संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में 14 अप्रैल को सीरिया संकट के बारे में प्रथम प्रस्ताव पारित हुआ। इसे लेकर मध्य पूर्व सवाल के लिए चीनी विशेष दूत वु एन ख ने अपने एक लिखित लेख में बताया कि पूर्व संयुक्त राष्ट्र महा सचिव, सीरिया सवाल के लिए संयुक्त राष्ट्र विशेष दूत श्री क़ॉफि अन्नान का मध्यस्थता काम सीरिया संकट के राजनीतिक समाधान के लिए व्यावहारिक और प्रमुख रास्ता है। अन्तरराष्ट्रीय समाज को सीरिया सरकार और सीरियाई विरोधी पक्ष से अपने वचनों का पालन करते हुए अपने व्याहारिक काम से श्री अन्नान के प्रयासों का समर्थन करने से आग्रह करना चाहिए, ताकि सीरिया में यथाशीघ्र ही तनावपूर्ण स्थिति को शिथिल बनाये जाए और सीरिया के विभिन्न पक्षों के बीच राजनीतिक वार्ता शुरू हो जाए। यह सीरियाई जनता के भविष्य के लिए जिम्मेदाराना रवैया है, साथ ही अन्तरराष्ट्रीय समुदाय के मध्यस्थता के काम का सम्मान करना है।
संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद ने 14 अप्रैल को सर्वमति से सीरिया संकट के बारे में प्रथम प्रस्ताव पारित किया, जिस में यह निर्णण लिया गया है कि सीरिया में संयुक्त राष्ट्र निगरानी विशेष दल भेजने से पहले वहां 30 तक निहत्थे सैनिक निरीक्षकों से गठित अग्रिम दल भेजा जाएगा। प्रस्ताव में यह दोहराया गया है कि सुरक्षा परिषद पूरी तरह अन्नान के छह सूत्रीय सुझाव के सभी मुद्दों का समर्थन करती है, सीरिया सरकार से तुरंत खुले तौर पर अपने वचनों का पालन करने तथा विरोधी दलों समेत सभी पक्षों से तुरंत सभी प्रकार की सशस्त्र हिंसक कार्यवाहियों को बन्द करने की अपील की है।
विशेष दूत अन्नान तथा अन्तरराष्ट्रीय समाज के विभिन्न पक्षों के बीच संपन्न हुआ सीरिया फायरबंदी समझौता बड़ी मुश्किल से प्राप्त हुआ है और उत्साहजनक भी है, वह सीरिया संकट का राजनीतिक समाधान कराने की दिशा में आगे बढ़ा एक अहम कदम है। लेकिन वर्तमान की यह स्थिति बहुत कमजोर है, इसे मजबूत करने के लिए सीरिया के विभिन्न पक्षों को ठोस कदम उठाना चाहिए और स्थिति को स्थिर बनाने की समान कोशिश करनी चाहिए। सीरिया के विभिन्न पक्षों को चाहिए कि मानवीय सहायता के लिए अनुकूल स्थिति तैयार करें और सीरिया संकट के राजनैतिक समाधान को बढ़ावा दे दें।
बेशक, सीरिया सरकार और सीरियाई विरोधी पक्ष के बीच आपसी विश्वास की कमी है, सरकार ने फायरबंदी स्वीकार कर लेने के वक्त अपना जवाबी प्रहार का अधिकार सुरक्षित कर रखने को भी कहा। सीरियाई विरोधी पक्ष सरकार के सत्ता त्याग देने की अपनी मांग पर कायम रहा और सरकार के साथ संपर्क करना नहीं चाहता। अन्तरराष्ट्रीय समाज में भी सीरिया संकट के राजनीतिक समाधान के प्रति प्रतिकूल आवाज मौजूद है। इन कारणों से सीरिया की स्थिति बहुत जटिल हो गयी है। ऐसे में अन्तरराष्ट्रीय समाज को आशा है कि सीरिया के विभिन्न पक्ष देश व जनता के हितों को ध्यान में रखकर सीरिया संकट को राजनीतिक तरीके से हल करने की कोशिश करेंगे। फिर भी वस्तुगत स्थिति आशावान नहीं है।
इस तरह, अन्तरराष्ट्रीय समुदाय को सीरिया की स्थिति पर युक्तिसंगत निगरानी करने की व्यवस्था बनाना चाहिए जिस में सुरक्षा परिषद की भूमिका विशेष महत्वपूर्ण है। दरअसल, सीरिया के विभिन्न पक्ष फायरबंदी पर जो राजी हुए, वह संयुक्त राष्ट्र, चीन, रूस, अरब लीग तथा समूचे अन्तरराष्ट्रीय समुदाय के समान प्रयासों का नदीजा है। अन्तरराषट्रीय समुदाय ने सीरिया संकट के राजनीतिक समाधान के लिए ढेर सारे काम किए हैं. वर्तमान में विभिन्न पक्षों को इस नदीजे को आगे बढ़ाने की समान कोशिश करनी चाहिए।
चीन ने अपने तरीके से सीरिया सरकार और विभिन्न पक्षों में बहुत से काम किए हैं। चीन ने सीरिया सरकार और विभिन्न पक्षों को फायरबंदी लागू करने के लिए प्रोत्साहित किया, अन्नान के प्रयासों का समर्थन किया और छह सूत्रीय सुझाव को अमल में लाने के लिए आग्रह किया। चीन के रचनात्मक कामों का अच्छा नदीजा निकला और श्री अन्नान ने चीन के सक्रिय व रचनात्मक प्रयासों का उच्च मूल्यांकन किया।
वर्तमान में अन्तरराष्ट्रीय समुदाय में यह सहमति प्राप्त हुई है कि सीरिया लीबिया नहीं है, दोनों की स्थिति भिन्न है और प्रभाव भी अलग अलग है। सीरिया पर दोबारा लीबिया फार्मूला अपनाये जाने की इजाज़त नहीं है। सीरिया के कुछ क्षेत्रों में मानवीय सहायता व पुनर्निर्माण की पूंजी निहायत जरूरी है और मुठभेड़ों से मुसीबतों के असली शिकार सीरियाई जनता ही है. इसलिए अन्तरराष्ट्रीय समाज को सीरियाई जनता के हितों व मध्य पूर्व की शांति पर महत्व देते हुए एकमात्र विकल्प के रूप में राजनीतिक समाधान अपनाना चाहिए।
वर्तमान में विभिन्न पक्षों के कामधाम का जोर सीरिया सरकार व विरोधी दलों से वचनों का पालन करते हुए देश व जनता के हितों को सर्वोपरि स्थान पर रखकर ठोस कदमों से अन्नान के प्रयासों का साथ देने का आग्रह करने पर देना चाहिए ताकि जल्दी ही राजनीतिक वार्ता शुरू हो। यही सीरियाई जनता के प्रति जिम्मेदाराना रूख है और अन्तरराष्ट्रीय मध्यस्थता के लिए सम्मान करना है।