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सीरिया सवाल पर संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद का अध्यक्षीय वक्तव्य
2012-03-22 16:56:22

अमेरिकी समय के अनुसार 21 मार्च को सुबह, संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में सीरिया सवाल के बारे में एक अध्यक्षीय वक्तव्य पारित हुआ, जिसमें सीरिया संकट के लिए संयुक्त राष्ट्र विशेष दूत कॉफि अन्नान के सभी शांति प्रयासों का समर्थन जताया गया और सीरिया के विभिन्न पक्षों से चौतरफा रूप से तुरंत कॉफि अन्नान के 6 सूत्रीय कार्य योजना का पालन करने की अपील की गयी है।

पूर्व संयुक्त राष्ट्र महा सचिव श्री कॉफि अन्नान फिलहाल संयुक्त राष्ट्र विशेष दूत के रूप में सीरिया के विभिन्न पक्षों के बीच मध्यस्थता करने में लगे हैं, जिसका लक्ष्य एक साल लम्बे चले सीरिया संकट का समाधान होना है। मार्च के महीने में श्री अन्नान ने दिमश्क में सीरिया सरकार को 6 सूत्रीय शांति प्रस्ताव दिया जिस के मुख्य विषय में हिंसा व नरसंहार को बन्द करना, मानवीय सहायता को सीरिया में जाने देना, कैदियों को रिहा करना तथा राजनीतिक वार्ता से सीरिया संकट को दूर करना आदि शामिल हैं।

सुरक्षा परिषद के अध्यक्षीय वक्तव्य में श्री अन्नान के प्रयासों का पूरा समर्थन किया गया। वक्तव्य में सीरिया सरकार और विरोधी पक्षों से विशेष दूत के साथ सच्चे माइने में सहयोग करने तथा मिलकर संकट के शांतिपूर्ण समाधान के उपाये की खोज करने का आग्रह किया गया, साथ ही संपूर्ण रूप से तुरंत अन्नान के 6 सूत्रीय प्रस्ताव का पालन करने पर बल दिया गया। वक्तव्य में कहा गया है कि संयुक्त राष्ट्र संघ श्री अन्नान की कोशिशों की स्थिति के मुताबिक अन्य समुचित कदम उठाने पर विचार कर सकता है। लेकिन उसमें सीरिया की सत्ता के बदलाव व बल प्रयोग से संकट के समाधान की बातें नहीं कही गयी।

संयुक्त राष्ट्र महा सचिल बान कि मून ने 21 तारीख को अपने प्रवक्ता के जरिए बयान जारी करके अध्यक्षीय वक्तव्य का जोशीला स्वागत किया। इससे एक दिन पहले उन्हों ने इंडोनिशिया में हुए एक संवाददाता सम्मेलन में कहा था कि सीरिया संकट के समाधान के लिए अन्तरराष्ट्रीय समाज को एकमतता बनाए रखनी चाहिए। उन्होंने कहा कि बीते एक साल में सीरिया में 8000 से अधिक लोगों ने जान गंवायी है, अब वहां की स्थिति असह्य हो गयी है। अब एक मिनट का समय गंवाने पर अनेक मौतें हो सकती हैं। संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के अध्यक्षीय वक्तव्य से एक स्पष्ट और एकीकृत मत प्रकट हुआ है।

संयुक्त राष्ट्र स्थित चीनी स्थाई राजदूत ली बो तुंग ने भी कहा कि सुरक्षा परिषद के इस अध्यक्षीय वक्तव्य से सुरक्षा परिषद की एकता की आवाज गूंजी है और वह सीरिया सवाल के राजनीतिक समाधान की दिशा में बढ़ा एक कदम है।

वास्तव में सीरिया सवाल पर विभिन्न शक्तियों के बीच शक्ति की आजमाइश हो रही है, अध्यक्षीय वक्तव्य का संपन्न होना बल आजमाइश का नदीजा है।

19 मार्च को फ्रांस ने सुरक्षा परिषद को पश्चिमी देशों द्वारा प्रस्तुत एक वक्तव्य सौंपा, जिस के अनुसार सुरक्षा परिषद सीरिया में बिगड़ती हुई स्थिति पर सब से बड़ी चिंता प्रकट करेगी और श्री अन्नान की 6 सूत्रीय योजना का पूरा समर्थन करेगी, साथ ही सीरिया को प्रतिरोध आंदोलन के हिंसक दमन को बन्द करने का जबरदस्त संदेश पहुंचाया जाएगा । मीडिया ने कहा कि पश्चिमी राजनयिकों ने संकेत किया है कि पश्चिमी देशों ने इसलिए इस प्रकार का वक्तव्य जारी करवाने की कोशिश की है, कयोंकि वे सुरक्षा परिषद में सीरिया सवाल पर गतरोध तोड़ने के कटिबद्ध हैं।

उधर, रूसी विदेश मंत्री लावरोव ने 19 मार्च को अन्तरराष्ट्रीय रेड क्रास समिति के अध्यक्ष के साथ सीरिया में फायरबंदी व मानवीय सहायता के सवाल पर बातचीत की। रूस ने सीरिया सरकार और विरोधी पक्ष ने रोज दो घंटे फायर बंद करने की मांग की, ताकि मानवीय सहायता चल सके।

रूस के इस रुख पर अमेरिकी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता विक्टोरिया न्यूलैंड ने तुरंत स्वागत जताया। उन्होंने कहा कि अमेरिका का सीरिया सवाल पर रूस के रूख में आए इस परिवर्तन पर ध्यान गया है और माना है कि रूस के रूख में सकारात्मक प्रगति हुई है।

गैरतलब है कि रूस ने फिर कहा है कि वह सुरक्षा परिषद में श्री अन्नान की योजना के समर्थन में प्रस्ताव पारित करने पर सहमत है। श्री लावरोव ने 20 तारीख को मस्को में लेबनान के विदेश मंत्री मांसूल के साथ बातचीत के बाद मीडिया से कहा कि रूस सीरिया संकट के समाधान के लिए अन्नान के प्रस्ताव का समर्थन करेगा।

माना जाता है कि सुरक्षा परिषद का अध्यक्षीय वक्तव्य कानूनी बंधन-शक्ति नहीं रखता है।

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