फिलिपिन को चीन के ह्वांगयेन द्वीप के समुद्री क्षेत्र में गड़बड़ किये हुए करीब एक माह हो गया है , आज तक मामलात का लगातार विस्तार करने की फिलिपीन की नाना प्रकार वाली उत्तेजनापूर्ण हरकतें शांत होने के बजाये तेज से तेजतर हो गयी हैं । सात मई को चीनी उप विदेश मंत्री फू इंग ने फिर एक बार चीन स्थित फिलिपीन के कार्यवाहक राजदूत को अपने यहां बुलाया और गम्भीरता से फिलिपीन को चेतावनी देते हुए कहा कि चीन ने मामलात के विस्तार के मुकाबले के लिये तमाम तैयारियां तैयार कर रखी हैं । चीन के इस कड़े रुख से चीन के विभिन्न जगतों का ध्यान आकर्षित हो गया है । संबंधित विशेषज्ञों ने कहा कि फिलिपीन को स्थिति को अच्छी तरह समझकर अपनी कुत्सित हरकतें बंद करनी ही होगी और चीन सरकार व चीनी जनता के अपनी प्रभुसत्ता की रक्षा करने के संकल्प व क्षमता का गतल आकलन नहीं करना चाहिये ।
अप्रैल की पहली दशमी में फिलिपीन ने युद्ध पोत भेजकर ह्वांगयेन द्वीप में सामान्य कामकाज करने वाले चीनी मछुआ जहाजों पर प्रहार किया और चीनी प्रभुसत्ता का अतिक्रमण करने से ह्वांग येन द्वीप घटना खड़ी कर दी । फिर इधर एक माह में फिलिपीन समुद्री पुलिस जहाजों को भेजने , अंतर्राष्ट्रीय मध्यस्थता पेश करने और अमरीका से सहायता मंगाने तथा ह्वांग येन द्वीप का नाम बदलने जैसी विविधतापूर्ण कुत्सित हरकतों से मामलात को बढावा देने के लिये प्रयासशील है ।
सात मई को चीनी उप विदेश मंत्री फू इंग ने फिर एक बार चीन स्थित फिलिपीन्स कार्यवाहक राजदूत को अपने यहां बुलाकर ह्वांगयेन द्वीप घटना को लेकर फिलिपीन के सामने गम्भीर रुप से मामला उठाया । ध्यान देने योग्य बात है कि यह चीन ने एक ही माह में तीसरी बार चीन स्थित फिलिपीन्स कार्यवाहक राजदूत को अपने यहां बुला लिया है , विश्लेषकों का कहना है कि यह देशों व देशो के बीच द्विपक्षीय राजनयिक आवाजाही में बहुत कम देखने को मिलता है ।
ध्यानाकर्षक बात यह भी है कि फू इंग द्वारा फिलिपीन्स राजनयिक को बुलाये जाने के दूसरे दिन चीनी कम्युनिस्ट पार्टी की केंद्रीय कमेटी के मुख पत्र जन दैनिक के समुद्रपारी संस्करण ने फिलिपीन के सामने हमारे पास पर्याप्त माध्यम हैं शीर्षक टिप्पीकार का लेख प्रकाशित किया , फिर यह लेख वेवसाइट पर जारी होते ही चीन की अन्य सौ से ज्यादा वेबसाइटो ने तुरंत ही यह लेख भी छापा ।
चीनी अंतर्राष्ट्रीस मामलात अनुसंधान प्रतिष्ठान के अनुसंधानकर्ता यांग शी यू ने हमारे संवाददाता के साथ विशेष साक्षात्कार में कहा कि चीनी उप विदेश मंत्री की फिलिपीन्स राजनयिक के साथ मुलाकात से दो सूचनाएं सूचित हुई हैं ।
सर्वप्रथम चीन अवश्य ही राजकीय प्रभुसत्ता की रक्षा को प्रथम स्थान पर ऱख देगा , यदि फिलिपीन अपनी कुत्सित हरकत करनी जारी रखे , तो चीन जरूर ही किसी भी जटिल व तनावपूर्ण परिस्थिति का सामना करने के लिये हर वक्त तैयार ही होगा । दूसरी तरफ चीन चाहता है कि वह फिलिपीन को अपनी सदिच्छा लगातार बता दे और वर्तमान ह्वांग येन द्वीप मामले का शांतिपूर्ण समाधान करे ।
चीनी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता ल्यू वी मिन ने हाल ही में यह स्पष्टतः बताया फिलिपीन ने 1997 से पहले चीन सरकार द्वारा ह्वांगयेन द्वीप पर सार्वभोमिक अधिकार लागू किये जाने और संसाधनों का विकास किये जाने पर कोई भी
एतराज नहीं जताया और बार बार यह कहा कि ह्वांगयेन द्वीप फिलिपीन्स प्रादेशिक भूमि के बाहर है । 1981 और 1984 में फिलिपीन द्वारा प्रकाशित नक्शाओं ने ह्वांगयेन द्वीप को अपनी प्रादेशिक भूमि में शामिल भी नहीं किया ।
ठीक ह्वांगयेन द्वीप घटना के कुछ समय बाद लोगों का ध्यान इसी बात पर गया है कि फिलिपीन ने श्ये हू से अपने जहाजों को शीघ्र ही वापस बुलाने का वचन दिया , ताकि ह्वांगयेन द्वीप के समुद्री क्षेत्र में शांति व अमन चैन की बहाली हो सके , पर इस के तुरंत बाद वह फिर लगातार श्ये हू में अपने सरकारी जहाजों को भेजने लगा । इस बेवफाई से उस की ईमानदारी पर शंका पैदा हो गयी है ।
प्रोफेसर यांग शी यू ने कहा कि घटनाक्रम के विकास पर चीन के लिये यह जरूरी है कि उस का कथन सुनना ही नहीं , उस के कर्मों को देखना और भी अधिक जरूरी है ।
मुझे विश्वास है कि मैं ही नहीं , अत्याधिक चीन लोग फिलिपीन की इस राजनीतिक ईमानदारी , विशेषकर फिलिपीन के कुछ राजनीतिज्ञों की राजनीतिक ईमानदारी पर बेहद शंकित हो गये हैं । उन्होंने जोर देते हुए कहा कि फिलिपीन को परिस्थिति को साफ साफ समझना चाहिये , चीन किसी भी स्थिति का सामना करने के लिये पूरी तरह तैयार हो गया है । आशा है कि फिलिपीन चीनी सरकार व जनता के अपनी प्रभुसत्ता की रक्षा करने के संकल्प व क्षमता को सही समझ लेगा ।