ब्रिक्स देशों के चौथे शिखर सम्मेलन में आर्थिक, व्यापारिक व बैंकिंग क्षेत्रों से संबंधित कार्यसूचियां 28 मार्च को सब से पहले शुरु हो गयीं। ब्रिक्स देशों का उद्योग व वाणिज्य मंच, ब्रिक्स देशों की संयुक्त बैंक व्यवस्था की वार्षिक बैठक तथा ब्रिक्स देशों के आर्थिक व व्यापारिक मंत्री सम्मेलन क्रमशः नई दिल्ली में आयोजित हुए, जिन में उपस्थित विभिन्न देशों के वाणिज्यिक, व्यापारिक और बैंकिंग क्षेत्रों के जिम्मेदार व्यक्तियों ने ब्रिक्स देशों के बीच आर्थिक, व्यापारिक व बैंकिंग सहयोग को लेकर व्यापक रूप से विचारों का आदान प्रदान किया।
28 मार्च को हुए उक्त सम्मेलनों में मुख्य तौर पर वर्तमान वैश्विक परिस्थिति में ब्रिक्स देशों के बीच समन्वय व सहयोग मज़बूत करने पर विचार विमर्श किया गया, ताकि अपनी आर्थिक वृद्धि बढ़ाने के साथ साथ ब्रिक्स देशों के बीच आर्थिक व व्यापारिक तथा पूंजी निवेश सहयोग का विकास मज़बूत हो सके। भारतीय उद्योग व वाणिज्य मंत्री आनंद शर्मा ने इसी दिन आयोजित आर्थिक व व्यापारिक मंत्री सम्मेलन में भाग लेने के बाद हमारे संवाददाता से कहा:"मौजूदा शिखर सम्मेलन ने सानया सम्मेलन के बाद विभिन्न देशों को सिलसिलेवार महत्वपूर्ण मामलों पर विचारों के आदान प्रदान के लिए अच्छा मौका दिया है। मसलन् हालिया अंतरराष्ट्रीय व क्षेत्रीय मामलात, विश्व आर्थिक चुनौतियां, युरो क्षेत्र का संकट तथा इन सवालों से ब्रिक्स देशों पर पड़ने वाले प्रभाव आदि आदि। हम ने समान रूचि वाले सवालों को लेकर आपस में सदिच्छापूर्ण रूप से विचारों का आदान प्रदान किया।"
सम्मेलन के बाद जारी एक साझा वक्तव्य में विभिन्न देशों के मंत्रियों ने एक स्वर में बल देकर कहा कि वर्तमान विश्व आर्थिक स्थिति ने पांच ब्रिक्स देशों समेत सभी देशों के लिये गंभीर चुनौती पेश की है । इसतरह ब्रिक्स देशों को घनिष्ट रुप से एकजुट होकर व्यापारिक संरक्षणवाद का विरोध करने और ब्रिक्स देशों के बीच व्यापार व सहयोग की मजबूती के लिये विविधतापूर्ण ठोस कदम उठाने चाहिए, ताकि विश्व आर्थिक पुनरुत्थान को प्रेरित किया या जा सके। चीनी वाणिज्य मंत्री छङ देहमिंगने कहा: "हम पांच देश इसी बात पर सहमत हुए हैं कि आपस में और अदिक व्यापारिक सुविधाएं तथा व्यापारिक सहयोग मज़बूत करेंगे, जिस में मुद्रा समाशोधन, इलेक्ट्रोनिक नेटवर्क का प्रयोग, मध्य व लघु कारोबारों का सहयोग तथा तकनीकी सहयोग आदि शामिल हैं।"
चीनी वाणिज्य मंत्री छङ देहमिंग के अनुसार ब्रिक्स देशों ने ईरान के तेल सवाल पर विचारों का आदान प्रदान भी किया। उन्होंने इसी सवाल पर चीन के रूख से अवगत कराते हुए कहा कि चीन विश्व के बहुपक्षीय संगठनों , विशेष कर संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के विभिन्न निर्णयों का कड़ाई से पालन करता है। चाहे ईरान हो या कोई दूसरा देश क्यों न हो, चीन का रूख कभी भी नहीं बदलता। इस के साथ ही चीन संयुक्त राष्ट्र के प्रस्तावों का पालन करने के चलते और संयुक्त राष्ट्र के प्रस्तावों का उल्लंघन न करने की हातल में ईरान समेत दूसरे देशों के साथ सामान्य आर्थिक व व्यापारिक संबंध बनाये रखता है । चीन को दूसरे देशों के अंदरूनी कानूनों का पालन करने का कोई कर्तव्य नहीं है और यह आशा भी है कि विभिन्न देशों के अंदरूनी कानून अंतरराष्ट्रीय बहुपक्षीय मामलों में दखल न देंगे ।
इस के अलावा सम्मेलन में पांच देशों के आर्थिक व व्यापारिक मंत्रियों ने दोहा राऊंड वार्ता, विश्व व्यापार संगठन तथा जी 20 आर्थिक व व्यापारिक मंत्री सम्मेलन आदि विषयों पर भी विचार विमर्श किया और पूर्ण रुप से समन्वित कार्य किया । ताकि ब्रिक्स देशों की एक समग्र आवाज उठायी जा सके ।
इसी दिन पांच देशों के विकास बैंकों द्वारा प्रस्तावित ब्रिक्स देशों के इंटर बैंक एसोसिएशन के सहयोग तंत्र का दूसरा वार्षिक सम्मेलन भी आयोजित हुआ , सम्मेलन में उपस्थित प्रतिनिधियों ने ब्रिक्स देशों के स्थिर व स्वस्थ विकास को लेकर भूमंडलीय निपटारे, ब्रिक्स देशों के अनवरत विकास, हरित अर्थ व्यवस्था आदि विषयों पर विचार विमर्श किया और ब्रिक्स देशों के बैंकों के बीच समन्वय व सहयोग की मज़बूती, सामान्य अंतर्राष्ट्रीय आर्थिक व वित्तीय व्यवस्था को बनाए रखने, मैत्रीपूर्ण वातावरण वाले आर्थिक नमूने की स्थापना करन के मामलों पर व्यापक मतैक्य प्राप्त किया। चीनी विकास बैंक के अध्यक्ष छङ य्वान ने सम्मेलन के बाद हमारे संवाददाता से कहा:"ब्रिक्स देशों की बैंक सहयोग व्यवस्था के सदस्य《ब्रिक्स देशों के बैंक सहयोग तंत्र में बहुपक्षीय मुद्रा मूल संधि》तथा《बहुपक्षीय क्रेडिट सेवा संधि》 पर समान रूप से हस्ताक्षर करेंगे, मकसद है कि बहुपक्षों से द्विपक्षों को बढावा देने के तरीके से ब्रिक्स देशों के भीतर तिजारती मालों , सेवाओं और पूंजी निवेश में अपनी सरकारी मुद्रा का प्रयोग किया जाये ।
वार्षिक सम्मेलन में भाग लेने वाले विभिन्न देशों के विकास बैंकों के जिम्मेदार व्यक्तियों का समान विचार है कि वर्ष 2010 में ब्रिक्स देशों के बैंक सहयोग तंत्र की स्थापना से लेकर अब तक विभिन्न सदस्य देशों ने आपसी विश्वास व पारस्परिक लाभ के आधार पर समन्वय व सहयोग मज़बूत कर बैंक सहयोग तंत्र की क्षमता व सकुशल संचालन को बढ़ाने की कोशिश की, और सदस्य देशों के आर्थिक व व्यापारिक सहयोग तथा सतत विकास के लिए सकारात्मक भूमिका निभाई ।