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चीन विदेशों को सहायता देने में क्रियाशील
2012-03-16 17:26:34

दोस्तो , चीन के दोनों विश्वविख्यात महत्वपूर्ण वार्षिक सम्मेलन अभी अभी संपन्न हुए , जब अधिकतर लोगों की निगाहें चीन के अपने विकास पर टिकी हुई हैं , तो चीन आर्थिक कठिनता में फंसे दूसरे विकासशील देशों को सहायता देना नहीं भूलता । पिछले अनेक सालों में लगातार आर्थिक विकास के आधार पर चीन ने क्रमशः विदेशी सहायता देने में ज्यादा पूंजी लगाकर विश्व के विभिन्न विकासमान देशों के समान विकास को बढावा दिया है । 

1949 से 2009 तक के 60 सालों में चीन ने कुल दो खरब 50 अरब चीनी य्वान की विदेशी सहायता दे दी है , जिस में ब्याज मुक्त सहायता धन राशि एक खरब 6 अरब 20 करोड़ य्वान शामिल है । चीनी वाणिज्य मंत्री छन त्ह लिन ने इस बात की चर्चा में कहा कि चीन आज विश्व का जो दूसरा आर्थिक समुदाय बन गया है , उस का श्रय अंतर्राष्ट्रीय समुदाय की मदद को जाता है । पिछले तीस सालों में चीन ने क्रमशः अंतर्राष्ट्रीस समुदाय की ओर से 7 अरब अमरीकी डालर की ब्याज मुक्त सहायता स्वीकार कर ली है , साथ ही एक खरब 40 अरब अमरीकी डालर से अधिक सहायता कर्ज भी प्राप्त कर लिया है ।

चीन की विदेशी सहायता विकासमान देशों के हर कोने कोने में है । मसलन अफ्रीका में राजमार्ग व रेल मार्ग निर्मित किये और बंगलादेश में पुल के निर्माण में हाथ भी बटाया । जबकि ये सभी सहायता काम नये चीन की स्थापना के शुरु में हुए , यद्यपि चीन ने अपने विकास के सब से कठिन काल में ही यह सहायता कभी भी बंद नहीं की ।

चीनी अंतर्राष्ट्रीय आर्थिक आदान प्रदान केंद्र के महा सचिव व्यी च्येन क्वो को चीनी वाणिज्य मंत्रालय के अफ्रीकी सहायता मामलों में काम किये हुए बीसेक साल हो गये हैं । उन्होंने अफ्रीका को दिये जाने वाली चीनी सहायता का उल्लेख करते हुए कहा कि चीनी जनता ने अपने खून पसीने से अफ्रीका के विकास का समर्थन किया है ।

हमारे द्वारा निर्मित तानजानिया जाम्बिया रेल लाइन को उदाहरण लीजिये , यह 18 हजार किलोमीटर लम्बी रेल लाइन जाम्बिया की राजधानी लुसाका से तानजानिया की राजधानी दारिस सलाम तक पहुंच जाती है , पूरी रेल लाइन को कुल 75 पुलों और दो सौ से अधिक सुरंगों तथा एक विशाल आदिम जंगल को पार करना था , निर्माण का काम अत्यंत कठोर था , हम ने इस पूरी रेल लाइन के निर्माण में कोई दस हजार मजदूरों को भेज दिया है , करीब सौ सहायता कर्मियों ने निर्माण स्थल पर अपने प्राण का बलिदान भी दिया है ।

चीन विदेशी सहायता के दौरान हमेशा से कोई राजनीतिक शर्त जोड़ने के बजाये बिना किसी शर्त वाले सिद्धांत का अनुसरण करने पर कायम है । कुछ समय पहले अंतर्राष्ट्रीय जगत में यह कथन सुनने को मिला है कि चीन ने संसाधन के लिये अफ्रीका की सहायता दी , पूर्व चीनी वाणिज्य मंत्री फू ची इंग ने इस का खंड़न करते हुए कहा चीन ने जो किया है , वह दोस्ती के लिये है , इस में संदेह की कोई गुंजाइश नहीं है । कोई भी देश अपने विकास के लिये आत्म विकास की क्षमता पर निर्भर ही है । इसलिये विदेशी सहायता देने के दौरान चीन सरकार ने सहायता प्राप्त देशों के लिये सुयोग्य व्यक्तियों और तकनीकी शक्तियों को प्रशिक्षित देने पर जोर दिया है , स्थानीय आधारभूत संस्थापनों के निर्माण को मजबूत बनाकर विकास के आधार को कामय करने में हाथ भी बटा दिया है ।

इधर सालों में विकासमान देशों के लोकतांत्रिक कार्य को बढावा देना क्रमशः चीनी विदेशी सहायता का प्रमुख लक्ष्य बन गया है । 2009 के अंत तक चीन ने विकासमान देशों में कुल 442 आर्थिक आधारभूत संस्थापनों व 687 सार्वजनिक संस्थापनों का निर्माण किया है , करीब 70 देशों में 20 हजार से अधिक चिकित्सकों को भेज दिया है और लाखों करोड़ों रोगियों को इलाज की सुविधाएं उपलब्ध करायी है । व्यी च्येन क्वो ने कई सजीव आदाहरणों को देते हुए कहा एक राजमार्ग के निर्माण में हम एक दूरस्थ गांव पहुंच गये , इस गांव में कोई कुआं न था , गांववासियों के लिये हम ने अपनी सहायता कम्पनी के पास एक कुआं भी खोद दिया । और कुछ अन्य सीमावर्ती क्षेत्रों में मच्छर बहुत ज्यादा हैं , बीमारियों , खासकर मलेरिया का खूब बोलबाल है , इसे देखकर हम ने वहां पर अस्पताल भी स्थापित किये , हालांकि एक अस्पताल में केवल चार पांच चिकित्सक हैं , पर फिर भी स्थानीय लोगों के लिये इलाज की समस्या हल हो गयी ।

भावी चीनी विदेशी सहायता के विकास की चर्चा में चीनी राज्य परिषद के विकास अनुसंधान केंद्र के जिम्मेदार चांग श्याओ ची ने कहा इसी संदर्भ में गहराई व व्यपकता की कमी है , आगे विकास की गुंजाइश भी मौजूद है । उन का सुझाव है कि स्थानीय क्षेत्रों की सेवा के लिये स्वयंसेवक भेजे जाये । उन का कहना है कि स्वयंसेवकों और स्थानीय लोगों के बीच व्यापक सम्पर्क आपसी समझ व सांस्कृतिक आदान प्रदान के लिये लाभदायक है और यह चीनी उपक्रमों के लिये अफ्रीका में धंधा लगाने में मददगार भी सिद्ध होगा ।

आगामी पांच सालों में चीन विकासमान देशों में 2 सौ स्कूलों का निर्माण करने , तीन हजार अनुभवी चिकित्सकों को भेजने और दो सौ स्वच्छ ऊर्जा व पर्यावरण संरक्षण परियोजनाओं को निर्मित करने को संकल्पबद्ध है ।

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