दोस्तो , 29 मार्च को ब्रिक्स देशों का चौथा शिखर सम्मेलन भारत की राजधानी नयी दिल्ली में संपन्न हुआ । मौजूदा शिखर सम्मेलन में दिल्ली घोषणा पत्र और ब्रिक्स देशों की अनुसंधान रिपोर्ट जारी की गयी , साथ ही ब्रिक्स अंतर बैंक सहयोग तंत्र के तहत स्थानीय मुद्रा समझौते और बहुपक्षीय साख पत्र प्रमाणन सुविधा समझौते पर भी हस्ताक्षर हुए , जिस से विश्व को विकासमान देशों की आवाज उठायी गयी है और विकासमान देशों के हितों का संरक्षण व विस्तार भी हो पाया है ।
अतीत के तीन शिखर सम्मेलनों की तुलना में मौजूदा नयी दिल्ली शिखर सम्मेलन में चार पक्षीय अहम प्रगतियां प्राप्त हो गयी हैं ।
सर्वप्रथम नवोदित विकासशील देशों का प्रतिनिधित्व करने वाले ब्रिक्स देशों ने व्यापक अंतर्राष्ट्रीय मामलों के बारे में स्वतंत्र और स्पष्ट रुप से अपनी आवाज उठायी है और अपना रुख भी व्यक्त कर दिया है । वर्तमान विश्व आर्थिक बहाली व विकास के बारे में ब्रिक्स देशों ने विकसित देशों से यह अपील की है कि वे जिम्मेदाराना समग्र आर्थिक व वित्तीय नीतियां लागू करें , हद से ज्यादा भूमंडलीय बहाव से बच जाये और रोजगार के लिये ढांचे को सुधारें और आर्थिक वृद्धि को बढावा दें । अंतर्राष्ट्रीय वित्तीय व मौद्रिक व्यवस्थाओं के सुधार के बारे में ब्रिक्स देशों ने अंतर्राष्ट्रीय समुदाय से मांग की है कि वह अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष के कोटे व ढांचे के सुधार को गति दे , विश्व बैंक से दक्षिण उत्तर सहयोग के परिवर्तन में समन्वय से सभी देशों के साथ समान साझेदार संबंध को मजबूत करने की मांग भी की । साथ ही सुरक्षा के क्षेत्र में ब्रिक्स देश शांतिपूर्ण तरीके से सीरियाई सवाल व ईरानी सवाल का समाधान करने का पक्ष लेते हैं और मुठभेड़ों में वृद्धि आने का विरोध भी करते हैं ।
दूसरी तरफ वित्तीय क्षेत्र में सहयोग एक नयी उज्जवल बिंदु बन गया है । इस शिखर सम्मेलन ने सान या शिखर सम्मेलन के परिणामों को मूर्त रुप दिया ही नहीं , बल्कि अंतर विकास बैंक सहयोग तंत्र के तहत स्थानीय मुद्रा समझौते और बहुपक्षीय साख पत्र प्रमाणन सुविधा समझौते पर भी हस्ताक्षर किये , ताकि ब्रिक्स देश आपसी व्यापार , सेवा और पूंजी निवेश जैसी गतिविधियों में स्थानीय मुद्राओं का प्रयोग कर दें और विनिमय दर के जोखिस से बच जाये । इस के साथ ही नये विकास बैंक की स्थापना की संभावना की खोज निकाली गयी है , ताकि ब्रिक्स देशों और अन्य दूसरे विकासमान देशों के आधारभूत संस्थापनों व अनवरत विकास परियोजनाओं के लिये धन राशि जुटायी जा सके और मौजूदा बहुपक्षीय व क्षेत्रीय वित्तीय संस्था की हैसियत से भूमंडलीय वृद्धि व विकास का एक पूरक बन सके ।
