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तिब्बत के प्रतिनिधियों ने भिक्षुओं की आत्मदाह वारदात की असलियत की पोल खोली
2012-03-26 15:27:51

चीन का तिब्बत कार्यक्रम सुनने के लिए आपका स्वागत है। कुछ दिन पहले पेइचिंग में आयोजित चीनी राष्ट्रीय जन प्रतिनिधि सभा के वार्षिक सम्मेलन के दौरान चीनी तिब्बत स्वायत्त प्रदेश के अध्यक्ष पैमाछिलिन ने चीनी व विदेशी मीडिया को दिए साक्षात्कार में कहा कि वर्तमान तिब्बत में आत्म दाह का कोई मामला नहीं है, वहां की सामाजिक स्थिति सुस्थिर रही है। उन्होंने बलपूर्वक कहा कि जातीय एकता तिब्बत की विभिन्न जातियों की जनता के लिए जीवन की गारंटी है और सभी लोग अमनचैन का जीवन बिताना चाहते हैं। इसलिए मुश्किल से प्राप्त आज के सुखमय जीवन की रक्षा करना अत्यन्त जरूरी है। इसके अलावा चीनी राष्ट्रीय जन प्रतिनिधि सभा के वार्षिक सम्मेलन में उपस्थित स्छ्वान प्रांत के तिब्बती स्वायत्त प्रिफैक्चर के प्रतिनिधियों ने कुछ समय पूर्व स्छ्वान प्रांत के आबा तिब्बती स्वायत्त प्रिफैक्चर में हुई भिक्षुओं की आत्मदाह वारदात की असलियत की पोल खोली। सुनिए एक रिपोर्ट

सूत्रों के अनुसार 7 मार्च के दोपहर बाद पेइचिंग के बृहत जन सभा भवन में आयोजित तिब्बती प्रतिनिधि मंडल की बैठक में कवरेज के लिए 140 से अधिक चीनी व विदेशी पत्रकार इकट्ठे हुए। ब्रिटिश समाचार समिति रायटर के संवाददाता ने तिब्बती आबादी क्षेत्र में आत्म दाह घटना के बारे में सवाल किया। इस के जवाब में तिब्बत स्वायत्त प्रदेश के अध्यक्ष पैमाछिलिन ने जानकारी देते हुए कहा कि वर्तमान में तिब्बत में आत्म दाह का कोई मामला नहीं हुआ है और वहां के निवासी सुखचैन का जीवन बिता रहे हैं। इसकी चर्चा में पैमाछिलिन ने कहा:

"वर्तमान तिब्बत में आत्मदाह की कोई घटना नहीं हुई है, वहां आम स्थिति सुस्थिर है। आत्मदाह हो अथवा अन्य आत्मघात की घटना हो, जिसपर मुझे बड़ी दुख होगी, मनुष्य का जीवन एकबारगी का है और अत्यन्त मूल्यवान है, आत्मदाह के रूप में जीवन का त्याग देना मानवता का तिरस्कार है और तिब्बती बौद्ध धर्म के विरुद्ध है। साथ ही मानव जाति की नेक प्रवृत्ति और मूल धर्म का उल्लंघन भी है। आत्मदाह को उकसाने तथा उस का समर्थन करने वालों को कानून के मुताबिक दंड दिया जाना चाहिए।"

पिछले साल में चीन के सछ्वान प्रांत के तिब्बती आबादी क्षेत्र में कई आत्मदाह की घटनाएं हुई थीं, जो सभी एक ही लामा मंदिर यानी आबा तिब्बती व छांग जातीय स्वायत्त प्रिफैक्चर के आबा जिले के कल्टन मठ में घटित हुई। इस के अलावा अब तक तिब्बत स्वायत्त प्रदेश में स्थित 1700 से ज्यादा मठों में ऐसी कोई घटना नहीं हुई।

