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जापानी विदेश मंत्री की भारत यात्रा
2012-05-01 17:19:05

भारतीय प्रधान मंत्री मनमोहन सिंह और विदेश मंत्री एस. एम. कृष्णा ने 30 अप्रैल को नई दिल्ली में यात्रा पर आए जापानी विदेश मंत्री कोइचिरो गेमबा के साथ वार्ता की। दोनों पक्षों के बीच रणनीति, ऊर्जा, अर्थव्यवस्था और समुद्री सुरक्षा आदि क्षेत्रों में सहयोग पर बातचीत हुई। दोनों पक्षों ने संयुक्त तौर पर यह घोषित किया है कि दोनों के बीच न्यूक्लियर ऊर्जा पर द्विपक्षीय सहयोग वार्ता पुनः शुरू की जाएगी और समुद्री सुरक्षा के क्षेत्र में सहयोग बढ़ाया जाएगा।

उसी दिन, भारत और जापान के बीच छठे दौर की रणनीतिक बातचीत, पांचवीं ऊर्जा बार्ता तथा आर्थिक सहयोग पर पहली मंत्री स्तरीय वार्ता आयोजित हुईं, जिनमें भावी सहयोग के बारे में योजना पेश की गयी और सहयोग के प्रमुख क्षेत्रों और नीतिगत तौर पर द्विपक्षीय सहयोग बढ़ाने के सवाल पर अनेक सहमतियां प्राप्त हुई हैं। दोनों देशों के बीच न्यूक्लियर ऊर्जा के बारे में चर्चित विषय ध्यानाकर्षक है। वार्ता के बाद भारतीय विदेश मंत्री कृष्णा ने कहा कि दोनों पक्षों ने न्यूक्लियर ऊर्जा के क्षेत्र में सहयोग की संभावना पर विचार विमर्श किया है और यह निश्चय किया है कि न्यूक्लियर ऊर्जा के सवाल पर द्विपक्षीय सहयोग के बारे में वार्ता पुनः शुरू की जाएगी। जापानी विदेश मंत्री कोइचिरो ने कहा कि जापान भारत के साथ मिलकर न्यूक्लियर ऊर्जा पर सहयोग बढ़ाने को तैयार है ताकि अंत में दोनों पक्षों के लिए संतोषजनक परिणाम प्राप्त हो। लेकिन उन्हों ने इस पर बल दिया कि जापान निरस्त्रीकरण और न्यूक्लियर अप्रसार पर चिंतित है और उस की आशा है कि भारत कड़ाई के साथ अपने वचनों का पालन करेगा।

विश्लेषकों का कहना है कि पिछले साल जापान के फुकुसिमा में न्यूक्लियर रिसाव घटना होने के बाद जापान और भारत के बीच न्युक्लियर ऊर्जा के क्षेत्र में सहयोग स्थगित हुआ, इस पर चले तीन दौरों की वार्ता भी अस्थाई रूप से बन्द होना पड़ा। अब पुनः वार्ता शुरू होने का बड़ा महत्व होगा। भारत के लिए जापान के साथ सहयोग करने से उसे अपनी वर्तमान न्यूक्लियर ऊर्जा विकास व्यवस्था को सुधारने तथा समुन्नत नाभिकीय तकनीकें पाने में मदद मिलेगी। जापान के लिए ऐसी स्थिति में जब फुकुसिमा नाभिकीय घटना के बाद देश में न्यूक्तियर ऊर्जा के लिए मांग घट रही है, तो विदेशों के साथ सहयोग बढ़ाने से न्यूक्लियर ऊर्जा पर अपने अतिरिक्त संसाधन बेचने से लाभ मिलेगा।

दोनों देशों के बीच समुद्री सुरक्षा के क्षेत्र में सहयोग के मसले पर भी अधिक ध्यान दिया गया। दोनों पक्षों ने अपने संयुक्त वक्तव्य में कहा कि दोनों देश समुद्री सुरक्षा के क्षेत्र में गहरा सहयोग करेंगे और इस के बारे में वार्ता करेंगे। भारतीय नौ सेना और जापानी समुद्री आत्मरक्षा दस्ता आगामी जून माह में जापान के निकट समुद्री जल क्षेत्र में प्रथम संयुक्त युद्धाभ्यास करेंगी। कोइचिरो ने संवाददाताओं के सामने कहा कि भारत समुद्री मार्ग के अहम स्थान पर है, भारत और जापान के बीच समुद्री सुरक्षा के क्षेत्र में सहयोग दोनों देशों और विश्व समुद्री सुरक्षा के लिए विशेष महत्व रखता है। इस के अलावा दोनों देशों ने यह फैसला भी किया कि वे सोमालिया समुद्र और अदन खाड़ी में समुद्री लुटेरों के खिलाफ जहाज यात्रा की रक्षा में सहयोग बढ़ाएंगे।

विश्लेषकों का कहना है कि जापान और भारत द्वारा समुद्री सुरक्षा के क्षेत्र में सहयोग बढ़ाने से दोनों की रणनीतिक विकास का नया रुझान व्यक्त हुआ है, भौगोलिक तौर पर दूर रहने वाले ये दोनों देश अब परस्पर रणनीतिक संपर्क बढ़ाते रहेंगे। भारत जापान व दक्षिण कोरिया समेत पूर्वी एशियाई देशों के साथ सहयोग सुदृढ़ करेगा और जापान भी दक्षिण एशिया में सहयोग का साझेदारी स्थान पाने के इच्छुक है। दुर्लभ मिट्टी के सवाल पर दोनों देशों के रूख भी संवेदनशील है, भारत ने वचन दिया है कि वह जापान को दुर्लभ मिट्टी का निर्यात करेगा, ताकि चीन पर जापान की निर्भरता कम हो सके।

दोनों देशों ने घोषणा की कि वे नेटवर्क सुरक्षा के क्षेत्र में सहयोग पर नयी वार्ता करेंगे। आर्थिक सहयोग मामले पर प्रथम मंत्री स्तरीय वार्ता में दोनों देशों के अधिकारियों ने कहा कि वे बुनियादी ढांचे की मजबूति पर सहयोह बढ़ाएंगे और दिल्ली-मुम्बेई औद्योगिक गलियार परियोजना को तेज गति देंगे और पिछले दिसम्बर में दोनों देशों के बीच हुए मुलाकात में प्रस्तावित चेन्ने-बेंगलुरू गलियार निर्माण परियोजना के विकास पर भी वार्ता करेंगे। विश्लेषकों के अनुसार जापानी विदेश मंत्री की मौजूदा भारत यात्रा से फिर एक बार यह जाहिर हुआ है कि जापान और भारत चौतरफा तौर पर रणनीतिक सहयोग करेंगे।

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