जी आठ का शिखर सम्मेलन 18 और 19 मई को वाशिंगटन के उपनगर में स्थित कैम्प डेविड में होने जा रहा है। मौजूदा शिखर सम्मेलन यूरोप में कर्ज संकट के लगातार गंभीर होते जाने तथा कुछ देशों में सत्ता के बदलने की घड़ी में हुआ, जिसपर व्यापक ध्यान किया जा रहा है।
अमेरिकी राष्ट्रपति के सुरक्षा सलाहकार टोम डिनिलोन के अनुसार जी आठ शिखर सम्मेलन में अनेकों विषयों पर विचार विमर्श होगा। 18 तारीख के रात्रि कार्य भोज में आठ देशों के नेता ईरान, उत्तरी कोरिया, म्यांमार और सीरिया के सवालों पर विचार विनिमय करेंगे, 19 तारीख की मीटिंग में मुख्यतः वैश्विक अर्थव्यवस्था, खासकर यूरो क्षेत्र की आर्थिक स्थिति पर विचार विमर्श करेंगे। इसके अलावा सम्मेलन में उपस्थित नेतागण ऊर्जा, मौसम परिवर्तन तथा अनाज सुरक्षा के मसलों पर भी विचार विमर्श करेंगे, और 2014 के बाद अफगानिस्तान की स्थिति पर भी रायों का आदान प्रदान करेंगे।
श्री टोम डिनिलोन ने कहा कि ईरान सवाल पर अमेरिका की प्रवर्तित प्रतिबंध योजना में कामयाबी हासिल हुई है, जी आठ के सभी सदस्य प्रतिबंध योजना में शामिल हुए है। मौजूदा शिखर सम्मेलन में ईरान पर प्रतिबंध के बारे में रायों का ज्यादा आदान प्रदान होगा, ताकि इस महीने के उत्तरार्द्ध में ईराक में होने वाली संबंधित वार्ता में ईरान पर दबाव बढ़ाया जा सके। यूरो क्षेत्र के आर्थिक संकट के सवाल पर अमेरिका कहता है कि वह यूरो क्षेत्र के देशों में आर्थिक पुनरुत्थान व रोजगारी के लिए हो रहे प्रयासों का समर्थन करता है और आशा करता है कि यूरोप को आर्थिक प्रेरणा व वित्तीय नियंत्रण के बीच संतुलन बनाए रखने तथा संकट से निपटने के अच्छे उपाये ढूंढ निकालेंगे।
सूत्रों के अनुसार फ्रांस में फ्रांसोइस होलांडे 15 मई को सत्ता पर आये, यूरोप के कर्ज संकट और ईरान के न्यूक्लियर मसले पर उन की राय पूर्व राष्ट्रपति सार्कोजी से भिन्न है, इसलिए अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा ने विशेष तौर पर 18 तारीख की सुबह ह्वाइट हाउस में होलांडे से मिलने की व्यवस्था की, ताकि दोनों में गहन रूप से रायों का आदान प्रदान हो और सहमति प्राप्त हो।
रूस के राष्ट्रपति व्लाडिमीर पुतिन मौजूदा शिखर सम्मेलन में भाग नहीं लेंगे। उन की अनुपस्थिति पर गत सप्ताह मीडिया में काफी चर्चा हुई थी, अमेरिकी मीडिया का कहना है कि पुतिन ने रूस के मामले में अमेरिका के हस्तक्षेप पर असंतोष जताने केलिए जी आठ शिखर सम्मेलन में जाने से इंकार किया। न्यूयार्क टाइम ने कहा कि रूस के राष्ट्रपति चुनाव के दौरान पुतिन ने कड़े शब्दों में अमेरिका विरोधी बयान दिया था और अमेरिकी विदेश मंत्री पर यह आरोप लगाया कि वह रूस में राजनीतिक गड़बड़ी बढ़ाने की कुचेष्टा में वहां के लोगों को उकसावा दे रही है। चुनाव में पुतिन की जीत के बाद भी अमेरिका ने पुतिन की विजय पर बधाई नहीं दी और सिर्फ यह आशा जतायी कि अमेरिका रूस के साथ सहयोग करना चाहता है। ओबामा ने भी कई दिनों के बाद पुतिन के नाम तार भेजकर बधाई दी थी। इसके अलावा अमेरिका और रूस के बीच नाटो की मिसाइल भेदी सिस्टम के सवाल पर भी गंभीर मतभेद है, ऐसे में रूसी राष्ट्रपति पुतिन की शिखर सम्मेलन में अनुपस्थिति से अनेक क्षेत्रों और बहुत से अन्तरराष्ट्रीय मामलों में परस्पर समन्वय पर बुरा असर पड़ा है।
गौरतलब बात यह है कि जी आठ पहले के अमीर देशों के क्लब से आज कर्जदार देशों के क्लब के रूप में बदला, आठ देशों में कनाडा व रूस को छोड़कर अन्य सभी देशों पर कर्ज का बोझ लदा है, यूरोप का कर्ज संकट चल रहा है, अमेरिका पर कर्ज का जोखिम बना रहा है, जापान में भूकंप आने के बाद कर्ज की समस्या भी गंभीर होने लगी, आशा का कोई आसार देखने को नहीं मिलेगा कि मौजूदा सम्मेलन में आर्थिक मामले में कुछ उपलब्धि मिल सकेगी।
फिर भी अमेरिका के अन्तर्राष्ट्रीय आर्थिक सवाल के जिम्मेवार उप सुरक्षा सलाहकार मिचेइल फ्रोमान ने कहा कि शिखर सम्मेलन में ऊर्जा, जलवायु बदलाव और अनाज सुरक्षा जैसे सवालों पर व्यापक सहयोग व सफलता प्राप्त हो सकेगी। उन्होंने कहा कि सम्मेलन का मुख्य मकसद नेताओं को एक साथ मिलकर सवालों के समाधान केलिए मौका दिया जाना है।
हालांकि लोकमतों को शिखर सम्मेलन पर खास आशा नहीं बंधी, लेकिन ओबामा ने उस पर जरूर उम्मीद बांधी है। ह्वाइट हाउस ने कहा है कि कैम्प डेविड में 2014 के बाद अफगान सवाल पर भी विचार विमर्श होगा, ओबामा ने सत्ता पर आने के बाद ईराक व अफगान युद्ध को समाप्त करने की घोषणा की थी और बिन लाडेन को जान से मारे जाने की सफलता मिली है, इसलिए मौजूदा शिखर सम्मेलन ओबामा को अपनी उपलब्धियां दिखाने का एक अहम मौका देगा, ताकि उन्हें दोबारा राष्ट्रपति चुनाव जीतने के लिए बेहतर माहौल मिल सके।