दोस्तो , इधर सालों में तिब्बती कृषि व पशु पालन क्षेत्रों में आधारभूत सस्थापनों के सुधार और किसानों व चरवाहों की बिजनेस जागरुकता बढने के चलते किसानों व चरवाहों के विविधतापूर्ण धंधे एक के बाद एक बर्फीले पठार पर प्रकाश में आये हैं । पहले की आत्मनिर्भरता वाली अर्थव्यस्था से विशेषता वाले उद्योग की स्थापना किसानों व चरवाहों के बीच एक चर्चित विषय बन गयी है । 2011 में प्रति तिब्बती किसान व चरवाहे की औसत शुद्ध आमदनी चार हजार सात सौ य्वान तक पहुंच गयी , जो इस के पूर्व वर्ष की समान अवधि से 13.6 प्रतिशत से अधिक है ।
तिब्बत के ल्हासा शहर की छूश्वी कांऊटी के डारगर टाऊनशिप का सता नामक एक छोटा सा तिब्बती गांव आलू की उगाई से बहुत मशहूर हो गया है । इस गांव की कम्युनिस्ट पार्टी की कमेटी के सचिव गलुंग ने इस का परिचय देते हुए कहा कि पूरे गांव की 213 से अधिक हैक्टर खेतीयोग्य जमीन में आलू का बुवाई क्षेत्रफल दो सौ हैक्टर हुआ , जो समूची खेतीयोग्य जमीन का 60 प्रतिशत से अधिर बनता है ।
एक हैक्टर आलू से औसत 45 हजार य्वान का लाभ होता है , जबकि बराबर क्षेत्रफल में कृषि फसल से ज्यादा से ज्यादा 800 य्वान से थोड़ा बहुत ज्यादा है । काफी ज्यादा लाभ कमाने की वजह से किसान आलू उगाने में अत्यंत उत्साहित हुए हैं , अब आलू हमारे गांव , यहां तक कि हमारे पूरे टाऊनशिप की सब से बड़ी आर्थिक फसल बन गया है ।
बाजार में आलू की मांग बढ़ने और बड़े पैमाने पर आलू उगाये जाने से छूश्वी कांऊटी में उत्पादित आलू ने ल्हासा बाजार में अपना स्थान बना लिया है । लोग कहते हैं कि जब छूश्वी का आलू छीक मारता है , तो ल्हासा बाजार एकदम कांप उठता है । यह छूश्वी कांऊटी के आलू उत्पादन की सब से अच्छी व्याख्या भी है । पार्टी कमेटी के सचिव होने के नाते गलुंग ने भावावेश में कहा कि आलू ने न सिर्फ समूचे गांव वासियों के जीवन को सुधार दिया है , बल्कि बाजार में बिजनेस करने के लिये गांववासियों को जागृत भी कर दिया है ।
पहले हमें एक हजार य्वान का उधार लेने का कोई साहस भी नहीं था , चिन्ता है कि कहीं चुकाने में असमर्थ हो । पर अब हमारे लिये तीस , चालीस हजार य्वान तो क्या , इस से ज्यादा धनराशि का उधार लेने में भी कोई चिन्ताजनक बात नहीं है । क्योंकि इस से आलू बुवाई क्षेत्रफत के विस्तार और दूसरे धंधों की स्थापना तथा घरेलू आय की वृद्धि में बड़ी भूमिका निभायी गयी है ।
इधर सालों में राष्ट्रीय सहायता बढ़ने के साथ साथ तिब्बत के कृषि व पशु पालन क्षेत्रों में आधारभूत संस्थापन स्थिति बड़ी हद तक सुधर गयी है । 2011 तक देश और तिब्बत स्वायत्त प्रदेश ने क्रमशः 18 अरब य्वान से अधिक धनराशि जुटाकर तीन लाख से ज्यादा किसानों व चरवाहों के लिये हाउसिंग परियोजना पूरी कर ली है , जिस से 17 लाख से ज्यादा किसानों व चरवाहों को लाभ हुआ है , तिब्बत के 99 प्रतिशत के टाऊशिपों व 86.4 प्रतिशत के गांवों में पक्की सड़कें निर्मित हुई हैं , 69 प्रतिशत के प्रशासनिक गांवों में बिजली की आपूर्ति हो पायी है । तिब्बत स्वायत्त प्रदेश सरकार के अध्यक्ष पाद्मा त्रिनलेई ने इस का उल्लेख करते हुए कहा 2011 में प्रति किसान व चरवाहे की औसतन शुद्ध आय चार हजार सात सौ य्वान तक पहुंच गयी है , जिस में लगातार नौ सालों तक दो अंकों की वृद्धि बनी हुई है । प्रति किसान व चरवाहे की औसतन शुद्ध आय एक हजार सात सौ य्वान से कम होने वाले गरीबों की संख्या घटकर 94 हजार हो गयी है ।
तिब्बत स्वायत्त प्रदेश सरकार के पूरे समर्थन से तिब्बती विशेषताओं वाले कृषि व पशुपालन में उल्लेखनीय प्रगति हुई है । अभी तक तिब्बत में कुल स्वायत्त प्रदेश स्तरीय कृषि कारोबार और 60 से ज्यादा क्षेत्रीय व शहरीय उपक्रम स्थापित हुए हैं । स्वायत्त प्रदेश स्तरीय वाले धंधों का वार्षिक उत्पादन मूल्य एक अरब 74 करोड़ य्वान से अधिक हुआ है । किसानों व चरवाहों की आय में तेज वृद्धि के लिये चालू वर्ष में तिब्बत स्वायत्त प्रदेश उत्पादन व प्रबंधन के जरिये गैर कृषि के आय स्रोतों का विस्तार करेगा , कृषि व पशुपालन क्षेत्रों की अतिरिक्त श्रम शक्तियों का स्थानांतरण कर देगा , ताकि किसानों व चरवाहों की आय में बढोत्तरी हो सके । तिब्बत स्वायत्त प्रदेश के सुधार व विकास आयोग के उपाध्यक्ष मा छिंग लिन ने कहा चालू वर्ष में 64 विशेष परियोजनाओं में 17 अरब य्वान की पूंजी लगायी जायेगी , जिन में मुख्यतः ग्रामीण परियोजना , बहुदेशीय कृषि विकास , कृषि व पशुपालन विशेषताओं वाले उद्योगों के उत्पादन केंद्र जैसे कृषि व पशुपातन आधारभूत सरंजाम शामिल हैं । इन प्रमुख परियोजनाओं के निर्माण से स्पष्टतः कृषि व पशुपालन क्षेत्रों में आधारभूत संस्थापन स्थिति सुधरेगी , किसानों व चरवाहों का जीवन सुविधापूर्ण होगा और किसानों व चरवाहों की आये बढ़ेगी ।