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चीनी रक्षा मंत्री ल्यांग क्वांगल्ये अमेरिका की यात्रा पर
2012-05-04 16:42:55

अमेरिकी रक्षा मंत्री के निमंत्रण पर चीनी स्टेट कौंसुलर, रक्षा मंत्री ल्यांग क्वांग ल्ये 4 मई को अमेरिका की एक सप्ताह की औपचारिक यात्रा केलिए रवाना हुए, यह चीनी रक्षा मंत्री की पिछले 9 सालों में प्रथम अमेरिका यात्रा है। चीनी विद्वानों के विचार में यह यात्रा नई चुनौतियों के सामने चीनी व अमेरिकी सेनाओं के उच्च स्तर पर मतभेदों व परस्पर आशंकाओं को मिटाने तथा चीन अमेरिका रणनीतिक साझेदारी संबंध के तहत सैनिक क्षेत्र में आदान प्रदान बढ़ाने के लिए एक पूरक कार्यवाही है।

चीनी पक्ष के सूत्रों के अनुसार चीनी रक्षा मंत्री की अमेरिका यात्रा के दौरान वे अमेरिकी सरकार व सेना के नेताओं से भेंट करेंगे और अमेरिकी रक्षा मंत्री लोन पानेट्टा के साथ वार्ता करेंगे। वे अमेरिकी सेना की दक्षिण कमान, नौ सेना के सन डिएगो अड्डे, दूसरी मेरिन एक्सपेडिशनरी और मिलिटरी अकादमी वेस्ट पॉइंट आदि का दौरा भी करेंगे। चीनी जन विश्वविद्यालय के अन्तरराष्ट्रीय संबंध अनुसंधान संस्थान के उप निदेशक चिन छ्यान रून ने कहा कि चीनी रक्षा मंत्री की मौजूदा अमेरिका यात्रा का मकसद दोनों देशों के बीच सैनिक आदान प्रदान बढ़ाना और परस्पर आशंकाओं को मिटाना है। उन्होंने कहाः

पिछले साल, चीनी राष्ट्राध्यक्ष हु चिनथाओ की अमेरिका यात्रा के दौरान दोनों देशों के राज्याध्यक्षों ने द्विपक्षीय फौजी विनिमय को सुदृढ़ करने की मंजूरी दी है, लेकिन वास्तव में सैनिक आवाजाही आर्थिक, राजनीतिक व सांस्कृतिक आदान प्रदान से कम हुई, इस कमी को पूरा करने से चीन अमेरिका संबंध को स्थिर बनाने में मदद मिलेगी। चीनी रक्षा मंत्री ल्यांग की यात्रा से एक हद तक आशंका मिट जाएगी और समूचे चीन अमेरिका संबंध के विकास को लाभ मिलेगा।

दोनों सेनाओं के बीच परस्पर आशंकाओं को दूर करने तथा पारदर्शिता बढ़ाने के लिए चीनी सेना ने अपनी तरफ बड़ी ईमानदारी दिखायी है। वर्ष 2011 में चीन की यात्रा के दौरान तत्कालीन अमेरिकी रक्षा मंत्री रोबर्ट. गैट्स और तत्कालीन अमेरिकी चेयरमेन आफ जॉइंट चीफ स्टाफ मिचेएल मल्लेन को चीनी सेना की मिसाइल टुकड़ी दिखाई गयी थी और उन के चीनी मिसाइल सेना के वरिष्ठ जनरलों के बीच बातचीत भी हुई थी।

इस बार चीनी रक्षा मंत्री अमेरिकी नौ सेना के सन डिएगो अड्डे का भी दौरा करेंगे, इस अड्डे में अमेरिका की नम्बर सात नौ बेड़े का कमांड स्थित है, जो प्रशांत महासागर के पश्चिमी तट पर अमेरिकी नौ सेना का सब से बड़ा अड्डा है और अमेरिकी प्रशांत नौ बेड़े का सब से बड़ा बंदरगाह है। समझा जाता है कि अमेरिका ने चीनी पक्ष की सदिच्छा के जवाब में बंदोबस्त किया है।

