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पाकिस्तान अपनी भूमि में नाटो को सप्लाई लाइन पुनः खोलेगा
2012-05-17 16:16:08

पाकिस्तान के प्रधान मंत्री रजा गिलानी ने 16 मई को पाक केबिनट मीटिंग में कहा कि देश के रणनीतिक हित को ध्यान में रखकर पाकिस्तान संभवतः पाक के भीतर नाटो को सप्लाई देने वाला परिवहन रास्ता पुनः खोलेगा। विश्लेषकों का कहना है कि पाक अमेरिका संबंध के 6 महीनों तक ठंडे बने रहने के बाद पाकिस्तान ने अब जो रूख अपनाया है, उस का मकसद नाटो को सप्लाई देने वाली लाइन खोलने के जरिए अफगान सवाल पर अपने बोलने के अधिकार को बरकरार रखना है, साथ ही नाटो को रास्ता देने के बदले अच्छा खासा पैसा वसूलने से पाकिस्तान की गंभीर आर्थिक स्थिति सुलझाने में भी मदद मिल सकेगी।

गत 26 नम्बर को नाटो द्वारा पाक सीमा जांच चौकी पर हवाई हमले किए जाने से पाक सेना को भारी हताहती लगी, इसके बाद पाकिस्तान ने तुरंत अपने देश में अफगानिस्तान में तैनात नाटो सेना को सप्लाई देने वाली परिवहन लाइन पर नाकेबंदी लगायी और पाक नाटो व पाक अमेरिका संबंध भी ठंडे बस्ते में पड़ गए। तब से 6 महीनों के बाद 16 मई को पाक प्रधान मंत्री गिलानी ने कहा कि फिलहाल अमेरिका व नाटो के साथ पाकिस्तान के संबंध एक नाजुक बिन्दु पर पहुंचे है, लेकिन पाक सरकार अपने सैद्धांतिक रूख के साथ समझौता नहीं करेगा, साथ ही भावुकता से काम भी नहीं लेगा और जल्दबाजी का कदम नहीं उठाएगा। 15 मई को पाक केबिनट सुरक्षा मीटिंग में पाक राष्ट्रीय रक्षा आयोग इस पर राजी हुआ है कि अफगानिस्तान में तैनात नाटो की सेना को सप्लाई देने वाली लाइन पुनः खोलेगा। माना जाता है कि पाक सरकार के इस नए रूख ने अफगान सवाल पर 20 व 21 मई को शिकागो में होने वाले नाटो अन्तरराष्ट्रीय सम्मेलन में पाक राष्ट्रपति जरदरी की भागीदारी के लिए सकारात्मक माहौल तैयार किया है। नाटो के महा सचिव रासमुसन ने उसी दिन जरदरी को तार भेजकर उन्हें शिकागो शिखर सम्मेलन में भाग लेने के लिए आमंत्रित किया। इस सम्मेलन में 2014 के अंत तक अफगानिस्तान से नाटो की सेना हटाने के सवालों पर विचार विमर्श होगा।

विश्लेषकों के विचार में पाक सरकार ने दो कारणों के आधार पर अपने देश के भीतर नाटो को सप्लाई देने वाला रास्ता पुनः खोलने का फैसला लिया है।

एक, शिकागो में होने वाले शिखर सम्मेलन से अफगान की भावी स्थिति पर बड़ा प्रभाव पड़ेगा। अफगान के पड़ोसी देश होने के नाते पाक वहां की स्थिति पर बड़ा ध्यान देता है और इस शिखर सम्मेलन में अपने हितों पर चिंता बताना चाहता है। किसी भी पहलुओं की दृष्टि से पाक और अफगान के बीच घनिष्ठ संबंध है। पिछले दस सालों तक चले आतंक विरोधी युद्ध में पाकिस्तान को भारी कीमत चुकानी पड़ी, उसे असाधारण हताहती झेलनी पड़ी और देश की सुरक्षा स्थिति पर भी इस का बड़ा असर पड़ा। पाक विदेश मंत्री हिना रब्बानी खार ने हाल ही में कहा कि पाकिस्तान अफगान मसले पर हमेशा प्रेरक व समन्वयक की भूमिका निभाता है, भविष्य में भी वहां की शांति व स्थिरता के लिए भूमिका अदा करता रहेगा। पाक की उम्मीद है कि उस की कोशिशों को अन्तरराष्ट्रीय जगत में मान्यता प्राप्त होगी। इसलिए अपने रणनीतिक हित के मुद्देनजर पाक नहीं चाहता कि अफगान सवाल पर अपने बोलने का अधिकार छीना जाएगा। ऐसी स्थिति में पाक नाटो को सप्लाई देने वाला रास्ता पुनः खोलने पर राजी हो गया है।

दूसरा, अपने देश के भीतर नाटो को सप्लाई देने वाला रास्ता खोलने से पाक को नाटो से भारी भरकम पैसा मिल सकता है, जो पाक सरकार की वित्तीय मुश्किलों को हल करने में मददगार होगा। अमेरिकी मीडिया के मुताबिक जल्द ही संपन्न होने वाले समझौते के अनुसार पाकिस्तान अपने देश से गुजरने वाली नाटो की हरेक परिवहन गाड़ी से 1500 से 1800 तक के अमेरिकी डालर वसूल करेगा। अनुमान है कि अब से अगले साल के अंत तक रोज नाटो की 600 गाड़ियां पाक से गुजरेंगी, इन के लिए नाटो रोज पाक को 10 लाख डालर देगा, इस प्रकार, नाटो हर साल पाक को 36 करोड़ 50 लाख डालर देगा। आर्थिक लाभ के लिए भी पाकिस्तान अमेरिका व नाटो के साथ सुलह समझौता करने को तैयार है।

फिलहाल, अमेरिका और नाटो नाटो की सप्लाई लाइन पुनः खोलने के बारे में पाक के साथ बारीकी से विचार विमर्श कर रहे हैं, ठोस समझौता अगले हफ्ते संपन्न होने की संभावना है।

गौरतलब बात यह है कि पाक सरकार द्वारा नाटो को सप्लाई लाइन पुनः खोलने की खबर आने के बाद पाकिस्तान में सुरक्षा की स्थिति भी तनाव में पड़ी। 16 मई को पाक स्थित ब्रिटिश, फ्रांसीसी और ओस्ट्रेलियाई दूतावासों को संदिग्ध डाक पैकेट मिले। पाक पुलिस ने कहा कि पैकेट में पांच ग्राम संदिग्ध काला पाउडर के अलावा चैतावनी देने वाले पत्र भी हैं। इन पत्रों में यह धमकी दी गयी है कि नाटो को सप्लाई लाइन पुनः न खोलो। माना जाता है कि नाटो को सप्लाई लाइन खोलने पर पाक में आतंकी कार्यवाही जोर पकड़ेगी।

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