चीनी राष्ट्राध्यक्ष हू चिनथाओ ने 29 मार्च को नई दिल्ली में भारतीय प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह से मुलाकात की। दोनों नेताओं ने वर्ष 2012 को चीन-भारत मैत्रीपूर्ण सहयोग वर्ष निश्चित करने की घोषणा की। दोनों देश इस मौके पर द्विपक्षीय रणनीतिक व साझेदारी संबंधों को नए स्तर पर पहुंचाएंगे।
हू चिनथाओ ने हाल के वर्षों में चीन-भारत संबंधों के विकास का सक्रिय मूल्यांकन किया और ज़ोर देते हुए कहा कि चीन व भारत दोनों बड़े विकासशील देश हैं। दोनों के सामने विकास के अहम मौके हैं। चीन द्विपक्षीय मैत्री व रणनीतिक सहयोग मजबूत करने और समान विकास आगे बढ़ाने आदि नीतियों पर कायम रहेगा। चीन को उम्मीद है कि दोनों देशों की मैत्री हमेशा कायम रहेगी। चीन द्विपक्षीय संबंधों को ज़्यादा शक्तिशाली बनाने के लिए कोशिश करेगा।
उन्होंने द्विपक्षीय संबंधों के विकास के बारे में 5 सुझाव भी पेश किए। पहला है उच्च स्तरीय आवाजाही बनाए रखते हुए राजनीतिक विश्वास आगे बढ़ाना। दूसरा है व्यवहारिक सहयोग गहरा करते हुए उभय जीत व्यापक करना। तीसरा है मानविकी आदान प्रदान मज़बूत करना। चौथा है आपसी मतभेदों को सही तरीके से निपटना, पांचवां है संपर्क व समन्वय मज़बूत करते हुए अंतरराष्ट्रीय व क्षेत्रीय मामलों में सहयोग व्यापक करना।
मनमोहन सिंह ने कहा कि चीन-भारत संबंध 21वीं शताब्दी में सबसे अहम द्विपक्षीय संबंध हैं। दोनों देश एक दूसरे से सीखकर एक साथ तेज़ विकास कर सकते हैं। भारत व्यावहारिक कदम उठाकर चीनी कंपनियों के भारत में निवेश का स्वागत करेगा। भारत चीन के साथ पार्टियों, मीडिया और मानविकी का आदान प्रदान करते हुए क्षेत्रीय व अंतरराष्ट्रीय मामलों में समन्वय व सहयोग मज़बूत करना चाहता है।
सिंह ने कहा कि भारत किसी भी तरह से चीन को नियंत्रित करने वाली रणनीति में भाग नहीं लेगा। भारत का मानना है कि तिब्बत चीन का ही हिस्सा है, और भारत में तिब्बती लोगों के चीन विरोधी कार्रवाइयों को अनुमति नहीं देगा। भारत चीन के साथ मैत्रीपूर्ण रूप से सीमा मुद्दे का समाधान कर वहां शांति का संरक्षण करना चाहता है।
मुलाकात के बाद दोनों नेताओं ने एक साथ परंपरागत दीप प्रज्जवलन रस्म में भाग लिया। इस तरह चीन-भारत मैत्रीपूर्ण सहयोग वर्ष औपचारिक से शुरू हुआ।
(दिनेश)