ब्राज़िल की यात्रा कर रहे चीनी तिब्बती विद प्रतनिधिमंडल ने 20 अप्रैल को रियो डी जनेरियो में ब्राजिल के चीन व एशिया प्रशांत अनुसंधान संस्थान, रियो डी जनेरियो के संघीय विश्वविद्यालय, रियो कैथोलिक विश्वविद्यालय के कन्फ्यूशियस संस्थान आदि अकादमिक संस्थाओं के विशेषज्ञों, विद्वानों, विद्यार्थियों व अध्यापकों के साथ संगोष्ठी बुलायी।
प्रतिनिधिमंडल के नेता, चीनी सामाजिक विज्ञान अकादमी के उप महासचिव हाओ शीयुआन ने संगोष्ठी में उपस्थित विशेषज्ञों व विद्वानों को चीन के जातीय मामलों और तिब्बत में जातीय सांस्कृतिक कार्य के विकास के बारे में जानकारी दी। उन्होंने कहा कि दलाई लामा के प्रभाव से पश्चिमी मीडिया और समाज हमेशा चीन के प्रति अविश्वास का रुख अपनाते रहते हैं, खास तौर पर तिब्बत के मुद्दे पर। चीनी तिब्बती विद द्वारा संबंधित अनुसंधान करने का एक उद्देश्य दुनिया को तिब्बत की वास्तविक जानकारी देना है।
ब्राजिल के चीन व एशिया प्रशांत अनुसंधान संस्थान के प्रधान खाब्राल ने कहा कि ब्राजिल राष्ट्रीय एकीकरण और विभिन्न विचारधाराओं में जातीय नीतियों का समर्थन करता है और साथ ही चीन व एशिया की शांति, स्थिरता, विकास का समर्थन भी करता है। वर्ष 1945 से ब्राजिल तिब्बत को चीन का एक अभिन्न अंग मानता रहता है। ब्राजिल के सामने नस्लवादी भेदभाव, मूलवासी रेड इंडियन की रक्षा आदि सवाल भी मौजूद हैं। चीन की जातीय नीतियां ब्राजिल के लिए सीखने योग्य हैं। (मीनू)