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दक्षिण चीन सागर में मछुआगिरी अवकाश अवधि शुरू
2012-05-16 16:53:51

दक्षिण चीन सागर के अधिकांश जल क्षेत्रों में 16 मई को दोपहर 12 बजे से ढाई महीनों के लिए मछुआगिरी बन्द करने की अवधि शुरू हुई, इस व्यवस्था का मकसद समुद्री जलीय संसाधनों का नियमित रूप से संरक्षण करना है। दक्षिण चीन सागर के अलावा चीन के बोहाई समुद्र और पीला सागर में भी यह व्यवस्था लागू होती है। चीनी राजनयिक सूत्रों और विद्वानों के अनुसार इस अवधि में चीनी मत्स्य प्रशासन जहाज और समुद्र निरीक्षण जहाज नियमित रूप से गश्त लगाएंगे और न्यायिक काम करेंगे। जो चीनी या विदेशी मछुआ जहाज इस नियम का उल्लंघन करेगा, उसे दंडित किया जाएगा।

चीनी राजयन कालेज के अन्तरराष्ट्रीय कानून विभाग के प्रोफेसर सुश्री क्वोंग यङ छुन ने जानकारी देते हुए कहा कि दक्षिण चीन सागर में उत्तरी अक्षांश 12 डिग्री से लेकर उत्तर में फुच्यान व क्वांगतुंग की समुद्री सीमाओं के संगम तक फैलने वाला सभी समुद्री जल क्षेत्र इस में शामिल है, जिसमें पेइबू खाड़ी और होंगयान द्वीप क्षेत्र भी सम्मिलित है। सुश्री क्वोंग ने कहा कि होंगयान द्वीप चीन की प्रादेशिक भूमि है, जहां मछुआगिरी अवकाश काल में यदि कोई मछुआ जहाज इस व्यवस्था का उल्लंघन कर मछली पकड़ेगा, तो उसे जरूर सजा याफ्त होना पड़ेगा। यदि कोई जहाज हिंसक कार्यवाही से इस कानून का विरोध करेगा, तो उसे आपराधिक जिम्मेदारी झेलना होगा।

पूर्व प्रचलित नियम के मुताबिक अगर कोई जहाज ग्रीष्मकालीन मछुआगिरी अवकाश काल तोड़ेगा, तो उस के पकड़े गए जलीय पदार्थों को जब्त किया जाएगा और उस पर 50 हजार य्वान और इस से कम राशि का जुर्माना किया जाएगा। जो मामला गंभीर साबित हुआ है, उस के मछली पकड़ने वाले साधनों को जब्त किया जाएगा और उस की लाइसेंस रद्द की जाएगी। यदि हिंसा से न्यायिक प्रशासन का विरोध किया गया तो उस के जहाज को जब्त किया जाएगा और उस से आपराधिक जिम्मेदारी ली जाएगी। जिस समुद्री क्षेत्र में यह रूल लागू है, उसी में आने वाले सभी मछुआ जहाजों पर यह रूल समान रूप से लागू है, चाहे चीनी जहाज हो या विदेशी जहाज, कोई इस के अपवाद नहीं है।

ग्रीष्मकाल में दक्षिण चीन सागर में अस्थाई रूप से मछुआगिरी बन्द कर अवकाश काल लागू होने का काम वर्ष 1999 से शुरू हुआ है, अब तक 13 साल हो चुके हैं। 2009 से यह अवधि नियमित तौर पर 16 मई से पहली अगस्त तक होती है।

चीनी व विदेशी सभी विद्वानों का मानना है कि मछुआगिरी अवकाश काल लागू होने से समुद्री जल क्षेत्र में मत्स्य संसाधनों की कटौती व हद से ज्यादा मछली पकड़ने पर कंट्रोल तथा समुद्री जल संसाधनों के संरक्षण के लिए बड़ी मदद मिलेगी। सुश्री क्वोंग ने कहा कि मछुआगिरी अवकाश काल लागू करना चीन द्वारा समुद्र कानून के बारे में संयुक्त राष्ट्र संधि के तहत अपना कर्तव्य निभाना है। उन्होंने कहाः

इतिहास से यह पता चला है कि इस अवधि में अंधाधुंध मछली पकड़ने तथा मछली पकड़ने की तकनीकों के तेज विकास के कारण समुद्री मत्स्य संसाधनों पर बुरा असर पड़ता है। इस के अलावा समुद्री जल संसाधनों पर प्रबंधन करना देश के संप्रभु व प्रबंधन अधिकार को मजबूत करना है। समुद्री प्राकृतिक संसाधनों की रक्षा करने तथा देश के विशिष्ट आर्थिक क्षेत्र में जलीय संसाधनों की रक्षा करना दोनों की दृष्टि से देखा जाए, तो चीन संयुक्त राष्ट्र संधि का पालन करता है और संधि में निर्धारित अपना कर्तव्य निभाता है।

चीनी विदेश मंत्रालय ने अनेक बार कहा है कि दक्षिण चीन सागर में मछुआगिरी अवकाश अवधि लागू होने का वर्तमान होंग यान द्वीप घटना से कोई संबंध नहीं है। लेकिन फिलिपीन्स विदेश मंत्रालय ने कहा कि वह इसे नहीं मानता है और फिलीपीन्स मीडिया ने भी चीन की इस नीति को लेकर बदनीयत बयान दिया।

आसियान स्थित चीनी राजदूत सुश्री थुंग श्यो लिंग ने फिलीपीन्स की दलील का खंडन करते हुए कहा कि होंगयान द्वीप के निकटस्थ जल क्षेत्र चीनी मछुआरों के लिए परंपरागत मछुआगिरी इलाका है। चीन की मछुआगिरी अवकाश नीति को लेकर होंगयान घटना को तोड़मरोड़ कर पेश करने की कोई भी कुचेष्टा फायदामंद नहीं होगी।

चीन का रूख बहुत स्पष्ट है कि होंगयान द्वीप चीन की भूमि है, इस द्वीप के आसपास के जल क्षेत्र चीन का परंपरागत मछुआगिरी इलाका है। यह सर्वविदित है कि होंगयान पर चीन की प्रभुसत्ता है। चीन ने राजनयिक माध्यम और मीडिया माध्यम से फिलिपीन्स और अन्तरराष्ट्रीय समुदाय को अपना रूख स्पष्ट कर दिया है। राजदूत थुंग ने अनेक मौकों पर स्पष्ट किया है कि मछुआगिरी अवकाश अवधि में चीनी मत्स्य प्रशासन व निगरानी जहाज होंगयान के आसपास समुद्र में गश्त लगाएंगे और न्यायिक काम करेंगे। उन्होंने कहा कि चीन पड़ोसी देशों के साथ मित्रता की नीति अपनाता रहेगा, आशा है कि फिलिपीन्य राजनयिक माध्यम अपनाकर मैत्रीपूर्ण वार्ता के जरिए मामलों का निपटारा करेगा।

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