जून की 11 तारीख को पाक रक्षा मंत्रालय के स्थाई सचिव नरगिस सेठी और पाक की यात्रा पर आए भारतीय रक्षा सचिव शषिकंत शर्मा के बीच रावलपिंडी में सियाचीन ग्लेशियर सवाल पर दो दिवसीय विचार विमर्श चला। विश्लेषकों का मानना है कि यह भारत पाक संबंधों में सुधार आने का एक संकेत है।
11 जून को, भारत और पाकिस्तान दोनों देशों के सैनिक प्रतिनिधियों और विदेश मंत्रालय के अधिकारियों ने भी वार्ता में भाग लिया। स्थानीय मीडिया के अनुसार औपचारिक वार्ता से पहले दोनों रक्षा सचिवों के बीच छोटे दायरे की बातचीत भी हुई, लेकिन अभी तक दोनों पक्षों से वार्ता के बारे में कोई खबर नहीं दी गयी। वार्ता की स्थिति के बारे में भारतीय रक्षा मंत्री ए. के. एंटोनी ने सावधानी का रूख दिखाया और प्रश्न के उत्तर में कहा कि वार्ता में नाटकीय परिणाम निकलने की अपेक्षा नहीं होनी चाहिए। भारत 10 किलोमीटर लम्बी वास्तविक नियंत्रण रेखा की पुष्टि करेगा और इसी के आधार पर अन्य विषयों पर विचार विमर्श करेगा। असल में अब सियाचीन हिमनद की करीब सभी चोटियों पर भारतीय सेना का कब्जा है और वहां उस की सैनिक शक्ति बढ़तर है। विश्लेषकों का कहना है कि भारत इसलिए वास्तविक नियंत्रण रेखा की पुष्टि को पूर्व शर्त मानता है, क्योंकि उसे चिंता है कि कहीं भारतीय सेना के हटने के बाद पाक अचानक रूख बदलकर भारत नियंत्रित भाग पर कब्जा न करे।
सियाचीन ग्लेशियर भारत व पाकिस्तान के लिए विवादास्पद कश्मीर क्षेत्र में स्थित है। वर्ष 1983 में भारतीय सेना ने यहां चौकी बनायी, इसके बाद भारतीय और पाक सेनाओं के बीच अनेक बार सशस्त्र मुठभेड़ें हुईं। वर्ष 2003 में पाक पक्ष ने एकतरफा फायरबंदी का सुझाव दिया। समुद्रतल से 6000 मीटर ऊंची हिमनद पर तैनात होने के कारण दोनों पक्षों के कुल 4000 से अधिक सैनिकों की जानें गंवायी हैं और इस दूरगम स्थल पर तैनाती के कारण दैनिक खर्चा ही लाखों अमेरिकी डालर तक है, इसलिए दोनों पक्ष चाहते हैं कि सियाचीन मामले का समाधान हो, किन्तु राष्ट्रवाद और परस्पर अविश्वास के चलते दोनों पक्षों में से कोई भी आसानी से पीछे हटना नहीं चाहता।
सियाचीन पर दोनों देशों में कई वार्ताएं हुई थीं, अंतिम वार्ता मई 2011 में नई दिल्ली में चली, लेकिन कोई प्रगति नहीं हुई। चालू साल की 7 अप्रैल को ग्लेशियर क्षेत्र में पाक सेना के शिविर के पास भयानह हिमपात हुई, जिससे 140 लोगों की मौत हुई जिन में 124 पाक सैनिक थे। इस दुखांत घटना पर अन्तरराष्ट्रीय जगत का ध्यान आकर्षित हुआ और दोनों देशों को सियाचीन विवाद को नए सिरे से देखने की प्रेरणा मिली। पाक थल सेना के सेनाध्यक्ष युसुफ रजा गिलानी ने घटना स्थल के दौरे पर कहा कि सियाचीन ग्लेशियर का असैनिकीकरण होना चाहिए और इस सवाल के हल के लिए दोनों देशों को वार्ता करना चाहिए। दोनों देशों को अपनी अधिक शक्ति को जन जीवन के सुधार में डालना चाहिए।
विश्लेषकों का कहना है कि भारत और पाकिस्तान के बीच अब फिर से सियाचीन पर विचार विमर्श हुआ, जो इधर के समय में दोनों के संबंधों में सुधार आने का संकेत है। वर्ष 2011 में शांति वार्ता पुनः शुरू होने के बाद, खासकर इस साल के अप्रैल माह में पाक राष्ट्रपति एसिफ अली जरदरी की भारत यात्रा के बाद भारत पाक संबंध सुधार होने की दिशा में तेजी से अग्रसर रहा है, विशेषकर आर्थिक व्यापारिक सहयोग में उल्लेखनीय उपलब्धियां प्राप्त हुईं और दोनों के बीच संबंध सुधार के अनेक आसार दिखे और कई कदम भी उठाए गए। पाकिस्तान इस साल के भीतर भारत को अनुग्रहीत देश का स्थान देने पर राजी हुआ और भारत पाक के भारत में सीधे निवेश पर समहत हो गया। अप्रैल के मध्य में सीमांत वागह पर नयी जांच चौकी स्थापिक हुई और मई के महीने में दोनों देशों के गृह मंत्रालय के सचिवों के बीच आतंक विरोधी सहयोग, मादक तस्करी पर प्रहार तथा विजा में उदारता जैसे सवालों पर चर्चा हुई। पाकिस्तान चाहता है कि भारत से प्राकृतिक गैस व तेल का आयात भी करे। पाक प्रधान मंत्री गिलानी ने 10 जून को कहा कि पाक भारत संबंध अब इतिहास के सब से अच्छे काल में आया है। उन्होंने दोनों देशों के संबंधों में आए सुधार को क्रांतिकारी करार कर दिया।
भारत और पाकिस्तान के एक दूसरे के निकट आने के पीछे गहरी रणनीतिक सोच विचार है। अपने देश की शक्ति तेजी से बढ़ने के कारण भारत का रणनीतिक लक्ष्य दक्षिण एशिया तक सीमित नहीं रहा, वह विश्व के बड़े देश बनने के रास्ते पर अग्रसर रहा है, जिसके लिए एक सुस्थिर पृष्ठभूमि और पास पड़ोस की स्थिरता होने की जरूरत है। दुश्मन के रूप में पाकिस्तान का होना भारत के हित में नहीं है। पाकिस्तान के लिए दस साल तक चले आतंकवाद विरोधी युद्ध के परिणामस्वरूप पाक की शक्ति और संसाधन की काफी खपत हुई, वह नहीं चाहता है कि भारत और अफगानिस्तान दो तरफों से आने वाले खतरे और दबाव से बंधे हो, ऐसे में पाकिस्तना भारत के साथ संबंधों के विकास और अपने पर पड़े दबाव को हल्का करना चाहता है, यह पाक के लिए एक उचित विकल्प है। सियाचीन विवाद दोनों देशों के लिए संवेदनशील सवाल है, इस का समाधान एक अच्छी शुरूआत होगी। इसलिए अब इस के समाधान में सफलता मिलेगी कि नहीं, उस पर सभी का ध्यान गया है।