उधर चीनी राष्ट्रीय जन प्रतिनिधि सभा के पांचवें पूर्णाधिवेशन में हिस्सेदार सछ्वान प्रांतीय प्रतिनिधि मंडल ने सात मार्च को खुली दलीय गतिविधि चलायी, मौके पर प्रतिनिधि मंडल के सभी प्रतिनिधियों ने सुबह की मीटिंग की समाप्ति पर सामूहिक साक्षात्कार दिया। साक्षात्कार के दौरान अबा प्रिफेक्चर के इने गिने मठों में हुई भिक्षुओं की आत्मदाह वारदात को लेकर देशी विदेशी संवाददाताओं के प्रश्नों का जवाब दिया। चीनी राष्ट्रीय जन प्रतिनिधि सभा के प्रतिनिधि व सछ्वान प्रांत के अबा तिब्बती व छांग जातीय स्वशासन प्रिफेक्चर के गवर्नर ऊ त्से कांग ने उक्त वारदात की असलियत से अवगत कराया, साथ ही दलाई गुट जैसे समुद्रपारीय तिब्बती अलगाववादी शक्तियों के आत्मदाह घटना खड़ी करने तथा प्राणबलिदान से सामाजिक स्थिरता को भंग करने में और अधिक भिक्षुओं व आम लोगों को उकसाने के अलसी तत्व की पोल खोली।

ऊ त्से कांग ने कहा कि जांच पड़ताल परिणामों ने पूर्ण रूप से साबित कर दिखाया है कि यह आत्मदाह वारदात एक षड़यंत्रकारी हरकत है। बाहरी तिब्बती अलगाववादी शक्तियों व संगठनों ने आत्मदाह करने वाले लोगों का तथाकथित वीर के रुप में खूब ढिंढोरा पीटा और आत्मदाह हरकत को प्रलोभन, प्रोत्साहन और समर्थन देने की कुत्सित कोशिश की। ऊ त्सेकांग का कहना है:

"सर्वप्रथम आत्मदाह करने वाले लोगों ने आत्मदाह से पहले बुलंद आवाज में तिब्बत की स्वाधीनता जैसे फूटपरस्त नारे लगाये , फिर कुछ लोगों ने आत्मदाह से पहले अपने फोटो बाहरी तिब्बती अलगाववादी संगठनों को भी भेज दिये । अतः अधिकांश आत्मदाह घटनाएं घटित होने के तुरंत बाद बाहरी तिब्बती अलगाववादी शक्तियों ने आत्मदाह वारदातों के तत्काल स्थल फोटो, आत्मदाह करने वाले लोगों के फोटो और संबंधित सूचनाएं सार्वजनिक कीं तथा वास्तुगत तथ्यों के खिलाफ दुराश्य लिये खूब प्रचार प्रसार कर दिया । इस के अलावा कुछ बाहरी संगठनों ने आत्मदाह करने वाले लोगों को प्रोत्साहन देने के लिये ठोस मुआवजा कीमत भी घोषित की।"

ऊ त्से कांन ने परिचय देते हुए कहा कि पुलिस की जांच पड़ताल से पता चला है कि हाल ही में घटित कई आत्मदाह घटनाओं में उन व्यक्तियों, जो धार्मिक जीवन को छोड़कर साधारण जीवन बिताने लगे हैं, की यह समान विशेषता देखी जा सकती है कि वे सब के सब अपराधी ठहराये गये हैं और समाज में बदनाम ही नहीं, सामाजिक मान्यता न मिलने की वजह से हताश भी हुए हैं। ऊ त्से कांग ने आगे कहा कि ठीक ही दलाई लामा गुट व तिब्बती फूटपरस्त शक्तियों के प्रलोभन व समर्थन से आत्मदाह घटनाएं लगातार घटित हुई हैं। उन्होंने कहा:

