गत 8 अप्रैल से फिलिपीन्स युद्ध पोत ने मछुआगिरी करने वाले चीनी मछुवाओं को पकड़ने से विवाद खड़ा कर दिया , तब लेकर अब तक चीन व फिलिपीन के बीच उत्पन्न ह्वांग येन द्वीप विवाद हुए एक माह से अधिक समय हो गया है । हालांकि चीन ने बराबर संयमी व धैर्यवान रुख अपनाकर राजनयिक वार्ता के लिये विवाद का शांतिपूरक समाधान करने की भरसक कोशिश की है , लेकिन फिलिपीन चीन के इसी रुख को नजरअंदाज करके घटनाक्रम को चढाने बढाने पर फिर भी डटा हुआ है । वह एक तरफ राजनयिक वार्ता की बहाली की सूचना का प्रचार प्रसार कर रहा है , दूसरी तरफ चीन विरोधी विश्वव्यापी प्रदर्शन रचने में क्रियाशील है ।
फिलिपीन ने आखिर किस लिये ह्वांगयेन द्वीप पर वारदात खड़ा करने में पहल किया । इस के पीछे उस की तीन अहम रणनीतिक परीक्षण और पांच कुचेष्टाएं छिपी हुई हैं ।
सर्वप्रथम फिलिपीन यह देखना चाहता है कि अंतर्राष्ट्रीय समुदाय समुद्री क्षेत्र में अपनी प्रादेशिक भूमि का विस्तार करने के फारमूले को स्वीकार करेगा या नहीं । वह दो सौ समु्द्री मील के विशेष आर्थिक क्षेत्र के भीतर समी द्वीप अपने देश के ही मानता है । यदि अंतर्राष्ट्रीय समुद्री अदालत इसे मान्यता दे , तो लीयू द्वीप और चुंग ये द्वीप समेत सभी द्वीप फिलिपीन के हो होंगे । उस का दूसरा परीक्षण यह है कि चीन अपने विकास के रणनीतिक मौके की रक्षा के लिये प्रादेशिक भूमि के बदले शांति पर राजी हो या नहीं । तीसरा है कि वह अमरीकी फिलीपीन्स फौजी गठबंधन का परीक्षण किया जाये , वह यह देखना चाहता है कि अमरीका उस की सुरक्षा के लिये कीमत चुकाने को तैयार हो या नहीं ।
फिलिपीन चीन का विरोध करने में क्यों सब से आगे खड़ा हुआ है । एक तरफ वह अमरीका को अपने युद्ध रथ पर बांधना चाहता है । दूसरी तरफ उस का अमरीका से सस्ता बीमा प्राप्त करने का इरादा भी है । तीसरी तरफ अंदरुनी ध्यान हटाना है , वह चाहता है कि आगिनो तीन के कमजोर शासन के प्रति अंदरुनी असंतोष को दक्षिण समुद्री विवाद पर स्थानांतरित किया जाये । उस की चौथी कुचष्टा है कि अपने भावी विकास के लिये दक्षिण समुद्री तेल संसाधन की खुदाई का अधिकार प्राप्त किया जाये । उस की अंतिम कुचेष्टा है कि आशियान का नेता बनना चाहता है , ताकि चीन के प्रतिरोध में कुछ एशियान देशों के साथ गठबंधन बनाया जा सके ।
अब एक सावधान रुझान है कि फिलिपीन शांति की आड़ में शांतिपूर्ण रुप से चीन की प्रादेशिक भूमि व सन्साधनों को हड़ने की नाकाम कोशिश कर रहा है । उस का समुद्रतटीय पुलिस बल लघु सफेद झंडा उठाकर ह्वांगयेन द्वीप पर दुश्मनी रखते हुए शांतिपूर्ण रुप से विवाद का समाधान करने का राग अलापा ।
फिलिपीन ने एक तरफ शांतिपूर्ण रुप से विवाद का समाधान करने को कहा , पर दूसरी तरफ घटनाक्रम को बढाने की पूरी कोशिश की । हाल ही में वह विश्वभर में चीन विरोधी प्रदर्शन रचने में लगा हु्आ है , यह घटना के समाधान के लिये हानिकारक ही नहीं , घी में आग का काम भी करता है । मुट्ठी भर चीन विरोधी उग्रवादियों ने अपने गुट के हितों से फिलिपीन्स लोगों में चीनी विरोधी तूफान उभाड़ दिया , पर इस से यह तथ्य नहीं बदल सकता कि ह्वांगयेन द्वीप चीन का ही होगा और चीन के शांतिपूर्ण उत्थान की प्रवृति भी बाधित नहीं होगी ।
ह्वांगयेन घटना सर्वप्रथम फिलिपीन ने खड़ी कर दी है , हालांकि चीन ने अनेक बार शांतिपूर्ण वार्ता के जरिये विवाद का समाधान करने की इच्छा व्यक्त की है , लेकिन अंतिम परिणाम फिर भी फिलिपीन के रुख पर निर्भर रहेगा ।
यदि वह वार्ता करना चाहता है , तो हम उस के साथ वार्ता करने को हर वक्त तैयार हैं , यदि विवाद का समाधान टालना चाहता है , तो हम टालने से नहीं डरते हैं , यदि लड़ाई करना चाहता है , तो यह हमारे लिये एक बढिया अभ्यास है , इस से डरने का कोई सवाल नहीं उठता । अब फिलिपीन के लिये तीन विकल्प रह गये हैं ।
सर्वप्रथम एक बहाना बनाकर ह्वांग येन द्वीप से अपने जहाजों को वापस बुलाया जाये । यह फिलिपीन के लिये एक सब से विवेकपूर्ण विकल्प ही है ।
दूसरा , चीन के साथ दुश्मनी रखने पर कामय रहे , अंत में हार खानी ही पडेगी। यह फिलिपीन के लिये एक शोचनीय अंत होगा ।
तीसरा विकल्प है कि विवाद पैदा कर मुठभेड़ को तेज से तेजतर बनाया जाये । यह फिलिपीन के लिये सब से बड़ा दुःखांत ही होगा ।
अब फिलिपीन के सामने तीन विकल्प और तीन अंत मौजूद हैं , फिलिपीन के लिये सुझ बुझ रखकर सोचना अत्यावश्यक है । आशा है कि वह अपने आप को अच्छी तरह संभालेगा ।