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चीनी राष्ट्राध्यक्ष नाभिकीय सुरक्षा के बारे में दूसरे शिखर सम्मेलन में भाग लेंगे
2012-03-21 16:40:37

नाभिकीय सुरक्षा के बारे में दूसरा शिखर सम्मेलन 26 व 27 मार्च को दक्षिण कोरिया की राजधानी सियोल में होगा, जिसमें विश्व के 50 देशों व अन्तरराष्ट्रीय संगठनों के नेता उपस्थित होंगे। चीनी राष्ट्राध्यक्ष हु चिनथाओ भी सम्मेलन में हिस्सा लेंगे और नाभिकीय सुरक्षा के बारे में चीन की नीति व सुझाव पर प्रकाश डालेंगे। चीनी विशेषज्ञों ने कहा कि वर्तमान अन्तरराष्ट्रीय समाज में नाभिकीय सवाल पर गंभीर चुनौतियां मौजूद हैं, नाभिकीय आतंकवाद से निपटने के लिए विश्वव्यापी निवारण पर बल दिया जाना चाहिए।

न्यूक्लियर सुरक्षा अब विश्व में एक सर्वविदित शब्द है, चेर्नाबिल व फुकुशिमा में हुई न्यूक्लियर रिसाव घटना की काली साया अभी लोगों के सिर पर मंडरा रही है। इसलिए न्यूक्लियर सुरक्षा का सवाल पूरी दुनिया में ध्यानाकर्षक मुद्दा है। प्राकृतिक विपत्तियों के अलावा नाभिकीय आतंकवाद भी बड़ा खतरनाक सिद्ध हुआ है, सियोल में होने वाले नाभिकीय सुरक्षा शिखर सम्मेलन में इसी सवाल पर विचार विमर्श होगा कि किस तरह आतंकवादियों को न्यूक्लियर सामग्री हथियाकर आतंकी कार्यवाही करने से रोका जाए। इस विषय पर चीनी अन्तरराष्ट्रीय अध्ययन संस्थान के प्रधान छ्यो शिंग ने कहाः

इन सालों में न्यूक्लियर संस्थापनों और परमाणु बिजली घर के विकास में भारी तरक्की हुई है, अधिक से अधिक देश में परमाणु बिजली बनाने की शक्ति प्राप्त हुई है, नाभिकीय ऊर्जा का प्रयोग व्यापक क्षेत्र में हो रहा है। लेकिन इस के साथ यह समस्या भी उत्पन्न हुई है कि कुछ युद्धग्रस्त, मुठभेड़ वाले तथा गरीब क्षेत्रों में आतंकवाद का सिर उठ रहा है, इसलिए वहां न्यूक्लियर सुरक्षा के लिए बड़ी चुनौति पैदा हुई। ऐसी स्थिति में नाभिकीय सुरक्षा के बारे में 2010 में वाशिंगटन में प्रथम शिखर सम्मेलन हुआ और इस साल सियोल में इस का दूसरा सम्मेलन हो रहा है।

न्यूक्लियर ऊर्जा का विकास एक महान वैज्ञानिक उपलब्धि है, पूरे विश्व में न्यूक्लियर ऊर्जा की मांग लगातार बढ़ती जा रही है, न्यूक्लियर ऊर्जा अब विभिन्न देशों के आर्थिक विकास से घनिष्ठ रूप से जुड़ गयी है। पिछले साल में ही करीब 60 देशों ने अन्तरराष्ट्रीय परमाणु शक्ति संस्था से नया परमाणु बिजली घर बनाने की अर्जी दी, जिनमें से कई देशों की विज्ञान तकनीकी शक्ति, तकनीशियनों की कार्यक्षमता और सामाजिक प्रबंध का स्तर काफी नीचा है, इसलिए वहां नाभिकीय ऊर्जा के संचालन, परिवहन और निवारण आदि पहलुओं में बड़ा खतरा मौजूद है। इस समस्या के समाधान के लिए किसी एक देश की शक्ति काफी नहीं है, इस के समाधान के लिए पूरे विश्व की कोशिश की जरूरत है। इस पर श्री छ्यो शिंग ने कहाः

यदि किसी देश में नाभिकीय संस्थापन में दुर्घटना हुई, तो इस के प्रभाव में दुनिया का बहुत बड़ा भाग आ जाएगा और इससे निपटने के लिए पूरे अन्तरराष्ट्रीय समाज के समान प्रयास की आवश्यकता है। अन्तरराष्ट्रीय समाज को अन्तरराष्ट्रीय कानून व्यवस्था की स्थापना, सूचनाओं के आदान प्रदान, विज्ञान तकनीकों के साझा उपयोग एवं सुरक्षा के क्षेत्र में सहयोग बढ़ाना चाहिए। विश्वव्यापी बंदोबस्त अत्यधिक आवश्यक है।

चीन नाभिकीय सुरक्षा पर अत्यन्त महत्व देता आया है। वर्तमान अन्तरराष्ट्रीय समाज में न्यूक्लियर सामग्री सुरक्षा संधि और न्यूक्लियर आतंकवाद निरोधक अन्तरराष्ट्रीय संधि दो ही इंटरनेशनल दस्तावेज प्रचलित है, जिन में न्यूक्लियर आतंकवाद की परिभाषा व न्यूक्लियर आतंकवादी अपराध की रोकथाम के लिए स्पष्ट कानूनी आधार बनाया गया है। चीन इन्हीं दोनों दस्तावेजों के हस्ताक्षर देशों में से एक है और न्यूक्लियर आतंकवाद विरोधी विश्व प्रस्ताव के प्रवर्तक देशों में है। पिछले साल चीन ने जापान व दक्षिण कोरिया के साथ परमाणु बिजली घर की सुरक्षा पर हुए शिखर सम्मेलन में सहयोग पर बल दिया। चीन कुछ विकासशील देशों के साथ भी सहयोग करता है और उन्हें प्रशिक्षण काम में मदद देता है। वाशिंगटन शिखर सम्मेलन में चीनी राष्ट्राध्यक्ष हु चिनथाओ ने वायदा दिया है कि चीन न्यूक्लियर सुरक्षा का मिसाली केन्द्र कायम करेगा और क्षेत्रीय नाभिकीय सुरक्षा में सहयोग के लिए बड़ी भूमिका निभालेगा। श्री छ्यो शिंग ने कहाः

नाभिकीय ऊर्जा की सुरक्षा को मजबूत बनाने के अलावा विश्व को विश्व भर में युद्ध, मुठभेड़, आतंक, घृणा व गरीबी को मिटाना चाहिए, आतंकवाद के स्रोतों को खत्म करने से ही नाभिकीय आतंकवाद की उत्पत्ति नहीं हो सकती है। श्री छ्यो शिंग ने कहा कि सियोल शिखर सम्मेलन में न्यूक्लियर सुरक्षा के क्षेत्र में बहुपक्षीय सहयोग बढ़ाने पर समहति प्राप्त होगी।

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