ईरान और अमरीका , ब्रिटेन , फ्रांस , रुस , चीन और जर्मनी के बीच इराक की राजधानी बगदाद में एक दिवसीय नाभिकीय वार्ता योजनानुसार 23 मई को समाप्त हुई है , पर यह वार्ता तवील होकर 24 मई को संपन्न हो गयी । मौजूदा दौर की वार्ता तात्विक सवालों से जुड़ी हुई है , दोनों पक्षों ने अपना अपना प्रस्ताव जता दिया और उन पर गहन रुप से विचार विमर्श किया , वार्ता में कोई बड़ी प्रगति तो न हो पायी है , पर वार्ता टूटी भी नहीं है , दोनों पक्ष फिर वार्ता करने पर आशा बांधे हुए हैं । बगदाद नाभिकीय वार्ता ने ईरान नाभिकीय सवाल का समाधान बल प्रयोग के बजाये वार्ता से करने का अंतर्राष्ट्रीय समुदाय का इरादा अभिव्यक्त कर दिया है ।
मौजूदा दौर की ईरान नाभिकीय वार्ता काफी मुश्किल से हुई है । जब अंतर्राष्ट्रीय परमाणु ऊर्जा एजेंसी ने नवम्बर 2011 में 2003 के अंत से पहले ईरान द्वारा नाभिकीय शस्त्र का अध्ययन व निर्माण किये जाने के बारे में रिपोर्ट जारी की , तब से ईरान नाभिकीय सवाल दिन ब दिन चर्चित होने लगा । अमरीका के नेतृत्व में पश्चिमी देश बल प्रयोग से इस सवाल के समाधान का पक्षधर हैं , यहांतक कि इजराइल ने एक तरफा तौर पर ईरान के खिलाफ बल का प्रयोग करने का दावा भी किया । इसी बीच अमरीका और यूरोपीय संघ ईरान पर आर्थिक व राजनीतिक प्रतिबंध लगाने में तेजी लाये हैं । पश्चिमी देशों की युद्ध धमकी के सामने ईरान ने कमजोर दिखाने के बजाये बारंबार युद्ध अभ्यास किये और तेल शस्त्र के जरिये यूरोपीय संघ के कुछ देशों के खिलाफ तेल सप्लाई को बंद करने का निर्णय भी कर लिया । ईरान ने चेतावनी देते हुए कहा कि यदि पश्चिम बल का प्रयोग करने में पहल करे , तो वह होर्मूज जलडमरुमध्य के अंतर्राष्ट्रीय तेल व प्राकृतिक गैस पाइपों की नाकेबंदी कर देगा ।
ईरान नाभिकीय संकट और उस से उत्पन्न संभावित गम्भीर परिणाम पर अंतर्राष्ट्रीय समुदाय अत्यंत चिन्तित और परेशान हो गया है । ईरान के पडोसी देश तुर्की और खाड़ी देशों ने बल प्रयोग से ईरान नाभिकीय सवाल के समाधन का खुलेआम विऱोध किया है । नाटो के पूर्व महा सचिव सोलाना ने ले फिकारो पर प्रकाशित अपने एक लेख में कहा कि समाधान का सब से उचित उपाय वार्ता ही है , न कि बल प्रयोग से । कोई भी व्यक्ति एक युद्ध के परिणाम का अनुमान नहीं कर सकता , सभी संबंधित पक्षों के पास विचार विमर्श के लिये वार्ता मेज के सामने बैठने के संपूर्ण औचित्य हैं । अमरीका में रांड ग्रुप ने रांड ग्रुप की टिप्पणी में इजराइल व अमरीका को ईरान पर प्रहार न करने की चेतावनी भी दी । इस से ईरान नाभिकीय वार्ता को बढावा देने के लिये अनुकूल वातारण तैयार हो गया । चीन समेत नवोदित देशों ने ईरानी परिस्थिति में शैथिलय लाने के लिये अथक प्रयास भी किये हैं , जिस से विभिन्न पक्षों ने ईरान नाभिकीय वार्ता फिर एक बार शुरु कर दी है ।
गत 14 अप्रैल को ईरान ने उक्त 6 देशों के साथ तुर्की के इस्तांबूल में एक वर्ष तक टूटी वार्ता की बहाली कर दी है । वार्ता के बाद दोनों पक्षों ने वार्ता को सकारात्मक और रचनात्मक बताया , साथ ही इसी बात पर राजी भी किया है कि अप्रसार नाभिकीय शस्त्र संधि को सहयोग का आधार बनाकर बगदाद में इसी दौर की दूसरी वार्ता होगी ।
बगदाद वार्ता की पूववेला में अंतर्राष्ट्रीय परमाणु ऊर्जा एजेंसी के महा निदेशक युकिया अमानो ने ईरान की अपनी पहली वार्ता की । उन्होंने मीडिया से संकेत देते हुए कहा कि अंतर्राष्ट्रीय परमाणु ऊर्जा एजेंसी ने ईरानी न्यूक्लीयर संस्थापनों की जांच पड़ताल के सवाल पर समझौता संपन्न किया है , हालांकि कुछ तफसील समस्याओं पर विचार विमर्श करने की जरुरत है , पर फिर भी निकट भविष्य में दस्तावेज पर हस्ताक्षर किये जायेंगे।
ईरान ने भी लगातार अपनी सदिच्छा दिखायी । ईरानी प्रथम वार्ताकार जालिली एक दिन पहले यानी 22 मई को बगदाद पहुंच गये । उन्होंने इराकी प्रधान मंत्री के साथ वार्ता में विश्वास जताया कि ईरान व 6 देशों के बीच होने वाली न्यूक्लीयर वार्ता द्विपक्षीय सहयोग के लिये नया अध्याय जोड़ेगी । 23 मई को ईरानी राष्ट्रपति अहमद नेजात ने दोहराया कि ईरान ने न्यूक्लीयर शस्त्र का अध्ययन व निर्माण कभी भी नहीं किया है , साथ ही वह सदा के लिये ऐसा नहीं करेगा ।
लेकिन वार्ता से पहले के आशावादी वातावरण के उल्टे इस बगदाद वार्ता में सहमति नहीं हो पायी । यह बिलकुल अप्रत्याशित नहीं है । ईरान व अमरीका आदि पश्चिमी देश लम्बे अर्से से दुश्मनी रखे हुए हैं , दोनों पक्षों में विश्वास का अभाव है , जबकि आपसी विश्वास की स्थापना करने में काफी ज्यादा समय लगता है । वार्ता को सफल बनाने के लिये यह जरूरी है कि दोनों पक्ष सकारात्मक व सार्थक रुप से वार्तालाप करें , सहमतियों को विस्तृत कर मतभेदों का उचित रुप से समाधान करें और कदम ब कदम आपसी विश्वास कायम कर मौजूदा अनुकूल वातावरण को शांतिपूर्ण समाधान का नया मौका बना दें ।