भारत के स्थानीय समय के अनुसार 6 मई की दोपहर को अमरीकी विदेश मंत्री हिलेरी क्लिंगटन ने विशेष विमान द्वारा कोलकाता पहुंचकर अपनी भारत यात्रा करना शुरू कर दिया । जबकि इसी दिन ईरान का वाणिज्य व व्यापार प्रतिनिधि मंडल भारत की यात्रा पर भी पहुंच गया । तो अमरीकी विदेश मंत्री हिलेरी का मौजूदा भारत यात्रा का उद्देश्य ईरान से क्या वास्ता है और इसी संदर्भ में भारत क्या प्रतिक्रिया करेगा ।
हमारे संवाददाता ने सर्वप्रथम अमरीकी विदेश मंत्री हिलेरी की मौजूदा भारत यात्रा का परिचय देते हुए कहा अमरीकी विदेश मंत्री हिलेरी 6 मई की दोपहर को कोलकाता पहुंच गयीं , इसी दिन कुछ सांस्कृतिक गतिविधियों को छोड़कर किसी विधिवत वार्ता का बंदोबस्त नहीं हुआ । सात मई को हिलेरी ने कोलकाता में पश्चिम बंगाल की मुख्य मंत्री और प्रसिद्ध नारी राजनीतिज्ञ ममता बनर्जी से भेंट की । सात मई के दोपहर बाद हिलेरी विशेष विमान द्वारा राजधानी नयी दिल्ली पहुंच रही हैं , वहां पहुंचने के बाद वे क्रमशः भारतीय प्रधान मंत्री मनमोहन सिंह और सत्तारुढ़ गठबंधन यूपीए और कांग्रेस की अध्यक्षा सोनिया गांधी के साथ वार्ता करेंगी । 8 मई को हिलेरी भारत के विदेश मंत्री कृष्णा से मुलाकात भी करेंगी , मीडिया का मानना है कि वार्ता में दोनों पक्ष कुछ ठोस मामलों पर रायों का आदान प्रदान कर देंगे , वार्ता की समाप्ति पर दोनों नेता संयुक्त रुप से संवाददाताओं के साथ मुलाकात भी करेंगे , विश्वास है कि मौके पर कुछ फलदायक दस्तावेज सार्वजनिक किये जायेंगे ।
हिलेरी के मौजूदा यात्रा के मुख्य मुद्दों का उल्लेख करते हुए भारतीय मीडिया ने कहा कि नियमित वाणिज्य व व्यापार और भारत अमरीका संबंध जैसे मुद्दों को छोड़कर हिलेरी का सब से प्रमुख लक्ष्य यह है कि भारत ईरान से तेल का आयात कम करे और ईरान न्यूक्लीयर मामले को लेकर ईरान पर प्रतिबंध लगाने में अमरीका समेत पश्चिमी देशों का साथ दे । यात्रा से पहले भारत गये एक अमरीकी राजनयिक ने संकेत देते हुए कहा कि भारत को ईरान से तेल आयात को कम करने की सलाह देना इस यात्रा का मुख्य उद्देश्य ही है । उन्होंने कहा कि हालांकि वर्तमान में भारत ने सऊदी अरब जैसे दूसरे तेल उत्पादक देशों से तेल का आयात बढा दिया है , लेकिन अमरीका फिर भी उम्मीद करता है कि भारत इस बारे में और ज्यादा वादा करेगा ।
ईरानी वाणिज्च व व्यापार प्रतिनिधि मंडल की भारत यात्रा की चर्चा में हमारे संवाददाता ने कहा अमरीकी विदेश मंत्री हिलेरी ने जिस दिन भारत की यात्रा शुरु की , जबकि एक ईरानी वाणिज्य व व्यापार प्रतिनिधि मंडल ने भी उसी दिन से भारत की 6 दिवसीय यात्रा करना शुरु कर दिया । ईरान का इस यात्रा का मुख्य उद्देश्य है कि दोनों देशों के वाणिज्य व व्यापार सहयोग की निहित शक्तियों की खोज की जाये , दोनों देशों के व्यापार पैमाने को विस्तृत किया जाये और दोनों देशों के वाणिज्य व व्यापार संबंध को बढावा दिया जाये । दोनों देश सिलसिलेवार सहयोग मेमोरंडम संपन्न करेंगे और कुछ ठोस क्षेत्रों में सहयोगी योजनाएं बना देंगे ।
वास्तव में ईरान व भारत का व्यापार मामला तेल सवाल से घनिष्ठ रुप से जुड़ा हुआ है । अमरीका आदि देशों द्वारा ईरान पर प्रतिबंध लगाये जाने के कुछ समय बाद भारत ने ईरान से तेल का आयात करने की घोषणा की है और पश्चिम के प्रतिबंध के बाद दोनों देशों ने तेल व्यापार की अदायगी के समाधान पर समझौता भी हस्ताक्षर किये । ईरान इस बात पर राजी हुआ है कि भारत रुपयों से तेल व्यापार की आधी रकम चुका देगा , जबकि ईरान इन रुपयों से भारत से तिजारती मालों का आयात करेगा या भारत के साथ आधारभूत संस्थापनों के निर्माण में सहयोग कर देगा ।
आमरीका व ईरान के बीच भारत के चतुरता से समन्वय करने के उद्देश्य की चर्चा करते हुए हमारे संवाददाता ने कहा कहा जा सकता है कि भारत का आखिरकार उद्देश्य अपने देश का अधिकतम लाभ प्राप्त करना है । भारत के लिये एक तरफ ईरान के साथ सामान्य व्यापार संबंध बनाये रखना जरूरी है , जिस से देश के भीतर ऊर्जा की पर्याप्त आपूर्ति को सुनिश्चित हो सकता है और ईरान के साथ रणनीतिक सहयोगी संबंध भी बनाया जा सकता है । दूसरी तरफ वह अमरीका की मांगों पर रणनीतिक रुख अपनाये हुए है और अपनी सदिच्छा दिखाने के लिये सऊदी अरब आदि देशों से तेल के आयात को बढाना भी चाहता है । इसी बीच वह अमरीका के साथ वार्ता करने में संलग्न भी है , ताकि अपने आप के अधिकतम लाभ के लिये पश्चिमी देशों व ईरान के बीच चिकनाई की भूमिका निभा सके ।
कहा जा सकता है कि भारत की यह होशियार रणनीति कुछ जोखिमों से भरी है , पर भारतीय कुटनीति के लिये यह एक आम तरीका है । भारत को अमरीका को नाखुश करने में कोई एतराज़ नहीं है , पर वह उचित समय पर मैत्रीपूर्ण संकेत दिखा देता है , ताकि अमरीका के साथ अपना सहयोग सही दिशा की ओर बढ सके ।