विश्व में संक्रामक बीमारियों के विनाश के लिए टीका लगाना एक सब से कम खर्च वाला और असरदार तरीका है। चीन में बच्चों के स्वास्थ्य की गारंटी के लिए पिछले 30 से अधिक सालों में मुफ्त में टीका लगाने की योजना लागू हुई, जिस के परिणामस्वरूप संक्रामक बीमारियों की रोकथाम में बड़ी सफलता मिली और रोगों की उत्पत्ति दर बहुत घट गयी है।
यह सर्वविदित है कि टीका लगाना संक्रामक रोगों की रोकथाम और विनाश के लिए एक सब से असरदार और सब से कम खर्च वाला तरीका है, इस के बारे में चीनी रोग नियंत्रण केन्द्र के उप प्रधान यांग वी चुंग ने कहा कि पिछली शताब्दी के 70 वाले दशक के अंत में चीन में बच्चों में टीका लगाने की राष्ट्रीय योजना शुरू हुई, विभिन्न किस्मों के रोगों की रोकथाम के लिए नियमित रूप से ठीक समय पर बच्चों में टीका लगायी जाती है, इस से देश में संक्रामक बीमारियों पर अच्छा कंट्रोल किया गया है। उन्होंने कहाः
वर्ष 1978 से चीन में मुफ्त में टीका लगाने की राष्ट्रीय योजना लागू हुई, इस में खसरा, पोलियो, पेर्ट्युसिस, डिफ्थीरिया, टीबी, टेथन्युस छह प्रकार के संक्रामक रोग शामिल है। इस योजना के फलस्वरूप चीन में 30 करोड़ रोगियों की कमी हुई है और 40 लाख से ज्यादा लोगों की जान बचायी गयी है।
2002 में हेपेटाइटिस बी राष्ट्रीय टीका योजना में शामिल किया गया फिर 2008 में हेपेटाइटिस ए समेत अन्य तीन किस्मों के रोग भी राष्ट्रीय टीका योजना में सम्मिलित किये गए, इन किस्मों के टीका लगाने से 15 किस्मों की बीमारियों का विनाश किया जा सकता है। वर्तमान में हर साल चीनी बच्चों में एक अरब टीके लगाये जाते हैं। याद रहे, वर्ष 1959 में चीन में खसरा से ग्रस्त रोगियों की संख्या एक करोड़ दर्ज हुई थी और तीन लाख रोगियों की मौत भी हुई थी। राष्ट्रीय टीका योजना लागू होने के बाद रोगियों की संख्या साल ब साल घिरती चली गयी, 2011 तक जाकर देश भर में खसरा पीड़ितों की संख्या सिर्फ दस हजार रह गयी और जिनमें से मात्र दस की मृत्यु हुई। पिछली शताब्दी के नब्बे वाले दशक से चीन में हेपेटाइटिस बी से ग्रस्त लोगों की संख्या 10 प्रतिशत तक पहुंची, इस समस्या के समाधान के लिए चीन ने 2002 से इस रोग के टीका लगाने का काम भी राष्ट्रीय योजना में शामिल किया गया और नवजात बच्चों में मुफ्त टीका लगाया जाने लगा। 2009 से 2011 तक 15 साल से कम उम्र वाले बच्चों में पूरक रूप में हेपेटाइटिस बी के टीके लगाने का काम अहम सार्वजनिक स्वास्थ्य योजना में शामिल किया गया और 6 करोड़ 80 लाख से ज्यादा बच्चों, जो पहले इस का टीका लगाने से छूट गए थे, में टीके लगाये गए, परिणामस्वरूप हेपेटाइटिस बी पीड़ितों की संख्या बहुत घट गयी है। श्री यांग वीचुंग ने कहाः
वर्ष 1992 से अब तक चीन में टीका लगाने के कारण कम से कम 8 करोड़ लोग हेपेटाइटिस बी के संक्रमण से बच गए हैं। 1992 से 2005 तक के 14 सालों में चीन ने नवजात बच्चों में मुफ्त रूप में हेपेटाइटिस बी का टीका लगाने में कुल 5 अरब 30 करोड़ य्वान की धनराशि लगायी। इस रोग पर सफल कंट्रोल से 272 अरब 80 करोड़ य्वान बच गए।
राष्ट्रीय टीका योजना लागू होने के फलस्वरूप चीन में अन्य प्रकार के संक्रामक रोगों की रोकथाम में भी बड़ी सफलता मिली। ईसीएम और जेई जैसी बीमारियों की दर बहुत कम हो गयी और पेर्ट्युसिस, डिफ्थीरिया की दर चीन के इतिहास में सब से नीची आयी। फिर भी चीन के सामने अनेक चुनौतियां मौजूद हैं। उदाहरण के लिए पोलियो को लीजिए, 2000 में चीन और पश्चिम प्रशांत क्षेत्र में पोलियो का विनाश हो चुका है, 2011 तक चीन में इस बीमारी का कोई मामला दर्ज नहीं हुआ, लेकिन 2011 के अगस्त माह में चीन के सिन्चांग प्रदेश में विदेश से आए एक पोलियो का मामला पता चला, इसे देखकर देश भर में पोलियो की जांच, निगरानी और आपात रूप से टीका लगाने के अनेक कदम उठाए गए, जिससे इस रोग के फैलने पर अंकुश लगायी गयी और उस समय से अब तक छह महीनों में नया पोलियो मामला सामने नहीं आया।
टीका लगाने के क्षेत्र में चीन सरकार के प्रयासों का विश्व में उच्चमूल्यांकन किया गया। संयुक्त राष्ट्र बाल कोष के स्वास्थ्य व पोषण विभाग के प्रधान डाक्टर रोबर्ट स्चेर्पबियर ने कहा कि योजनाबद्ध टीका लगाने में चीन ने शानदार उपलब्धियां हासिल की हैं, जिससे करोड़ों बच्चे बीमारी के शिकंजे से बच गए। लेकिन तमाम लोगों में टीका लगाने की ऊंची दर बनाए रखने के लिए परिवारों व समाज की कोशिश जरूरी है। उन्हों ने कहाः
हालांकि चीन में टीका योजना में कामयाबियां हासिल हुई हैं, लेकिन देश के दूर दराज कुछ क्षेत्रों में और शहरों में प्रवासी परिवारों के बच्चों को योजना में शामिल करना कठिन काम है, उन के बीमारी पीड़ित होने के बाद स्वस्थ बच्चों में बीमारी का संक्रमण संभव है, इसलिए चीन में सभी परिवारों और समूचे समाज को बच्चों में टीका लगाने की गारंटी के लिए जिम्मेदारी उठानी चाहिए।