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तिब्बती बहुल क्षेत्र में कई भिक्षुओं के आत्मदाह का विरोध:वन च्यापाओ
2012-03-14 14:28:01

चीनी प्रधानमंत्री वन च्यापाओ ने 14 मार्च को पेइचिंग में आयोजित ग्यारहवीं चीनी राष्ट्रीय जन प्रतिनिधि सभा के पांचवें वार्षिक पूर्णाधिवेश के पत्रकार सम्मेलन में संवाददाता के द्वारा पूछे गए सवाल का जवाब देते हुए तिब्बती बहुल क्षेत्र में हुए भिक्षुओं के आत्मदाह मामले को लेकर खेद व्यक्त किया और कहा कि हम सामाजिक स्थिरता व सामंजस्य को तोड़ देने वाली इस प्रकार की उग्रवादी कार्यवाही का विरोध करते हैं।

वन च्यापाओ ने कहा कि यह स्पष्ट है कि तिब्बत और स्छ्वान प्रांत के तिब्बती बहुल क्षेत्र चीन की प्रादेशिक भूमि का अभिन्न अंग है। धर्मशाला में स्थापित तथाकथित"तिब्बती निर्वासित सरकार", जो दलाई लामा के सीधे नियंत्रण में हो या उन के अप्रत्यक्ष प्रभाव में हो, राजनीतिक व धार्मिक मिश्रित वाली ही है, जिसका मकसद तिब्बत स्वायत्त प्रदेश व तिब्बती बहुल क्षेत्र को मातृभूमि से अलग कर देना है। इस सवाल पर हमारा रूख व सिद्धांत कभी नहीं बदलेगा।

वन च्यापाओ ने कहा कि चीन की केंद्र सरकार ने अनेक सक्रिय कदम उठाए और तिब्बत के विकास को बढ़ाने वाली नई योजना बनाई। इन कदमों का प्रमुख लक्ष्य तिब्बती किसानों व चरवाहों के जीवन स्तर को उन्नत करना है। तिब्बत में आर्थिक विकास को बढ़ावा देने के साथ साथ वहां की पारिस्थितिकी व सांस्कृतिक परम्परा का भी संरक्षण किया जाना चाहिए। हम तिब्बती बंधुओं के धार्मिक विश्वास की स्वतंत्रता का सम्मान करते हैं और उनके विश्वास को कानूनी रक्षा दी जाती है।

(श्याओ थांग)

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