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मालदीव की नयी सत्ता राजनयिक कोशिश में सक्रिय
2012-02-09 16:16:41

8 फरवरी को मालदीव की राजधानी माले में फिर हलचल मची , पूर्व राष्ट्रपति मोहम्मद नाशीद ने उसी दिन दावा किया कि उन्हें अपने पद से इस्तीफा देने के लिये मजबूर किया गया । फिर नाशीद के हजारों समर्थकों और पुलिसकर्मियों के बीच भीषड़ झड़पें हुईं ।

नाशीद ने 8 फरवरी की सुबह राजधानी माले की सड़क पर खुले तौर पर कहा कि इस के पूर्व दिन उन्हें बंदूक की नोक पर अपने पद से इस्तीफा देने का फैसला करना पड़ा है , यह हरकत पूर्व राष्ट्रपति अब्दुल गयूम ने उन के विरोध में रची है , उन्हें इसी बात पर भी आशंका है कि अभी अभी पदभार संभालने वाले नये राष्ट्रपति मोहम्मद वहीद हसन भी इस बात से संबंधित हैं । हजारों समर्थकों के जयजयकार में नाशीद ने अपने उत्तराधिकारी वहीद से तुरंत ही पद छोड़ने और सत्ता को फिर उन्हें सौंप देने की अपील की । प्रदर्शनकारियों और पुलिसकर्मियों के बीच भीड़ंत हुई , पुलिसकर्मियों ने भीड़ों में आंसू गैस के बम छोड़े और लोगों को भगाने के लिये लाठीचार्ज भी किया , जिस से बहुत ज्यादा लोग घायल हुए और इलाज के लिये अस्पताल भेजे गये । नाशीद ने उसी दिन मीडिया से कहा कि अपने दो समर्थक टक्कर में मारे गये हैं । पर इस के तुरंत बाद उन्होंने कहा कि मालदीव की स्थिरता , लोकतंत्रता और शांति के लिये वे अपनी मालदीवियन डेमोक्रेटिक पार्टी के साथ अंतिम विजय तक संघर्ष करते रहेंगे । राजधानी माले को छोड़कर नाशीद के समर्थकों ने अन्य दसियों द्वीपों के पुलिस चोकियों पर कब्जा कर लिया ।

जबकि अभी अभी सत्ता पर आये राष्ट्रपति वहीद ने जताया कि सात फरवरी को सत्ता का हस्तांतरण जन इरादे की अभिव्यक्ति ही है , न कि कोई षड़यंत्रकारी गतिविधि । साथ ही उन्होंने तमाम मालदीवियनों से देश की शांति व स्थिरता को बनाये रखने के लिये धैर्य रखने की अपील की । वहीद ने एक बार फिर इस बात की पुष्टि की है कि अपनी सत्ता को सेना और पुलिस की ओर से समर्थन प्राप्त हो गया है ।

मालदीव के निकट पड़ोसी होने के नाते बड़े दक्षिण एशियाई देश भारत का रुख मालदीव की परिस्थिति को बराबर प्रभावित कर लेता है । नये राष्ट्रपति वहीद ने 8 फरवरी को भारतीय प्रधान मंत्री मनमोहन सिंह के साथ फोन पर बातचीत की । वहीद ने फोन पर भारत के साथ घनिष्ट संबंध दोहराया और कहा कि वे संविधान के आधार पर घरेलू मामलों का निपटारा करेंगे । मनमोहन सिंह ने कहा कि भारत मालदीव की जनता को सभी संभावित जरूरी सहायता देने को तैयार है । इस के अवाला सिंह ने विधिवत रुप से वहीद को राष्ट्रपति बनने पर बधाई संदेश भी भेजा , साथ ही अपने संदेश में मनमोहन सिंह ने कहा कि भारत मालदीव के साथ द्विपक्षीय पारस्परिक लाभप्रद सहयोग को बढाना देना जारी रखेगा , मालदीव की जनता की एक शांतिपूर्ण , समृद्धिशाली और स्थिर देश का निर्माण करने की कोशिश का समर्थन करेगा । दोनों नेताओंने कहा कि वे द्विपक्षीय सहयोगी संबंध को मजबूत बनाने के लिये शीघ्र ही द्विपक्षीय भेंट भी करेंगे ।

भारत को छोड़कर वहीद ने अमरीका के साथ सम्पर्क भी कर लिया । अमरीकी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता विक्टोरिया न्युलांड ने 8 फरवरी को कहा कि राष्ट्रपति वहीद ने फोन पर अमरीका को मालदीव की परिस्थिति के बारे में सूचित कर दिया है और कहा कि सभी मामले सरकार के नियंत्रण में है , परिस्थिति क्रमशः बहाल हो रही है । वहीद ने फोन पर यह भी कहा कि वे नयी मिली जुली सरकार , जिस में विपक्षी दल भी भाग लेंगे , का गठन करेंगे , ताकि 2013 में आम चुनाव ठीक समय पर किया जा सके ।

अभी तक इस राजनीतिक झड़प में कोई भी विदेशी पर्यटक दंगे से प्रभावित नहीं हुआ । मालदीप में कुल एक हजार से अधिक द्वीप बिखरे हुए हैं , जिन में रिजाँर्ट द्वीप और नागरिक द्वीप एक दूसरे से अलग हैं । जबकि पूर्व राष्ट्र्पति नाशीद के समर्थकों के अधिकृत दसियों पुलिस चौकियां नागरिक द्वीपों पर हैं , अतः इस राजनीतिक घटना का प्रभाव रिजाँर्ट द्वीपों पर कुछ नहीं हुआ , साथ ही इन छोटे द्वीपों में नागरिकों की संख्या भी बहुत कम है , किसी बड़े पैमाने वाली मुठभेंड उत्पन्न नहीं हो सकती । इस के अलावा मालदीप के अधिकतर रिजाँर्ट द्वीपों का बंद प्रबंध किया जाता है , बाहरी दंगे से पर्यटकों पर कोई कुप्रभाव नहीं पड सकता । मालदीव में चाहे आम नागरिक हो या सरकारी अधिकार क्यों न हो , उन्हें साफ साफ मालूम है कि पर्यटन उद्योग मालदीव का राष्ट्रीय आर्थिक खंभा ही है , विदेशी पर्यटकों के साथ मैत्रीपूर्ण रुप से बर्ताव करना जरूरी है ।

वर्तमान रिपोर्ट के अनुसार मालदीव की घरेलू सशस्त्र शक्तियां फिर भी वहीद की सरकार के नियंत्रण में हैं , साथ ही नयी सरकार ने पास पड़ोस के महत्वपूर्ण संश्रयकारी देशों के साथ राजनयिक सम्पर्क शुरु कर दिया है । कहा जा सकता है कि नयी सरकार घटनाक्रम पर नियंत्रण करने में समर्थ है । लेकिन नाशीद के समर्थक अपने संघर्ष को कब छोड़ेंगे , यह दोनों पक्षों के बीच कुछ कुंजीभूत सवालों पर संपन्न राजनीतिक सुलह समझौते पर निर्भर होगा ।

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