ईरान वर्ष 2014 के बाद भी विदेशी सेना के अफगानिस्तान में लगातार तैनाती का विरोध करता है। जर्मनी के बोन्न में अफगान मुद्दे पर चल रहे अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन में ईरानी विदेश मंत्री अली अक़बर सालेह ने 5 दिसंबर को उक्त बात कही।
सालेह ने कहा कि कुछ पश्चिमी देशों ने वर्ष 2014 के बाद अफगानिस्तान में अपनी सैन्य मौजूदगी की अवधि बढ़ाने की कोशिश की, जो अफगानिस्तान की सुरक्षा व स्थिरता का उल्लंघन है। उन्होंने कहा कि पिछले दस सालों में विदेशी सेनाएं आतंकियों का सफाया नहीं कर सकीं, बल्कि उनकी मौजूदगी से स्थिति और जटिल हो गई। उनके विचार में अफगानिस्तान में सुरक्षा व स्थिरता बहाल करने के लिए विदेशी सेनाओं को अफगानिस्तान से हटने की जरूरत है, विशेषकर अफगानिस्तान में सैन्य अड्डों की स्थापना नहीं की जानी चाहिए।
वर्तमान में करीब 1.3 लाख अमेरिकी व नाटो सैनिक अफगानिस्तान में तैनात हैं। योजना के अनुसार अमेरिका व नाटो वर्ष 2014 के अंत से पहले अफगानिस्तान से सभी युद्धक बलों को हटा लेंगे, लेकिन कुछ सैन्य विशेषज्ञ अफगान सुरक्षा बलं का प्रशिक्षण देने के लिए वहां लगातार तैनात रहेंगे।
(मीनू)