"तिब्बती लामा बौद्ध धर्म का अध्यात्मिक नेता होने के नाते 14 वें दलाई लामा ने न सिर्फ तिब्बती लामा बौद्ध धर्म के सिद्धांत के खिलाफ इसी कार्यवाही पर रोक नहीं लगायी है, बल्कि मानव जाति और समाज विरोधी कार्यवाही को उकसाया और समर्थन भी दिया, इन व्यक्तियों का बेजा फायदा उठाकर अपनी पापी व शर्मनाक व्य़वहारों को धोने की कोशशि की, साथ ही उन्होंने आत्मदाह करने वाले लोगों के लिये समारक खड़ा किया और उन्हें तथाकथिक वीर का रुप भी दे दिया तथा उन के सम्मान में मंत्र पढ़कर आशा व्यक्त की कि उन की आत्मा स्वर्ग में जाएगी। यह हरकत प्रलोभित व धोखेभरी है।"

सामूहिक साक्षात्कार के दौरान चीनी राष्ट्रीय जन प्रतिनिधि सभा के प्रतिनिधि और सछ्वान प्रांत के कान ची प्रिफेक्चर के बौद्ध धर्म के अध्यक्ष जीवित बुद्ध कातेन ने कहा कि आत्मदाह हरकत तिब्बती लामा बौद्ध धार्मिक सिद्धांतों के उल्लंघन है और समूचे धार्मिक जगतों के व्यक्ति आत्मदाह का विरोध करते हैं। जीवित बुद्ध कातेन का कहना है:

"बौद्ध धर्म संघ का जिम्मेदार होने के नाते मैं अपने संघ के सभी धार्मिक व्यक्तियों के साथ आत्मदाह का विरोध करता हूं। आत्मदाह करने वाले लोग बौद्ध धर्म के बारे में कुछ नहीं जानते। इसलिये कहा जा सकता है कि आत्मदाह करने वाले लोगों ने हमारे तिब्बती लामा बौद्ध धर्म की नियमित गतिविधियों पर कुप्रभाव डाल दिया है, हम इस का कड़ा विरोध करते हैं, क्योंकि यह हमारे तिब्बती लामा बौद्ध धर्म के नियमों के खिलाफ भी है ।"

ए . पी के संवाददाता द्वारा यह पूछे जाने पर कि तिब्बती क्षेत्र में कुछ व्यक्तियों ने सरकार पर अल्पसंख्यक जातीय संस्कृतियों को प्रतिबंधित लगाने की शिकायत की है , तो चीनी राष्ट्रीय जन प्रतिनिधि सभा के प्रतिनिधि व सछ्वान प्रांतीय कम्युनिस्ट पार्टी कमेटी के सचिव ल्यू छी पाओ ने इस का जवाब देते हुए कहा कि यह सवाल वास्तविक जीवन में उठता ही नहीं है।

"तिब्बती जातीय संस्कृति चीनी राष्ट्रीय संस्कृतियों का एक महत्वपूर्ण संगठित भाग है, हम हमेशा से श्रेष्ठ अल्पसंख्यक जातीय संस्कृतियों को संरक्षित व प्रदर्शित करते आये हैं, तिब्बती जातीय संस्कृति इस का अपवाद भी नहीं है। तिब्बती क्षेत्रों की हर जगह पर तिब्बती सांस्कृतिक संस्थापन और सांस्कृतिक गतिविधियां देखने को मिलती हैं, हम कानूनी तौर पर धार्मिक विश्वास की स्वतंत्रता का संरक्षण करते हैं। इन क्षेत्रों में धार्मिक अनुयायी मुक्त रुप से धार्मिक अखाड़ों में आ जाते हैं, सरकार ने विविधतापूर्ण सुविधाएं उपलब्ध करायी हैं। सरकार ने मठों के भिक्षुओं व भिक्षुणियों को चिकित्सा बीमा व पेंश आदि गारंटी दे दी है, साथ ही मठों के कुछ सार्वजनिक आधारभूत संस्थापनों के निर्माण में धन राशि भी जुटायी।"

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