अंतर्राष्ट्रीय विकास बैंक होने के नाते विश्व बैंक पिछले अनेक सालों में विकासशील देशों के बुनियादी विकास की जरुरतों को पूरा करने में असमर्थ रहा है , उस का वित्तीय समर्थन भी बहुत सीमित है । प्रस्ताविक ब्रिक्स विकास बैंक का उद्देश्य है कि इसी कमी की पूर्ति की जाये , ब्रिक्स देशों के मौजूदा वित्तीय संसाधन का पूर्ण रुप से प्रयोग किया जाये और ब्रिक्स देशों व विकासशील देशों के विकास को बढावा दिया जाये ।
तीसरी उपलब्धि यह है कि बहुपक्षीय व बहुक्षेत्रीय सहयोग परिस्थिति प्रारम्भिक तौर पर प्रकाश में आयी है ।
इस शिखर सम्मेलन में यह घोषित भी किया गया है कि ब्रिक्स देश कृषि , स्वास्थ्य , विज्ञान व तकनीकी और शहरीकरण जैसे क्षेत्रों में सहयोग जारी रखेंगे , युवा , शिक्षा , संस्कृति , पर्यटन और खेलकूद के क्षेत्रों में समझदारी और व्यक्तियों के आदान प्रदान को सकारात्मक रुप से बढावा देंगे । साथ ही ब्रिक्स देशों की अनुसंधान रिपोर्ट के अनुसार ब्रिक्स देश अपने ज्ञान , कोशल और तकनीक और सब से बढिया व्यवहारों के क्षेत्रों में श्रेष्ठ पूरक का आयाम प्रदर्शित करेंगे और सफल विकास अनुभवों का समान उपभोग कर देंगे ।
चौथी उपलब्धि है कि इस बात पर जोर दिया गया है कि ब्रिक्स देश विकासशील देशों का महत्वपूर्ण संगठित भाग है और वे विश्व शांति की रक्षा करने और समान विकास को बढावा देने की सकारात्मक शक्तियां भी हैं ।
इस शिखर सम्मेलन में चीनी राष्ट्राध्यक्ष हू चिन थाओ ने कहा कि ब्रिक्स देशों को अपने काम को बखूबी अंजाम देना और आर्थिक बृद्धि और जन जीवन के सुधार की बेहतर प्रवृति को बनाये रखना चाहिये । इस के साथ ही विभिन्न पक्षों के लिये यह जरुरी है कि वे एक दूसरे के भारी हितों व चिन्ताओं का ख्याल रखें , हमेशा के लिये अच्छे दोस्त , अच्छे साझोदार बन जाये । इस के अलावा राष्ट्राध्यक्ष हू चिन थाओ ने ब्रिक्स देशों के सहयोग पर चार सूत्रीय ठोस सुझाव भी दिये , जिस से अंतर ब्रिक्स देशी भावी सहयोग के लिये प्रधान राग सुनिश्चित कर दिया गया है । इधर सालों में ब्रिक्स देश विश्व आर्थिक विकास का महत्वपूर्ण इंजन बन गये हैं । अपने प्रयासों और आपसी सहयोग के माध्यम से अपने आर्थिक स्थिरता और तेज विकास की सुनिश्चितता भूमंडलीय आर्थतंत्र के लिये ब्रिक्स देशों का सब से बड़ा योगदान है । इसलिये हू चिन थाओ के सुझावों को अन्य ब्रिक्स देशों की ओर से खूब दाद मिली है ।
बहुतायत अंतर्राष्ट्रीय सहयोग तंत्रों में से एक होने के नाते ब्रिक्स देश प्रणाली की विशेषता अपनी नवोदित बाजार देश की हैसियत ही है । भविष्य की ओर देखा जाए , ब्रिक्स देश इसी विशेष श्रेष्ठता के सहारे भूमंडलीय सुधार व सतत विकास सहयोग , दक्षिण दक्षिण सहयोग , उत्तर दक्षिण सहयोग और अंतर्राष्ट्रीय संबंध लोकतंत्रीकरण को बढावा देंगे और अच्छी तरह विकासमान देशों के हितों की रक्षा करने व उन का विस्तार करने में समर्थ होंगे ।
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