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अमरीका पाकिस्तान में मानव रहित विमान प्रहार में तेज
2012-06-05 17:17:25

पाकिस्तानी मीडिया की चार जून की रिपोर्ट के अनुसार अमरीकी सेना ने उसी दिन सुबह पाकिस्तान के उत्तर वाजिरिस्तान के कबायली क्षेत्र पर मानव रहित विमान प्रहार कर दिया , जिस से कम से कम 15 लोग मारे गये हैं । यह पिछले तीन दिन में अमरीकी सेना द्वारा पाकिस्तान पर तीसरा मानव रहित विमान हमला है और चालू वर्ष में हुए प्रहार में सब से ज्यादा व्यक्तियों की मृत्यु हुई है । विश्लेषकों का मानना है कि गत तीन दिन में हुए तीन प्रहारों में कुल 27 लोगों की मौत हुई है , जो कि एक नया रिकार्ड है , अमरीकी सेना द्वारा मानव रहित विमान प्रहार में तेजी लाये जाने से पाक जनता हाथ पर हाथ धरे बैठे नहीं रह सकती ।

मीडिया और लोकमत को छोड़कर पाक विदेश मंत्रालय ने चार जून को एक बार फिर अपने वक्तव्य में कड़ा प्रतिरोध व्यक्त किया और मानव रहित विमान हमले पर अपना रुख दोहराते हुए कहा कि यह पाकिस्तान की राजकीय प्रभुसत्ता और प्रादेशिक अखंडता का गैर कानूनी अतिक्रमण है तथा अंतर्राष्ट्रीय कानून मापदंड का उल्लंघन भी है । ध्यान देने योग्य की बात यह है कि अभी तक पाकिस्तान के किसी सर्वोच्च सरकारी अधिकारी ने विशेष तौर पर इसी मामले की टिप्पणी नहीं की । लोकमत का कहना है कि गर्त में पड़ने वाले पाक अमरीका संबंध के सामने पाक नेतृत्वकारी समूह को शब्दों में इस बदतर द्विपक्षीय संबंध की समीक्षा करने में कोई रुचि नहीं है ।

वास्तव में दोनों देशों की सरकारें चुपचाप से पाक अमरीका संबंध को उबारने की कोशिश कर रही हैं । पता चला है कि नाटो की लाँजिस्टिक आपूर्ति लाइन पाक अमरीका संबंध में प्रमुख रुकावट मानी जाती है , दोनों देश इस हफ्ते इसी मामले के समाधान पर मतैक्य प्राप्त करेंगे । इस से पहले पाक राष्ट्रीय सुरक्षा नीति का निर्धारण संभालने वाले मंत्रिमंडल की राष्ट्रीय रक्षा कमेटी सैद्धांतिक तौर पर पाकिस्तान के भीतर नाटो की लाँजिस्टिक आपूर्ति लाइन खोलने पर राजी हो गयी है । लेकिन दोनों देशों के संबंधित विभाग सीमा शुल्क की वसूली को लेकर गतिरोध में पड़ गये हैं । पाकिस्तान ने हरेक कंटेनर पर पांच हजार अमरीकी डालर की सीमा शुल्क वसूल लेने का अनुरोध पेश किया है , जबकि अमरीका ने अपना एतराज जताते हुए कहा कि पाकिस्तान ने लापरवाही से ज्यादा कीमत मागी है , क्योंकि आपूर्ति लाइन बंद होने से पहले एक कंटेनर पर सिर्फ 200 अमरीकी डालर की प्रतीकात्मक शुल्क वसूली गयी थी । इसे ध्यान में रखकर दोनों देशों के उच्च स्तरीय अधिकारियों ने तकनीकी सवाल के समाधान के लिये अमरीका के उप विदेश मंत्री और पाकिस्तान के वित्त मंत्री को वार्तालाप तंत्र की स्थापना के लिये निर्दिष्ट कर दिया है । इस हफ्ते पूर्वी एशिया और प्रशांत महा सागरीय सुरक्षा मामलात के लिये अमरीकी सहायक रक्षा मंत्री पेटर लावोई पाकिस्तान की यात्रा करेंगे और मुख्य तौर पर पाकिस्तान के साथ नाटो की आपूर्ति लाइन पर विचार विमर्श करेंगे । मीडिया ने कहा है कि इस बार लावोई यात्रा के दौरान सीमा शुल्क जैसे मामलात का निर्णय करने का हकदार हैं । इसलिये आपूर्ति लाइन को लेकर उत्पन्न गतिरोध इसी हफते तोड़ने की उम्मीद है ।

विश्लेषकों का विचार है कि एक तरफ अमरीका में पाकिस्तान की आलोचना की आवाज बुलंद हो गयी है , दूसरी तरफ पाकिस्तान में अमरीका विरोधी लहरें कब से शुरु हो गयी हैं , ये सब कुछ वर्तमान पाक अमरीका आक्रोश को शांत करने के लिये बाधित हैं । जनमत समर्थन के अभाव , खासकर दोनों देशों के आम चुनावी दौर में पड़ने की वजह से दोनों पक्षों के निर्णायकों के लिये एक दूसरे को रियायत देने का गुंजाइश वाकई काफी सीमित है । दीर्घकालिक दुश्मनी से दोनों देशों के नेताओं की बुद्धिमत्ता की परीक्षा को छोड़कर आपसी विश्वास वास्तव में तेजी से खो बैठता है । वर्तमान में कुछ अमरीकी सांसद पाक विरोधी विविधतापूर्ण गतिविधियां चलाने में जुटे हुए हैं , उन की नजर में पाकिस्तान अमरीका का आंकत विरोधी निष्ठावान मित्र कहने लायक ही नहीं , बल्कि वह एक चिन्ताजनक उपद्रवी बनता गया है । इसलिए पाकिस्तान को दिये जाने वाली अमरीकी सैनिक सहायता को आतंक विरोधी पाक कार्यवाही , नाटो की आपूर्ति लाइन की बहाली , यहां तक कि बिन लादेन की मदद करने वाले पाक डाक्टर की रिहाई आदि मामलों के साथ जोड़ना चाहिये । पर पाकिस्तान में विपक्ष अमरीका विरोधी संघर्ष को जनमत जुटाने का एक झंडा समझकर चुनाव मैदान में उतरेंगे । जब नाटो की आपूर्ति लाइन मजबूर होकर बहाल होगी , तो वे इस बात को लेकर जल्सा जलूस निकालने को संकल्पबद्ध हैं । भविष्यवाणी की जा सकती है कि पाक अमरीका संबंध के सामान्यकरण का रास्ता समतल नहीं होगा ।

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