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वन चापाओ की पश्चिम एशियाई देशों की यात्रा का महत्व
2012-01-13 16:53:08

चीनी प्रधान मंत्री वन चापाओ 14 जनवरी से सऊदी अरब, संयुक्त अरब अमीरात और कतर की औपचारिक यात्रा करने पर जा रहे हैं। यह 20 सालों के बाद चीनी प्रधान मंत्री की प्रथम सऊदी अरब यात्रा, और चीन व संयुक्त अरब अमीरात व कतर के बीच राजनयिक संबंध स्थापित होने के बाद वहां की चीनी प्रधान मंत्री की प्रथम यात्रा है। उन की इस यात्रा पर चीनी अन्तरराष्ट्रीय सवाल अनुसंधान केन्द्र के प्रधान छ्यु श्येन ने कहा कि प्रधान मंत्री वन चापाओ की मौजूदा यात्रा का दूरगामी महत्व है, जिस से चीन और इन तीनों देशों के बीच आपसी लाभ वाले सहयोग अवश्य चौतरफा तौर पर बढ़ेगा।

वर्तमान अन्तरराष्ट्रीय परिस्थिति में शीत युद्ध के बाद सब से अधिक गहरा परिवर्तन हो रहा है, खासकर पश्चिमी एशिया व उत्तरी अफ्रीका क्षेत्रों में आया भारी बदलाव पूर्व सोवियत संघ के विघटन एवं 11 सितम्बर घटना, अफगान युद्ध, इराक युद्ध तथा विश्व वित्तीय संकट के बाद हुई और एक व्यापक ध्यानाकर्षक घटना है जिस का पश्चिमी एशिया व उत्तरी अफ्रीका के देशों, वहां की क्षेत्रीय स्थिति तथा अन्तरराष्ट्रीय राजनीतिक व आर्थिक स्थिति पर गहरा, दूरगामी व जटिल असर पड़ेगा। चीनी अन्तरराष्ट्रीय सवाल अनुसंधान केन्द्र के प्रधान छ्यु श्येन ने कहा कि ऐसी राजनीतिक स्थिति में चीनी प्रधान मंत्री की मौजूदा यात्रा का बड़ा महत्व होता है।

पिछले साल, पश्चिमी एशिया और उत्तरी अफ्रीका की परिस्थिति में भारी उतार-चढ़ाव आए, इसके दौरान इन घटनाओं पर चीन के रूख पर भी बड़ा ध्यान दिया गया। अतः चीनी नेता अरब देशों, खासकर खाड़ी सहयोग समिति के देशों के साथ वहां के क्षेत्रीय मामलों के बारे में जो रायों का विनिमय करेंगे, वह चीन और इस क्षेत्र के देशों के बीच आपसी समझ और सहयोग बढ़ाने के लिए अत्यन्त बड़ा महत्व रखता है। पता चला है कि प्रधान मंत्री वन चापाओ की मौजूदा यात्रा के मुख्य विषयों में चीन व संबंधित देशों के द्विपक्षीय सहयोग का पूर्ण विकास, आर्थिक, सांस्कृतिक, शैक्षिक और पर्यटन संबंधी सहयोग के मुद्दे भी शामिल हैं।

सऊदी अरब, संयुक्त अरब अमीरात और कटर पश्चिमी एशिया में ऐसे देश हैं, जिनमें प्रचुर तेल संसाधन होता है। दुनिया के अन्य देशों की भांति ऊर्जा के क्षेत्र में चीन और इन तीनों देशों के बीच अच्छे सहयोग के संबंध हैं। चीनी प्रधान मंत्री की मौजूदा यात्रा के प्रति कुछ पश्चिमी मीडिया का ध्यान चीन व उन्हीं देशों में ऊर्जा सहयोग पर केन्द्रित है। इसे लेकर श्री छ्यु श्येन ने कहा कि पश्चिमी मीडिया समझती है कि चीनी नेता तेल के लिए वहां गए हैं, दरअसल, इस प्रकार के मत से चीन और अरब देशों के असली संबंध नहीं व्यक्त हो पाए। श्री छ्यु श्येन ने कहाः

पश्चिमी देशों की नजर में अरब देशों में सिर्फ तेल का संसाधन है, जो अरब देशों के साथ संपर्क कायम करता है, उस का मकसद बस तेल की खोज करना है। अपनी इसी प्रकार की मनोदशा में वे दूसरों को भी अपनी ही तरह समझ लेते हैं। किन्तु असलियत यह है कि चीन और अरब देशों के संबंध चतुर्मुखी हैं। पिछली शताब्दी के पचास वाले दशक से चीन अरब दुनिया का समर्थन करता आया है और उन के साथ बहुतेरे क्षेत्रों में सहयोग करते रहते हैं, उस समय चीन कहीं तेल का आयात भी नहीं करता था, वास्तव में अन्तरराष्ट्रीय तेल सहयोग में चीन का भाग लेना सिर्फ इधर के सालों में वैश्विकीकरण के साथ शुरू हुआ है।

सूत्रों के अनुसार संयुक्त अरब अमीरात की यात्रा के दौरान चीनी प्रधान मंत्री वन चापाओ अबुधाबी में होने वाले पांचवें विश्व भावी ऊर्जा शिखर सम्मेलन में भाषण देंगे। यह सम्मेलन ऊर्जा के बारे में एक बड़ा अहम सम्मेलन है, जिसमें विश्व के विभिन्न देशों के राजनेता, उद्योग जगत, अकादमिक क्षेत्र के लोग मिलकर ऊर्जा की बढ़ती हुई मांग और मौसम परिवर्तन से चुनौति पर विचार विमर्श करेंगे, अक्षय ऊर्जा के विकास के तरीकों की खोज करेंगे, जिससे ऊर्जा व पर्यावरण संरक्षण की तकनीकों के विकास व निवेश को बढ़ावा मिलेगा। चीनी नेता पहली बार इस सम्मेलन में हिस्सा लेते हैं। श्री छ्यु श्येन ने कहाः

चीन एक विकासशील देश है, जहां आर्थिक विकास तेजी से हो रहा है, इसलिए चीन में ऊर्जा की खपत काफी ज्यादा है, नयी किस्म की ऊर्जा पर चीन का क्या रूख है, और अन्तरराष्ट्रीय सहयोग में चीन कैसे काम लेगा, जो विश्व में नयी ऊर्जा विकास के लिए अत्यन्त महत्वपूर्ण है। पांचवें भावी ऊर्जा शिखर सम्मेलन में भागीदारी से जाहिर है कि नयी किस्म की ऊर्जा के विकास पर चीन प्रतिबद्ध है, साथ ही इस से इस सवाल पर अन्तरराष्ट्रीय समाज के साथ सहयोग के लिए चीन सरकार की इच्छा भी व्यक्त हुई है।

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