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चीन आर्थिक वैश्विकरण में सक्रिय रूप से भाग लेगा
2011-12-15 16:09:26

चीन को विश्व व्यापार संगठन में भाग लिए अब दस साल हो चुके हैं। डब्ल्यु टीओ में चीन की भागीदारी से अखिरकार खुद को तथा दुनिया को क्या लाभ मिला है, इस के जवाब में अंग्रेजी अखबार द एकॉनोमिस्ट में ऐसे शब्द हैः हमें डब्ल्यु टीओ में चीन की भागीदारी की दसवीं वर्षगांठ जश्न के रूप में मनाने दें, क्योंकि चीन की भागीदारी से हम पहले से अधिक धनी हो गए है।

सच माने, तो पिछले दस सालों में चीन विश्व आर्थिक पुनरुत्थान तथा विकास बढ़ाने में इंजन का काम आया है। चीन हर साल विश्व के विभिन्न देशों से 750 अरब अमेरिकी डालर की चीजों का आयात करता है, जिस से चीन के साथ व्यापार करने वाले देशों व क्षेत्रों के लिए 140 अरब रोजगार लाये गए हैं। सस्ते और अच्छी क्वालिटी वाले चीन निर्मित उत्पादों से विदेशी ग्राहकों को बड़ा फायदा मिला है, उदाहरणार्थ, चीनी चीजों के इस्तेमाल से अमेरिकी ग्राहकों को पिछले 10 सालों में कुल 600 अरब डालर की बचत हुई और यूरोपीय संघ के देशों में औसत हर परिवार में हर साल 300 यूरो का कम खर्च होता है। अमेरिका के पूर्व व्यापार प्रतिनिधि बार्शेफस्की, जिन्हों ने दस साल पहले डब्ल्यु टीओ में चीन की भागीदारी पर हुई वार्ताओं में हिस्सा लिया था, ने स्वीकार कर लिया है कि चीन की भागीदारी से चीन और अमेरिका दोनों को फायदा हासिल हुआ है और चीन जैसी नवोदित अर्थव्यवस्थाएं अब विश्व को केक बनाकर देने वाला निर्माता बन गयी हैं।

विकासशील देशों के लिए चीन की तेज गति से विकसित हो रहे व्यापार एवं उत्पादन व्यवस्था ने उन देशों के उपभोक्ताओं को सस्ती चीजें प्रदान की हैं, जिस से उन की क्रय-शक्ति बढ़ गयी है और वहां गरीबी की स्थिति भी सापेक्ष के तौर पर घट गयी है।

खुद चीन को विश्व व्यापार संगठन में भागीदारी से फायदा मिला है। इस के बारे में तत्कालीन प्रमुख चीनी वार्ताकार लुंग यङथू ने कहा था कि डब्ल्यु टीओ में चीन की भागीदारी के मूल्य इन तीन पहलुओं में देखे जा सकते हैः एक, इस से विश्व में चीन का स्थान उन्नत हो गया है। दो, चीन के विकास के लिए बाहरी वातावरण सुधर गया है और तीन, चीन के भीतर सुधार कार्य को बढावा मिला है।

कहा जा सकता है कि चीन का उत्थान अब कोई भविष्यवाणी नहीं रहा, वह सिद्ध हुई एक सच्चाई है। असलियत यह है कि विश्व व्यापार संगठन में भाग लेने के बाद चीन की आर्थिक शक्ति तेजी से बढ़ती गयी, जिस का श्रेय चीन के पास बड़ी संख्या में सस्ती श्रम-शक्ति मौजूद होने तथा विश्व में उस का विशाल बाजार होने को है। किन्तु दस साल बाद आज विश्व में चीन के लिए व्यापार की सुविधा और जनसंख्या के हिसाब से प्राप्त होने वाला लाभांश लगातार घटता जा रहा है और चीन पर व्यापारिक विवादों का भार भी दिनोंदिन भारी हो रहा है। हकीकत यह है कि अब चीन की अर्थव्यवस्था अपने फार्मूले को बदलने के चौराह पर आ पहुंची है।

औद्योगिक क्रांति के युग में ब्रिटेन को विश्व कारखाने की खिताब मिली थी, आज यह उपाधि चीन पर थोपी गयी, लेकिन विश्व कारखाने से असली समृद्धि पाने की प्रक्रिया में चीन के सामने बड़ी चुनौति मुंह बाए खड़ी है। वर्तमान दुनिया में आर्थिक मंदी चल रही है और वित्तीय संकट चुनौति दे रहा है। अमेरिका और यूरोप पर संप्रभु कर्ज संकट का साया मंडरा रहा है। ऐसी स्थिति में चीन को खुले द्वार की नीति पर कायम रहते हुए नए आयाम खोलने का सामना करना पड़ा। दस साल पहले की तुलना में आज चीन के सामने आर्थिक स्थिति अलग है और अपना कार्य भी भिन्न है।

अखिरकार, भावी आर्थिक वैश्विकरण में चीन कौन सा रास्ता अपनाएगा ?

विशेषज्ञों का कहना है कि सर्वप्रथम, चीनी कारोबारों को अपना स्थान और अपनी प्रतिस्पर्धा शक्ति उन्नत करना चाहिए, चीन मुख्य विज्ञान व तकनीक के क्षेत्र में अपने को अन्तरराष्ट्रीय पूंजी पर आश्रय से पिंड छुड़ाना चाहिए, और उच्च विज्ञान-तकनीक व नवोदित उद्योगों का स्तर उन्नत करना चाहिए और अन्तरराष्ट्रीय वितरण में अपना हिस्सा बढ़ाना चाहिए।

इस के साथ, चीन को अपने आर्थिक विकास के तौर तरीके को बदलते हुए अनवरत विकास का रास्ता अपनाना चाहिए। तेज आर्थिक वृद्धि पर्यावरण बर्बादी, संसाधनों की तबाही और ऊंची खपत की कीमत पर नहीं रहनी चाहिए। और विश्व की संपन्नता भी चीनी जनता के कल्याण की बलि पर निर्भर नहीं की जानी चाहिए। चीन को अपने को एक ऐसा देश के रूप में निर्मित करना चाहिए जिसमें आर्थिक विकास के तरीके बदले हो, संसाधनों का कम खर्च हो और पर्यावरण बेहतर हो।

फिर, चीन विदेशों में प्रत्यक्ष निवेश बढाने का रास्ता अख्तियार करे। आयात व निर्यात दोनों पर महत्व दे और विदेशों में सीधे पूंजी लगाए। यह विश्व व्यापार का एक नया आम रूझान है।

अंत में चीन सक्रिय रूप से अन्तरराष्ट्रीय सहयोग में भाग ले और अन्तरराष्ट्रीय नियमों के निर्माण पर अपना प्रभाव बढ़ाते हुए विदेशों के साथ व्यापार के विकास को बढ़ा दे।

पिछले दस सालों में चीन ने ध्यानाकर्षक विकास प्राप्त किया है और भावी दस सालों में चीन लगातार सक्रिय रूप से आर्थिक भूमंडलीकरण में भाग लेता रहेगा।

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