर्श संगठन के सदस्य देशों के सेनाध्यक्षों के बीच चला। इस प्रकार के विचार विमर्श ने मध्य एशिया में आतंक विरोधी संघर्ष की स्थिति के बारे में और गहरी समझ व जानकारी मिली, अमेरिका व नाटो के अफगानिस्तान से हट जाने के बाद मध्य एशिया में सुरक्षा की संभावित स्थिति पर अध्ययन किया गया, इस प्रकार के आदान प्रदान से सदस्य देशों में सामरिक मामले पर आपसी विश्वास बढ़ गया। सेनाध्यक्षों के बीच इस प्रकार के आदान प्रदान से संगठन के सदस्य देशों में राष्ट्रीय रक्षा पर सहयोग व आदान प्रदान का और अधिक विस्तार हो गया। इसके अलावा पहाड़ी क्षेत्र में आतंकियों पर प्रहार करने के अभ्यास से शांगहाई सहयोग संगठन की स्थापना के समय निर्धारित लक्ष्य को अमल में लाया गया, शांगहाई सहयोग संगठन का लक्ष्य है आतंकवाद, अलगाववाद और उग्रवाद का दमन करना। युद्धाभ्यास से पहाड़ी क्षेत्र में आतंक पर प्रहार करने की संगठन की शक्ति भी बढ़ गयी और क्षेत्र में आने वाले संभावित आतंकी खतरे को वशीभूत करने की भूमिका अदा की गयी।
मौजूदा युद्धाभ्यास में शांगहाई सहयोग संगठन की अपनी विशेषताएं प्रकट हुई हैं, संगठन की एकता मजबूत हुई। युद्धाभ्यास से जाहिर है कि सदस्य देशों की सेनाओं का स्थान समान है और सभी कार्यवाहियां आपसी सलाह के बाद की गयी हैं। जाहिर है कि शांगहाई सहयोग संगठन किसी एक देश प्रधान सैनिक गुट नहीं है, सदस्य देशों के संयुक्त युद्धाभ्यास संगठन के बाहर किसी भी देश को लक्षित नहीं है। युद्धाभ्यास का उद्देश्य सुरक्षा के प्रति गैर परंपरागत खतरों के खिलाफ है। युद्धाभ्यास से यह भी जाहिर है कि संगठन का मकसद सदस्य देशों में शांति व स्थिरता बनाए रखना है। संगठन ने किसी भी सदस्य देश को अपनी ओर से कार्यवाही करने का मिशन नहीं दिया है। यह इस का द्योतक है कि संगठन की सशस्त्र शक्ति किसी भी सदस्य देश के आंतरिक मामलों में सैनिक हस्तक्षेप नहीं कर सकती। यह विशेषता नाटो से शतप्रतिशत भिन्न है। इसके अलावा शांगहाई सहयोग संगठन के सदस्य देशों की सेनाएं आतंक विरोध व अन्य गैर परंपरागत सुरक्षा क्षेत्र में संयुक्त रूप से सैनिक अभ्यास करती हैं, वह संगठन के बाहर किसी देश में सैनिक हस्तक्षेप नहीं करती, यह भी नाटो से अलग एक विशेषता है। मौजूदा युद्धाभ्यास शांगहाई सहयोग संगठन के पिछले आठ युद्धाभ्यासों का जारी रूप है। इस में आतंक विरोधी अभ्यास की प्रधानता और सुरक्षा के गैर परंपरागत क्षेत्र में संयुक्त युद्धाभ्यास की विशेषता व्यक्त हुई है। शांगहाई सहयोग संगठन के तहत चलने वाले संयुक्त युद्धाभ्यासों, चाहे वह द्विपक्षीय हो या बहुपक्षीय, से यह जाहिर हुआ है कि शांगहाई सहयोग संगठन अन्य क्षेत्रीय सुरक्षा संगठनों से क्षेत्रीय सुरक्षा की रक्षा के फार्मूले पर भिन्न है। इसके अलावा शांगहाई सहयोग संगठन के संयुक्त युद्धाभ्यास का स्तर लगातार उन्नत होता जा रहा है और अभ्यास के विषयों का विस्तार हो रहा है, ये इस का प्रतीक है कि संगठन की एकजुटता और आकर्षण निरंतर बढ़ता जा रहा है।
शांगहाई सहयोग संगठन का क्षेत्रीय सुरक्षा पर प्रभाव लगातार बढ़ता जा रहा है। वर्षों में संगठन के आतंक विरोधी संयुक्त युद्धाभ्यास ने क्षेत्रीय सुरक्षा बनाए रखने में अहम भूमिका निभायी है। संगठन खुले, पारदर्शी और तीसरे पक्ष को लक्षित नहीं करने एवं सैनिक गठबंधन की स्थापना नहीं करने के सिद्धांत पर कायम रहता है, जिससे संगठन में बड़ी जीवन शक्ति का संचार हुआ है। शांगहाई सहयोग संगठन जैसे नयी किस्म के क्षेत्रीय सुरक्षा संगठन के परिपक्व होने के परिणामस्वरूप वह क्षेत्रीय व विश्व शांति व स्थिरता के लिए और बड़ी रचनात्मक भूमिका अदा करेगा।