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पाकिस्तान हिमस्खलन में दबे व्यक्तियों के बचाव में संलग्न
2012-04-10 16:41:27

 पाकिस्तान की तीनों सेनाओं के सूचना ब्यूरो ने 8 अप्रैल को खबर दी है कि उत्तर पाकिस्तान के सियाचिन हिमनदी क्षेत्र में सात अप्रैल को हुए हिमस्खलन में फिर चार व्यक्तियों का पता लगाया गया है , इस से हिमस्खलन में दबे व्यक्तियों की संख्या 139 तक पहुंच गयी है । पाकिस्तान अब तलाशी अभियान चलाने में व्यस्त है , इस के साथ ही अमरीका जैसे दूसरे देशों के सहायता दल बचाव कार्य को तकनीकी समर्थन देने के लिये क्रमशः पाकिस्तान पहुंच गये हैं ।

सियाचिन हिमनदी पर स्थित पाकिस्तानी फौजी छावनी के पास सात अप्रैल की सुबह अचानक हिमस्खलन आया , इस हिमस्खलन ने 25 मीटर गहरे व 1000 मीटर चौड़े क्षेत्र को अपनी चपेट में ले लिया है , साथ ही सैनिकों व नागरिकों समेत 139 व्यक्ति लापता हुए हैं । 8 अप्रैल को पाकिस्तानी थल सेना के चीफ औफ जनरल स्टाफ कियानी ने हिमस्खलन ग्रस्त क्षेत्र का निरीक्षण दौरा किया और थल सेना को वायु सेना की सहायता में तमाम संभावित संसाधनों के माध्यम से पूर्ण रुप से तलाशी अभियान चलाने का आदेश दिया । एक पाकिस्तानी फौजी प्रवक्ता के अनुसार अभी तक सेना को किसी मृतक की लाश बरामद नहीं हुई , हिमस्खलन ग्रस्त क्षेत्र में जिंदा का कोई आसार भी नहीं मिला । बचाव कार्य अभी भी जारी है । अधिकतर सहायताकर्मी विशेष फौजी ट्रेनिंग लेने वाले तलाशी व बचाव इंजीनियरिंग तकनीशियन हैं और वे तकनीकी उपकरणों व भारी मशीनों से लैस हुए हैं । बचाव कार्य में कम से कम 286 पाकिस्तानी सैनिक और 60 स्थानीय नागरिक भी हैं । सेना ने बचाव कार्य में पांच हैलिकोप्टरों और तलाशी गुत्तों का सहारा भी लिया है । पर हिमस्खलन ग्रस्त क्षेत्र दूरदराज में है और वह समुद्र की सहत से कोई चार हजार मीटर की ऊंचाई पर स्थित भी है , साथ ही मौसम बहुत खराब है और मार्ग भी अत्यंत संकरा है , जिस से बचाव कार्य करना भारी कठिन है । पहले सेना को 9 अप्रैल को बचाव कार्य को सहायता देने के लिये रावलपिंडी से सियाचिन हिमस्खलन स्थल पर एक सी 130 परिवहन जहाज भेजना था , पर सियाचिन क्षेत्र में भारी बर्फ पड़ने और खराब मौसम की वजह से उड़ान भरने लायक नहीं है , परिवहन कार्य को स्थगित होना पड़ा । मौसम विभाग ने यह भविष्यवाणी भी की है कि भावी कई दिनों में और ज्यादा बर्फ पड़ेगी। फौजी अधिकारियों ने कहा कि इस क्षेत्र में निम्नतम तापमान शून्य से 50 डिग्री तक जाता है , दबे सैनिकों के जिंदा होने की संभावना बहुत कम है ।

जब उत्तर पाकिस्तान स्थित फौजी छावनी के पास अचानक हिमस्खलन आया , तो अंतर्राष्ट्रीय समुदाय ने लगातार सहायता देने में हाथ बटाया । 8 विशेषज्ञों से गठित एक अमरीकी बचाव सहायता दल 8 अप्रैल की रात को पाकिस्तान की राजधानी इस्लामावाद पहुच गया , योजनानुसार इस दल को नौ अप्रैल की रात को बचाव कार्य के लिये हिमस्खलन स्थल पर पहुंचना था , पर सियाचिन में भारी बर्फ पड़ने की वजह से अमरीकी बचाव सहायता दल हिमस्खलन स्थल नहीं पहुंच पाया , अब पाकिस्तानी सेना इस अमरीकी बचाब सहायता दल के साथ शीघ्र ही बचाव कार्य को पूरा करने पर विचार विमर्श कर रही है । इस के अलावा पाकिस्तानी सेना ने यह संकेत दिया है कि स्वीटज़रलैंड के तीन विशेषज्ञों से गठित एक बचाब दल और 6 जर्मन संकट प्रबंधन विशेषज्ञों से गठित बचाव सहायता दल आवश्यक साजसामान लिये 9 अप्रैल की रात को इस्लामाबाद पहुंच गये , अनुमान है कि वे बचाव सहायता कार्य को तकनीकी मदद उपलब्ध करा देंगे ।

लोकमत का मानना है कि हिमस्खलन दुर्घटना होने के बाद अमरीका ने बचाव कार्य के लिये ऊंचे वायु बचाव सहायता दल भेजने में पहल किया है , यह निष्क्रिय पाक अमरीका संबंध के सुधार के लिये निस्संदेह लाभदायक है । इस बार अमरीका ने एक तरफ अपना मानवीय मूल्य और तकनीकी क्षमता प्रदर्शित कर दी है , दूसरी तरफ पाकिस्तान को एक सकारात्मक सिगनल दिखा दिया है , ताकि बचाव सहायता के जरिये पाक अमरीका संबंध में शैथिलय आ सके । लेकिन अफगानिस्तान और आतंकवाद के खिलाफ आदि मामलों को लेकर दोनों देशों के बीच मूल हितों का अंतर मौजूद है , अमरीका की गाजर व डंडाशाही नीति ज्यादातर अपने देश के हित पर आधारित है , इसलिये विश्लेषकों का विचार है कि पाक अमरीका संबंध बचाव सहायता कार्यवाही से कुछ हद तक शिथिल आयेगा , पर इसी बचाव सहायता से दोनों देशों के संबंध में मूल बदलाव आने की संभावना कम है ।

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