ऐसी पृष्ठभूमि में जबकि विश्व अर्थतंत्र फिर मंदी में पड़ गया है ओर यूरोयीय कर्ज संकट में निरंतर बिगाड़ आयी है , जी आठ का दो दिवसीय शिखर सम्मेलन हाल ही में अमरीका के कैंप डेविड में समाप्त हुआ । सम्मेलन ने आर्थिक वृद्धि और रोजगार बढाने पर जोर दिया है और विभिन्न देशों से आर्थिक वृद्धि को बढावा देने और वित्तीय अनुशासन को समन्वित करने के बीच संतुलन की खोज करने की अपील की । लेकिन नवोदित आर्थिक समुदायों के उत्थान के चलते भूमंडलीय आर्थिक केंद्र दिन ब दिन पूर्व की ओर स्थानांतरित होता जा रहा है , साथ ही वित्तीय संकट के बाद पश्चिमी देश अपनी दीर्घकालिक आर्थिक बहाली करने में असमर्थ हुए हैं और भूमंडलीय आर्थिक सुधार में जी आठ की भूमिका भी लगातार कमजोर होने लगी है , जी आठ एकाकी तौर पर विश्व अर्थतंत्र को मंदी से उबारने का नुस्खा लिखने में असक्षम है । जी 8 के नेतृत्व में पश्चिमी विकसित देशों को चीन व भारत जैसे नवोदित आर्थिक समुदायों के साथ विकास योजना पर विचार विमर्श करना चाहिये , ताकि भूमंडलीय अर्थतंत्र का जबरदस्त , निरंतर और संतुलित विकास किया जा सके ।
विकसित देशों की आर्थिक दुर्दशा विश्व आर्थिक पुनरुत्थान को बाधित करने की सब से बड़ी समस्या है । यह अभूतपूर्व अंतर्राष्ट्रीय आर्थिक व वित्तीय संकट विश्व आर्थिक केंद्र अमरीका में उत्पन्न हुआ है , जिस से भूमंडलीय आर्थिक आपदा पैदा ही नहीं , गम्भीर पश्चिमी कर्ज समस्या की पोल भी खुल गयी है । यूरोपीय कर्ज संकट से उक्त अंतर्राष्ट्रीय वित्तीय संकट को फिर नुकसान हुआ है , साथ ही यूरोपीय अर्थतंत्र को करारी चोट भी लगी है । यूरोपीय केंद्रीय देश होने के नाते जर्मनी व फ्रांस यूरोपीय कर्ज संकट से निपटने के लिये सार्थक नीति खोजने में भी असमर्थ है , जिस से यूरोपीय कर्ज संकट तेज से तेजतर बिगड़ता जा रहा है , यहां तककि यूरो क्षेत्र कगार पर खड़ा होने के खतरे में है । इसी बीच अमरीकी अर्थतंत्र भी कठिन समन्वय के दौर में है , वाल सड़क की रौनक धूमिल हो गयी है , बेरोजगारी दर ऊंची बनी रही है , सरकार भारी कर्ज में डूबी हुई है , वित्तीय संकट से पहले काफी तेज आर्थिक वृद्धि का दिन हमेशा के लिये लद गया है । आगामी लम्बे अर्से में अमरीकी अर्थतंत्र मंद बहाली के पथ पर भटकता रहेगा । इस के अलावा जापानी अर्थतंत्र लम्बे अर्से से ढांचे की समस्या से ग्रस्त रहा है , उस की प्रतिस्पर्द्धा शक्ति भी लगातार कमजोर हो गयी है , साथ ही गत वर्ष में न्यूक्लीयर रिसाव घटना से आर्थिक विकास पर कुप्रभाव पड़ गया है । देखा जा सकता है कि पश्चिमी देश आर्थिक उलझन से लिपटे हुए हैं , वे विश्व अर्थतंत्र को मंदी से उबारने के लिये सार्थक नीति निर्धारित करने में असक्षम हैं । यह मौजूदा जी 8 कैंप डेवित शिखर सम्मेलन से स्पष्टतः जाहिर हो गया है । इस कैंप डेविड शिखर सम्मेलन में पारित कैंप डेविड घोषणा पत्र में सिर्फ वृद्धि बढाने की सहमति पर जोर दिया गया है , पर उसे अमल में लाना मुश्किल है , इस से जाहिर है कि जी 8 अमीर देशों के क्लब की हैसियत से मौजूदा विश्व आर्थिक समस्या का समाधान करने में असक्षम है ।
