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प्रत्यक्षदर्शियों की नज़र में स्छ्वान तिब्बती क्षेत्र में हुई घटना की सच्चाई
2012-02-03 15:56:54

दक्षिण पश्चिमी चीन के स्छ्वान प्रांत के कानची तिब्बती स्वायत्त प्रिफैक्चर की लूहुओ कांउटी में दस दिन पूर्व मारपीट वाली दुर्घटना हुई। हमारे संवाददाता ने विशेष तौर पर वहां जाकर स्थानीय प्रत्यक्षदर्शियों के साथ इन्टरव्यू किया। उन्होंने कहा अफ़वाह थी कि कई तिब्बती बौद्ध धर्म के भिक्षु आत्म-दाह करेंगे घटना इस तरह पैदा हुई। लेकिन पुलिस के अनुसार उन्हें कोई भी आत्म-दाह करने वाला भिक्षु नहीं मिला। स्थानीय निवासियों ने कहा कि मारपीट करने वाले आम तौर पर अपरिचित व्यक्ति थे।

लूहुओ कांउटी एक छोटी सी शांत कांउटी है। कांउटी के केंद्र छङक्वान क्षेत्र में घटना हुई। हमारे संवाददाता ने एक स्थानीय दुकान का दौरा किया। दुकानदार क्वो नामक एक व्यक्ति है, हालांकि उसने अपने पूरा नाम नहीं बताया, लेकिन उसने कहा कि 23 जनवरी को हुई घटना की यादें उसके मन में अब भी ताज़ा हैं। घटना के दिन सुबह उसकी दुकान खुली हुई थी, लेकिन सड़क पर माहौल सामान्य नहीं था, कई लोग सड़क पर जमा हुए थे। दुकानदार ने कहा कि सुबह ग्यारह बजे भारी संख्या में लोग वहां थे।

दुकानदार क्वो को लगा कि कोई न कोई घटना ज़रूर होने वाली है। थोड़ी देर बाद सड़क पर एकत्र लोग इधर-उधर दौड़ने लगे और कई दुकानों में घुस गए। इसकी चर्चा में क्वो ने कहा:"सबसे पहले वे लोग ऊंची आवाज़ में चिल्लाते हुए जमीन पर काग़ज़ के टुकड़े फेंकने लगे, इसके बाद वे लकड़ियां उठाकर तोड़फोड़ करने लगे।"

दुकानदार क्वो ने कहा कि उस दिन बड़ी संख्या में लोग सड़क पर एकत्र हुए थे। उसने जल्द ही अपनी दुकान बंद कर दी, लेकिन बाहर लोगों की चीख व दरवाज़े को पीटने की आवाज़ से बहुत डर लगा। उसने कहा कि उसमें दरवाज़ा खोलने का साहस नहीं था। हालांकि दस दिन बीत चुके हैं, लेकिन दुकानदार क्वो के मन में अब भी चिंता है।

वास्तव में लूहुओ कांउटी एक छोटी सी कांउटी है, पिछले 15 वर्षों में इस कांउटी में रहने की वजह से दुकानदार क्वो शहर के अधिकतर लोगों को जानता है। उसने कहा कि 23 जनवरी को उसने कई अपरिचित व्यक्तियों को देखा।

23 जनवरी को ड्यूटी पर तैनात पुलिसकर्मी श्याओ यांग इस घटना के प्रत्यक्षदर्शियों में भी एक है। लूहुओ कांउटी के सार्वजनिक सुरक्षा ब्यूरो के शिनतु पुलिस थाने में हमारे संवाददाता ने उनके साथ एक साक्षात्कार किया। घटना के बाद अब भी थाने की खिड़कियों पर तोड़फोड़ के चिन्ह देखे जा सकते हैं। आजकल मौसम बहुत ठंडा है और हवा कमरे में घुस जाती है। ठंड से बचने के लिए पुलिसकर्मियों ने प्लास्टिक से खिड़कियों को बंद किया है। पुलिस थाने के प्रांगण में दो पुलिस गाड़ियां खड़ी थी, जो तोड़फोड़ में पूरी तरह नष्ट हुईं हैं।

पुलिसकर्मी श्याओ यांग ने कहा कि 23 जनवरी को वह ड्यूटी पर था और दूसरे साथियों के साथ सड़क पर गश्त लगा रहा था। लेकिन माहौल पहले से अलग था। 23 जनवरी चीनी परम्परागत पंचांग के नए वर्ष यानी वसंत त्योहा का पहला दिन था। आम तौर पर इस मौके पर सड़क पर ज्यादा लोग नहीं होते थे, क्योंकि अधिकतर लोग घर वापस लौटकर परिजनों के साथ त्योहार मना रहे होते हैं। लेकिन इस वर्ष स्थिति ऐसी नहीं थी, तमाम लोग सड़क पर इक्ट्ठा थे। श्याओ यांग ने कहा कि उस समय उसे लगा कि कोई न कोई अप्रिय घटना हो सकती है। थोड़ी देर बाद सड़क पर कुछ लोग नारे लगाने लगे और कुछ लोग काग़ज़ (लुंदा कागज़) के टुकड़े इधर-उधर उछालने लगे। ध्यान रहे, कि दुकानदार ने भी यह बात कही थी। श्याओ यांग के अनुसार लुंदा फेंकने का मतलब मंगल कामना करना होता है। वे लोग आत्म-दाह करने वाले व्यक्तियों की आत्मा की शांति के लिए कामना कर रहे थे। लेकिन उन्होंने देखा कि आत्म-दाह करने वाला कोई भी नहीं आया, तो वे फिर एकत्र होकर कुछ करना चाहते थे।

पुलिसकर्मी श्याओ यांग के अनुसार घटना के दिन आत्म-दाह करने वाले लोग नहीं आए, लेकिन सड़क पर इक्ट्ठे हुए व्यक्ति तोड़फोड़ करने लगे। वे लोग मुख्य तौर पर शक्तिशाली चरवाहे, भिक्षु व भिक्षुनी थे। श्याओ यांग और उसके अन्य तीस साथियों ने मिलकर उनको रोकने की कोशिश की, लेकिन यह लोग निश्चित रास्ता छोड़कर दूसरी सड़क पर जाकर पत्थर फेंकने लगे व चाकुओं से लूटमार व मारपीट करने लगे। इसके बाद उन्होंने स्थानीय पुलिस थाने में घुसकर हंगामा भी मचाया।

श्याओ यांग ने बताया कि इस प्रकार का हंगामा कई घंटों तक चला, रात को सात बजे के बाद ये लोग धीरे-धीरे वापस लौट गए।

(श्याओ थांग)

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