चीनी नौ सेना की ओर से आयोजित प्रथम अन्तरराष्ट्रीय समुद्री जल-यात्रा सुरक्षा बैठक 23 व 24 फरवरी को चीन के नानचिंग शहर में हुई। यूरोपीय संघ, नाटो, बाल्टिक अन्तरराष्ट्रीय जहाजरानी कंपनी आदि अन्तरराष्ट्रीय संगठनों तथा अमेरिका, ब्रिटेन, फ्रांस, जर्मनी और चीन सहित 20 देशों से आए 84 प्रतिनिधियों ने बैठक में भाग लिया। बैठक में अदन खाड़ी में चीनी नौ सेना के जल-यात्रा रक्षा मिशन की प्रशंसा की गयी और विभिन्न पक्षों को इस क्षेत्र में चीन के साथ सहयोग बढ़ाने की उम्मीद भी हुई।
चीनी नौ सेना ने दिसम्बर 2008 से अदन खाड़ी और सोमिलिया के समुद्र जलक्षेत्र में जहाजरानी की सुरक्षा के लिए सैनिक बेड़ा भेजना शुरू किया, अब तक बीते तीन सालों के समय में उस के काम अच्छे सिद्ध हुए हैं। इसके बारे में चीनी नौ सेना के डिप्टी कमांडर तिंग ई-फिंग ने आंकड़ों का उदाहरण देते हुए कहा कि चीनी नौ बेड़े ने अन्तरराष्ट्रीय समुद्र जल-मार्ग की सुरक्षा में अथक प्रयास किया है। लेफ्टिनेंट जनरल तिंग ने कहाः
26 दिसम्बर 2008 से अब तक पिछले तीन से अधिक सालों में चीन ने लगातार दस बार अपनी नौ बेड़ा भेजी है, जिनमें कुल दस हजार सैनिकों ने भाग लिया और करीब 4500 चीनी व विदेशी जहाजों को जल-यात्रा में सुरक्षा का कवच प्रदान किया। फिलहाल चीनी नौ सेना की 11 वीं बेड़ा खाड़ी क्षेत्र को रवानगी के लिए तैयार हो चुकी है।
पिछले तीन सालों में चीनी नौ बेड़ों ने 2000 से अधिक विदेशी जहाजों को सुरक्षा मुहैया कर दी है, समुद्र जल-क्षेत्र में जहाजरानी की रक्षा करने में चीनी बेड़े के काम का उच्च मूल्यांकन किया गया है।
जर्मनी के रक्षा मंत्रालय के संयुक्त युद्ध विभाग के डाइरेक्टर थोमस स्चेएत्ज ने कहा कि चीनी नौ सेना की जल-यात्रा रक्षा बेड़ा अदन खाड़ी और सोमालियाई समुद्र में जहाजों की रक्षा करने वाली एक मुख्य शक्ति बन गयी है। कर्नल ने कहाः
पिछले तीन सालों में चीन ने सक्रिय रूप से अन्तरराष्ट्रीय जहाजरानी सुरक्षा मिशन में हिस्सा लिया है और बेहरान अन्तरराष्ट्रीय समुद्र-लुटेर विरोधी सहयोग सम्मेलन में भाग लिया। अब चीन इस क्षेत्र में समुद्री डाकू पर प्रहार करने तथा जहाज सुरक्षा कार्यवाही में प्रमुख शक्तियों में से एक है। इस कार्यवाही में सहयोग बढ़ाने के लिए चीन एक प्रवर्तक भी है। हम चीन के आभारी हैं कि उस ने मौजूदा बैठक की मेजबानी की और हमारी उम्मीद है कि चीन ऐसा ही करता रहेगा।
अदन खाड़ी और सोमिलियाई समुद्री जल-क्षेत्र में वर्तमान सुरक्षा स्थिति की चर्चा में चीनी नौ सेना के डिप्टी कमांजर तिंग ने कहा कि समुद्री लुटेरे की समस्या पैदा होने का मूल कारण अभी नहीं मिटा है, उस का खतरा अभी मौजूदा है और इस के अधिक बढ़ने की आशंका भी है। इसलिए इस क्षेत्र में जल-यात्रा की सुरक्षा करने का काम दीर्घकालीन होगा और अन्तरराष्ट्रीय क्षेत्र में समुद्री डकैती विरोधी काम के लिए समय लम्बा और काम भारी होगा।
वास्तव में अपने इसी दृष्टिकोण से प्रेरित होकर चीनी नौ सेना ने मौजूदा बैठक का आयोजन किया, जिसका मकसद विभिन्न देशों की नौ सेनाओं के बीच सहयोग व अनुभवों के आदान-प्रदान के लिए एक मैत्रीपूर्ण व खुला मंच प्रदान करना है। यूरोपीय संघ की नौ सेना के चीफ ऑफ स्टाफ कर्नल फलिप जामेस हस्लाम ने कहा कि मौजूदा बैठक बहुत अहम है, जिससे विभिन्न देशों की नौ सेनाओं में आगे की जहादरानी रक्षा कार्यवाही में सहयोग और अधिक बढ़ सकेगा।
विभिन्न देशों की नौ सैनिक शक्तियां वहां लड़ने में सहयोग कर रही हैं, सहयोग में ठोस कार्यवाही और तकनीकी स्तर भी प्रशंसनीय है। लेकिन आज की बैठक का यह महत्व है कि विभिन्न पक्षों में रणनीति के स्तर पर सहमति कायम हो सकती है। हमें अपने समान लक्ष्य और अपनी अपनी भूमिका को और स्पष्ट करना चाहिए, ऐसी सहमति के चलते हम और अच्छा सहयोग कर सकेंगे।
चीनी नौ सेना के अकादमी के उपाध्यक्ष सीनियर कर्नल चांग चुनसे का मानना है कि समुद्र में जल-यात्रा की रक्षा से संबंधित कानून के सवाल को निश्चित करना बहुत जरूरी है, अब तीन क्षेत्रों में काम करना चाहिए।
पहला, अदन खाड़ी में नौ सेनाओं के बीच सहयोग के बारे में मानक नियमावली बनाना। दूसरा, समुद्री डाकुओं पर प्रहार करने के लिए लड़ने के मापदंड बनाना और तीसरा, अन्तरराष्ट्रीय न्यायिक सहयोग की व्यवस्था कायम करना।