भूमंडलीय आर्थिक समस्या का समाधान करने के लिये नवोदित आर्थिक समुदायों की हिस्सेदारी होना अत्यावश्यक है । 21वीं सदी में प्रविष्ट होने के बाद नवोदित आर्थिक समुदाय उत्थान पर आये हैं । खारकर 2008 में विश्व वित्तीय संकट होने से चीन और भारत जैसे नवोदित आर्थिक समुदायों पर काफी कम प्रभाव पड़ा है , वे अपने तेज आर्थिक विकास की वजह से विश्वव्यापी आर्थिक बहाली को बढावा देने वाली प्रमुख पावर शक्ति बन गये हैं । कहा जा सकता है कि चीन व भारत जैसे नवोदित आर्थिक समुदायों के समर्थन व हिस्सेदारी के बिना जी 8 विश्व आर्थिक संतुलित वृद्धि , ऊर्जा आपूर्ति , जलवायु परिवर्तन और गरीबी उन्मूलन जैसी विश्वव्यापी समस्याओं का समाधान करने में सफल नहीं होगा । ठीक ऐसी पृष्ठभूमि तले जी 20 शिखर सम्मेलन विश्व आर्थिक सुधार का प्रमुख मंच बन गया , विकसित देशों ने नवोदित आर्थिक समुदायों के साथ समान रुप से संकट का सामना करने और विकास को बढावा देने पर सलाह मशविरा किया है , जिस से भारी मंदी की पुनरावृत्ति और नये विश्व आर्थिक असंतुलन से बच गया है । इतना ही नहीं , पश्चिमी देशों के आर्थिक व वित्तीय समस्या को हल करने के लिये नवोदित आर्थिक समुदायों की मदद की जरूरत भी पड़ती है । यूरोपीय कर्ज संकट के समाधान में चीन , भारत व ब्राजिल आदि नवोदित आर्थिक समुदायों की धन राशि अहम भूमिका निभायेगी ।चीन के समर्थन के बिना अमरीका की ट्रीज़र बाण्ड इमारत ढह जाएगी । इसलिये भूमंडलीय आर्थिक स्थिति के सामने विकसित देशों और नवोदित आर्थिक समुदायों को जी 20 की भूमिका को मजबूत बनाना चाहिये , वे इसी मंच पर साथ मिलकर वित्तीय संकट के मुकाबले की नीति की खोज करेंगे , घनिष्ट रुप से सहयोग कर भूमंडलीय आर्थिक बहाली व निरंतर बृद्धि को बढावा देंगे ।
भावी भूमंडलीय आर्थिक पुनरुत्थान की प्रक्रिया में जी 8 के लिये यह जरुरी है कि वह अपनी भूमिका पूर्ण रुप से प्रदर्शित करे , जी 20 शिखर सम्मेलन में प्राप्त परिणाम व सहमति को मूर्त रुप दे और पश्चिमी विकसित देशों में मौजूद कर्ज , घाटे और बेरोजगारी आदि विश्व आर्थिक स्थिरता को प्रभावित करने वाले मामलों के समाधान पर जोर दे और अपनी ठोस कार्यवाही से विकासमान देशों की सहायात करे , वास्तव में यह विकसित देशों और विश्व अर्थतंत्र के स्वस्थ विकास के लिये लाभदायक भी है ।