लेग्पो क्षेत्र दक्षिण पश्चिम चीन के तिब्बत स्वायत्त प्रदेश के लोका फिफेक्चर की चोना कांऊटी में स्थित है। पहाड़ों, नद नदियों, जंगलों और घास मैदानों से घिरे इस क्षेत्र का प्राकृतिक दृश्य अपनी विशेष पहचान बना लेता है, इस अद्भुत दर्शनीय क्षेत्र में मनपा और तिब्बती दोनों अल्पसंख्यक जातियां पीढ़ी दर पीढ़ी मेलमिलापपूर्वक साथ साथ रहती आयी हैं। इस आलेख में प्रस्तुत है हरे भरे जंगलों के मनपा जातीय रक्षक कसांगडोगी की कहानी।
कसांगडोगी से हमारी मुलाकात नियमित लकड़ी कटाई के निश्चित समय पर हुई । इस अवधि के दौरान माग्मांग टाऊनशिप के स्थानीय वासी निर्दिष्ट पहाड़ी क्षेत्रों में लकड़ी काटते हैं । दोपहर को ये लोग घर वापस के बजाये जंगल या नदी के पास खुले स्थान पर खाना और दुग्ध चाय बनाते हैं । फिर खाना पकाने के बाद वन रक्षक पूरे निर्दिष्ट पहाड़ी क्षेत्रों में गश्त लगाकर आग की जांच पड़ताल करने अवश्य ही जाते हैं , ताकि जंगलों में संभावित आग्नि कांड से बचा जा सके। उस दिन लेग्पो टाऊनशिप के मनपा जातीय वन रक्षक कसांगडोगी ड्यूटी पर थे। जब हम लकड़ी कटाई स्थल पर स्थानीय वासियों के साथ बातचीत कर रहे थे, तो वनरक्षक कसांगडोगी गश्त लगाने यहां आ पहुंचे। उन्होंने हमें बताया कि अब लेग्पो क्षेत्र के आदिम जंगलों में आग रोक अवधि है, हर रोज उन जैसे वनरक्षक जंगलों की सुरक्षा के लिये बारी बारी से गश्त लगाते हैं । जब हम ने वन रक्षा कार्य में दिलचस्पी दिखाई , तो उन्होंने कहा कि चार दिन के बाद वे फिर गश्त लगाने की ड्यूटी पर आएंगे, उस समय हम उन के साथ गश्त लगाने जा सकते हैं, ताकि यहां पर जंगलों की रक्षा के बारे में जानकारी प्राप्त की जा सके।
चार दिन के बाद सुबह 8 बजे, जब लेग्पो क्षेत्र के ऊपर आकाश पर हल्का कोहरा छाया हुआ था , तो वनरक्षक कसांगडोगी से हमारी मुलाकात हुई। इस वर्ष कसांगडोगी 52 वर्ष के हैं, उन्हें वन रक्षा में काम किये हुए बीसेक साल से अधिक हो गये हैं। हर वर्ष अक्तूबर से अगले साल के मई माह तक जंगलों की आग रोक अवधि है, इसी अवधि के दौरान कसांगडोजी बहुत व्यस्त हैं। वे एक तरफ खेतीबाड़ी करने व पशुओं को चराने जाते ही नहीं, नन्हें पोते की देखभाल करने में अपनी पत्नी का हाथ भी बटाते हैं, दूसरी तरफ हर चार दिन में एक बार वन रक्षा के लिये गश्ती पर जाते हैं।