11वीं चीनी राष्ट्रीय जन प्रतिनिधि सभा का पांचवां अधिवेशन और चीनी जन राजनीतिक सलाहकार सम्मेलन की 11वीं राष्ट्रीय कमेटी का पांचवां अधिवेशन मार्च के शुरू में पेइचिंग में आयोजित होने जा रहे हैं। इन दो वार्षिक सम्मेलनों में आय के युक्तिगत वितरण, मकान मूल्य पर नियंत्रण और समान शिक्षा जैसे विषय फिर एक बार बहुचर्चित होंगे।
मुझे नौकरी करते हुए दो साल हो चुके हैं, इस दौरान जो पैसे कमाए है, उस का सब का सब मकान के किराये और यातायात के भाड़े पर खर्च हुआ है, जो बचे हैं वह भी बहुत कम। मेरी आशा है कि आगे मेरा वेतन ज्यादा बढ़ेगा।
थ्येनचिन शहर से आयी युवती श्याओ यू 2009 में स्नातक होने के बाद पेइचिंग में बसी, अपने वर्तमान जीवन की चर्चा पर वह असंतुष्ट हुई। क्योंकि इधर के सालों में चीन के बड़े बड़े शहरों में महंगाई काफी बढ़ी है, मकान का किराया, चीजों के दाम और खाद्य की सुरक्षा समस्या प्रायः चीनियों के मुंह पर हमेशा चर्चा का विषय रहा है। यो तो नए आर्थिक आंकड़ों के मुताबित पेइचिंग, शांगहाई और हांगचो आदि बड़े शहरों में प्रति व्यक्ति औसत जी़डीपी 80 हजार य्वान को पार कर गया है, जो विश्व बैंक के मापदंढ के मुताबिक विश्व के उच्च मध्यम स्तर से अधिक है और संपन्न देश के स्तर के नजदीक माना जाता है। किन्तु देखने में इस प्रकार की सुखद खबर से श्याओ यू जैसे प्रवासी लोगों को कोई खास अनुभूति नहीं हो पायी। पेइचिंग अर्थशास्त्र कालेज के प्रोफेसर चाओ छिंग ज्ये ने कहा कि जीडीपी की उन्नति का यह अर्थ नहीं है कि आम लोगों में सुख का अनुभव बढ़ेगा।
दरअसल, जीडीपी और आम लोगों में सुख के प्रति अनुभूति के बीच प्रत्यक्ष संबंध नहीं है। वास्तव में जीडीपी मुख्यतः उत्पादन मूल्य का प्रतीक है, इसमें पर्यावरण के प्रदूषण, चीजों की क्वालिटी, खाद्य सुरक्षा, अमीरी व गरीबी के बीच अन्तर तथा सामाजिक आरामदेह वातावरण के स्तर शामिल नहीं है। इसी दृष्टि से जीडीपी की उन्नति का अर्थ सुख के प्रति अनुभव की उन्नति से नहीं है।
इसी कारण, जनजीवन के सुधार और आम लोगों में सुखद अनुभवों की उन्नति बढ़ाना चीन सरकार का मुख्य काम बन गया। पिछले साल में चीनी राष्ट्रीय जन प्रतिनिधि सभा के नियमित सम्मेलन में पारित 12वीं पंचवर्षीय योजना में जनजीवन के सुधार को प्राथमिकता दी गयी है और नागरिकों की आय में वृद्धि की दर आर्थिक वृद्धि की दर के बराबर उन्नत होने का लक्ष्य पेश किया गया है। इस साल के जनवरी में राष्ट्रीय सांख्यिकी ब्यूरो के आंकड़ों से जाहिर है कि पिछले साल चीन की आर्थिक वृद्धि दर 9.2 प्रतिशत है, देश के शहरी निवासियों की औसत प्रति व्यक्ति आय 21810 य्वान दर्ज हुई, जो 2010 से 8.4 प्रतिशत बढ़ी है, ग्रामीण निवासियों की औसत आय 6977 य्वान है, जो 11.4 प्रतिशत बढ़ी।
चीनी राष्ट्रीय जन प्रतिनिधि सभा के प्रतिनिधि, अर्थशास्त्री गु सङ जू ने कहा कि इस से जाहिर है कि चीन सरकार लोगों में सुखमय जीवन के प्रति बढ़ती इच्छा पर ध्यान देती है और सरकार की योजना की अच्छी शुरूआत हुई है।
12वीं पंचवर्षीय योजना में निर्धारित इस महान लक्ष्य के दो पहलु है, यानी नागरिकों की आय की वृद्धि आर्थिक वृद्धि के समान हो, परिश्रम से आय श्रमिक उत्पादन मूल्य के बराबर हो। ताकि चीनी नागरिकों की आय बढ़ेगी और सुधार व विकास से प्राप्त उपलब्धियों का समान उपभोग हो।
बेशक, चीन में आर्थिक आधार कमजोर है, जनसंख्या अधिक है, और जनजीवन के क्षेत्र में काम वैज्ञानिक विकास तथा जनता में उभरी मांग की तुलना में कम है, और बहुत सी समस्याएं अभी मौजूद हैं। इसी के कारण पिछले साल के अंत में आयोजिक केन्द्र के आर्थिक कार्य सम्मेलन में 2012 के लिए जो एक प्रमुख कार्य पेश किया गया है वह सामाजिक गारंटी व जनजीवन की ऊंची उन्नति है। हाल ही में चीनी प्रधान मंत्री वन चापाओ ने सरकारी कार्य रिपोर्ट के मौसदे के लिए रायें लेने के समय कहा कि सरकार के काम में प्राथमिकता जनजीवन पर है। पेइचिंग में अभी आयोजित होने जा रहे दो वार्षिक सम्मेलनों पर लोगों की उम्मीद है कि सरकार जनजीवन के सुधार के कामों में व्यावहारिक कदम उठाएंगी और स्थानीय सरकारें केन्द्र की नीतियों पर ठोस रूप से अमल करेंगी।
विशेषज्ञों का कहना है कि केन्द्र सरकार ने जो नीतियां पेश की हैं, स्थानीय सरकारों को उसे अमल में लाने की भरसक कोशिश करनी चाहिए। जनजीवन का सवाल व्यापक जनता से जुड़ा है, साथ ही समूचे समाज की शांति व स्थिरता से भी संबंधित है । हालांकि इस में प्रगति प्राप्त हुई है, पर बहुत सी समस्याएं अभी भी हैं। इसलिए इस साल के वार्षिक सम्मेलन में इन समस्याओं का और अच्छी तरह समाधान किया जाना चाहिए।