दोस्तो , 22 नवम्बर को चीन सरकार ने जलवायु परिवर्तन के मुकाबले के बारे में चीन की नीति व कार्यवाही 2011 शीर्षक श्वेत पत्र जारी किया , इस श्वेत पत्र में बताया गया है कि चीन सरकार 12वीं पंचवर्षिय योजना के दौरान मुख्य रुप से 11 क्षेत्रों में जलवायु परिवर्तन के मुकाबले संबंधी कार्यों को बढावा देगी । इस से देखा जा सकता है कि जलवायु परिवर्तन का मुकाबला चीन के अनवरत विकास में अत्यंत अहम भूमिका निभायेगा ।
इधर सालों में जलवायु परिवर्तन ने खाद्यान सुरक्षा , जल संसाधन सुरक्षा और पारिस्थितिकि सुरक्षा को गम्भीर खतरे में डाल दिया ही नहीं , बल्कि आधारभूत संस्थापनों , स्वस्थ पर्यावास और शहरी विकास पर नकारात्मक प्रभाव भी डाल दिया है । चीन सरकार ने 11वीं पंचवर्षिय योजना के दौरान जलवायु परिवर्तन में शैथिल्य लाने और जलवायु परिवर्तन के लिये अनुकूल स्थिति तैयार करने के लिये सिलसिलेवार नीतिगत कदम उठा दिये हैं , मसलन पुनरुत्पादनीय ऊर्जा कानून , चक्रिय आर्थिक संवर्द्धन कानून , ऊर्जा किफायत कानून , नागरिक भवन निर्माण की ऊर्जा किफायत नियमावली , सार्वजनिक संस्थानों की ऊर्जा किफायत नियमावली , पुनरुत्पादनीय ऊर्जा की मध्यम व दीर्घकालीन विकास योजना , न्यूक्लीयर बिजली की मध्यम व दीर्घकालीन विकास योजना इत्यादि महत्वपूर्ण कायदा कानून व दस्तावेज अमल में लाये और उल्लेखनीय उपलब्धियां भी प्राप्त कीं । औद्योगिक ढांचे व ऊर्जा ढांचे के समायोजन , उर्जा संरक्षण व कार्बन सिंक जैसे विविधतापूर्ण माध्यमों के जरिये ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन पर नियंत्रण किया , 2010 में चीनी घरेलू उत्पादन मूल्य की इकाई में ऊर्जा बचत 2005 से 19.1 प्रतिशत घट गयी है , जो एक अरब 46 करोड़ टन से अधिक कार्बन डाइओक्साइड की कमी के बराबर है ।
इस के अलावा चीन ने जलवायु परिवर्तन पर वैज्ञानिक अनुसंधान और प्रभाव के आंकलन को महत्व देकर प्रमुख क्षेत्रों की जलवायु परिवर्तन का मुकाबला करने की क्षमता को बढा दिया है । कृषि. जल स्रोत , समुद्र , स्वास्थ्य और मौसम आदि क्षेत्रों की क्षमता को मजबूत बनाने के लिये उचित कदम उठा दिये , ताकि जलवायु परिवर्तन से आर्थिक व सामाजिक विकास व जन जीवन पर पड़ने वाले प्रभाव को कम किया जा सके । साथ ही जलवायु परिवर्तन से राष्ट्रीय खाद्यान सुरक्षा , जल सुरक्षा , पारिस्थितिकि सुरक्षा और शारीरिक स्वास्थ्य सुरक्षा पर पड़ने वाले प्रभाव के आंकलन के बारे में दो बार संबंधित रिपोर्ट जारी हो गयी ।
2011 में चीन ने जलवायु परिवर्तन के मुकाबले को और ज्यादा महत्व दिया है और प्रगति भी की है , समुद्र , मौसम और पर्यावरण आदि क्षेत्रों में क्रमशः संबंधित कार्यवाही व कार्य योजना निर्धारित की , जलवायु परिवर्तन के मुकाबले के बारे राष्ट्रीय योजना 2011 – 2020 का निर्धारण पूरा होने वाला है । 2011 में चीन सरकार ने 12वीं पंचवर्षिय योजना के बारे में ऊर्जा किफायत बहुदेशीय कार्य योजना और 12वीं पंचवर्षिय योजना के बारे में ग्रीनहाउस उत्सर्जन कार्यक्रम जारी किया और 12वीं पंचवर्षिय योजना के दौरान ऊर्जा किफायत व कम निकासी और ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन का सर्वांगीर्ण विन्यास किया है । हरित अर्थतंत्र , कम कार्बन अर्थतंत्र और चक्रिय अर्थतंत्र का विकास किया है। अब निर्माणों और यातायात व्यवस्था के कम कार्बन सुधार , कम कार्बन उपभोग और कम कार्बन जीवनचर्या का समर्थन क्षेत्रीय आर्थिक विकास की दिशा बन गया है ।
जलवायु परिवर्तन का मुकाबला मानव जाति व प्रकृति के सामंजस्य और अनवरत विकास का भारी वास्तविक विषय है , वह अर्थतंत्र , समाज , पारिस्थितिकि , पर्यावरण और ज्ञान विज्ञान जैसे विविधतापूर्ण क्षेत्रों से संबंधित जटिल समस्या भी है । विकासशील देशों के लिये जलवायु परिवर्तन के लिये अनुकूल स्थिति तैयार करना फौरी समस्या बन गया है । विशेषकर चरम मौसम घटना के प्रभाव के मुकाबले , संकट की रोकथाम व जौखिम प्रबंध का स्तर उन्नत करना और एक प्राथमिक कार्य भी है । चीन की मौसम स्थिति जटिल है , पारिस्थितिकि पर्यावरण कमजोर है और प्राकृतिक संकटों का बोलबाला है , जिस से वह जलवायु परिवर्तन से आसानी से प्रभावित है , जलवायु परिवर्तन का मुकाबला , खासकर चरम मौसम घटना का मुकाबला अनवरत आर्थिक व सामाजिक विकास का वास्तविक सवाल है , जान माल संपत्ति सुरक्षा को सुनिश्चित बनाने वाला जनजीवन सवाल है और सामंजस्यपूर्ण विकास को बढावा देने का रणनीतिक मामला भी है ।
2010 में मैक्सिको में हुए कानकुन संयुक्त राष्ट्र जलवायु परिवर्तन सम्मेलन में पारित कानकुन तदनुरुप ढांचा दस्तावज ने समुचित तंत्र और संस्था निर्माण पर सहमति जतायी है और विकासशील देशों के लिये जलवायु परिवर्तन के अनुकूल स्थिति तैयार कर दी है ।
2011 संयुक्त राष्ट्र जनवायु परिवर्तन सम्मेलन दक्षिण अफ्रीका के डर्बान में आयोजित होने वाला है , चीन पर अंतर्राष्ट्रीय समुदाय की अधिकाधित हार्दिक आशा के मद्देनजर चीन के लिये यह जरुरी है कि सकारात्मक व जिम्मेदाराना रुख अपनाकर अनवरत विकास की जरुरत और क्योटो प्रोटोकोल , संयुक्त राष्ट्र जलवायु परिवर्तन की ढांचागत संधि और बाली रोड मैप के अनुरोध के अनुसार जलवायु परिवर्तन की अंतर्राष्ट्रीय वार्ता की प्रक्रिया को सक्रिय रुप से बढावा दिया जाये और विभिन्न देशों के साथ मिलकर डर्बान सम्मेलन में सकारात्मक परिणाम प्राप्त करने के लिये प्रयास किया जाये ।