अपनी अमेरिका यात्रा के पूर्व, चीनी रक्षा मंत्री ल्यांग क्वांग ल्ये ने कहा था कि उन की यात्रा का उद्देश्य चीनी राष्ट्राध्यक्ष हु चिनथाओ और अमेरिकी राष्ट्रपति ओबामा के बीच आपसी सम्मान व साझी विजय वाले सहयोग संबंध की स्थापना के बारे में संपन्न अहम सहमतियों को अमली जामा पहनना और दोनों सेनाओं के संबंधों के स्वस्थ विकास को बढ़ावा देना है।

रक्षा मंत्री ल्यांग क्वांग ल्ये ने कहा कि चीनी व अमेरिकी सेना को सम्मानादर, आपसी विश्वास, समानता व परस्पर भलाई के सिद्धांत पर विकास की सही दिशा अपनाना, समान हितों का विस्तार करना और मतभेदों को हल करना चाहिए। इस पर अमेरिकी सेना ने बड़ा महत्व दिया है।

चीन और अमेरिका के बीच रणनीतिक व आर्थिक वार्ता इन दिनों पेइचिंग में चल रही है, इस वार्ता के ढांचे में दोनों सेनाओं के प्रतिनिधि भी वार्ता कर सकते हैं। ऐसे मौके से रक्षा मंत्री ल्यांग की अमेरिका यात्रा को भी लाभ मिलेगा। चीनी केन्द्रीय पार्टी स्कूल के प्रोफेसर क्वो जुक्वी ने कहाः

चौथे दौर की रणनीतिक व आर्थिक वार्ता के ढांचे में रणनीतिक सुरक्षा पर भी बातचीत हो रही है, यदि इस पर आगे भी बातचीत की जरूरत हो, तो चीनी रक्षा मंत्री की अमेरिका यात्रा के दौरान पूरक बातचीत हो सकेगी।

फिलहाल, एशिया प्रशांत क्षेत्र और पूरे विश्य की सुरक्षा स्थिति में कुछ नया परिवर्तन आया है। चीन और फिलिपीन्स होंग येन द्वीप के पास एक दूसरे का सामना करते रहे हैं, दक्षिण चीन सागर के मामले में अमेरिका का हस्तक्षेप हो रहा है, लेकिन दक्षिण चीन सागर मामला चीन के समुद्री अधिकार व हितों से जुड़ा है, चीन अनेक मौकों पर कहता है कि चीन दक्षिण चीन सागर सवाल के अन्तरराष्ट्रीकरण व बहुपक्षीकरण का विरोध करता है। इस मुद्दे में चीनी व अमेरिकी सेनाओं के बीच एक दूसरे को सही समझने व परस्पर संबंधों को आगे ले जाने की सख्त जरूरत है। प्रोफेसर क्वो ने कहा कि इस के लिए दोनों पक्षों को कुछ बाधाओं को दूर करने और एशिया प्रशांत क्षेत्र में संबंधों को अच्छा बनाने के लिए उच्च स्तरीय सैनिक आदान प्रदान होना चाहिए।

अमेरिका द्वारा ताईवान को हथियार बेचने का मसला भी अहम है। इस सवाल को लेकर उप निदेशक चिन छ्यान रुन ने कहाः

हालांकि अमेरिका चीन को समझना बहुत चाहता है, लेकिन ताइवान को हथियार बेचने के सवाल समेत उस की कुछ कथनी व करनी ने इस में बाधा खड़ी कर दी है, इसके अलावा चीन से भेदभाव रखने के उस के कुछ कानून कायदे भी है। इन समस्याओं के सही समाधान के बाद चीनी अमेरिकी सैनिक आदान प्रदान को नियमित बनाया जा सकती है।

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