पिछले साल छिंगहाई प्रांत के युशु तिब्बती प्रिफैक्चर में जबरदस्त भूकंप आया, जिससे जान माल को भारी नुकसान पहुंचा। भूकंप में कई तिब्बती बच्चे अनाथ हो गए। एक साल बीत चुका है, युशु के तिब्बती अनाथ बच्चों का आज का जीवन कैसा है?इस सवाल के साथ हमारे संवाददाता ने कुछ समय पहले युशु तिब्बती प्रिफैक्चर का दौरा किया।
गेसांग फूल छिंगहाई तिब्बत पठार में हर वर्ष गर्मियों में खिलने वाला विशेष प्रकार का फूल है। घास के मैदान में गेसांग फूल खिले हुए हैं और युशु के शिनचाई गांव में स्थित"बाल घर"के सामने साढ़े सात साल की नन्ही बच्ची कङगा छोंगत्सो मैदान में अपने दोस्तों के साथ खुशी से खेल रही है।
पिछले साल अप्रैल में युशु भूकंप में कङगा छोंगत्सो के माता पिता की मृत्यु हो गई , तब से वह एक अनाथ बच्ची बनकर अपनी चाची के साथ रहती है। एक साल हो चुका है, कङगा छोंत्सो कभी कभार भूकंप के बाद पीड़ितों के लिए स्थापित अस्थाई"बाल घर"में दूसरे बच्चों के साथ खेलने जाती है और धीरे-धीरे माता पिता खोने की बुरी छाया से बाहर आ गयी है। शिनचाई गांव स्थित"बाल घर"की स्वयं सेविका सोलांग चोमा ने कहा:
"यहां आने के वक्त वह बहुत डिप्रेशन में थी और दूसरे बच्चों के साथ खेलना भी नहीं चाहती थी। मैंने उससे कहा देखो कई बच्चे तुम्बारे साथ खेलते हैं, यह बहुत अच्छी बात है। अब उसे यहां आना अच्छा लगता है, हर रोज़ अपनी चाची से यहां आने की बात करती है।"
वास्तव में"बाल घर"12 मई 2008 सछ्वान प्रांत की वनछ्वान कांउटी में आए जबरदस्त भूकंप के बाद चीनी राज्य परिषद के अधीनस्थ महिला बाल कार्य समिति कार्यालय और संयुक्त राष्ट्र बाल कोष के साथ समान रूप से स्थापित बाल संरक्षण परियोजना है, जिसका लक्ष्य आपदा पीड़ित क्षेत्रों के बच्चों व उनके परिवारों के लिए खेल, मनोरंजन, शिक्षा, स्वास्थ्य व सामाजिक मनोवैज्ञानिक समर्थन आदि सेवाएं देना है, ताकि आपदा पीड़ित बच्चे शीघ्र ही सामान्य जीवन जी सके। आपात घटनाओं में बच्चों के विशेष संरक्षण वाली विचारधारा के तहत युशु भूकंप के बाद वहां शीघ्र ही बाल घर की स्थापना की गई।
युशु कांउटी के च्येकू कस्बे के कानता गांव स्थित बाल घर वर्ष 2010 में भूकंप के बाद शीघ्र स्थापित हुआ। यहां रहने वाले बच्चों की स्थिति के मद्देनज़र यहां के कर्मचारी विशेष कार्यक्रम बनाते हैं। कर्मचारी छोंगचू छाईवन ने कहा:
"हमारे यहां एक चित्र बनाने वाला रूम है, जिसमें कम उम्र वाले बच्चे मुक्त चित्र बनाते हैं। भूकंप के बाद वे लोग ज्यादातर कमरे के चित्र बनाते थे, लेकिन धीरे-धीरे कम बनाने लगे। हम उनके मन में बुरी यादें दूर करने की कोशिश करते हैं। अब यहां के बच्चे कमरे के बाहर खेलते हैं , हमारे यहां बच्चों की उम्र के मुताबिक बिल्डिंग ब्लॉक समेत भिन्न-भिन्न खिलौने उपलब्ध हैं। वे एक साथ खेल सकते हैं।"
युशु भूकंप क्षेत्र में बाल घर जैसी चार संस्थाएं बच्चों की सहायता देती हैं, जो जाशी दाथोंग, शिनचाई गांव, कानता गांव आदि भूकंप प्रभावित क्षेत्रों में बसे हुए हैं। पिछले वर्ष से आज तक एक साल से ज्यादा समय में इन संस्थाओं में कङगा छोंत्सो जैसे पांच हज़ार बच्चों का सत्कार किया गया है, करीब चार हज़ार परिवारों को इनसे मदद मिली है। युशु कांउटी की महिला संघ की अध्यक्षा त्सोयांग ने कहा:
"हमारे भूकंप प्रभावित क्षेत्र में इन चार संस्थाओं की स्थापना बहुत अच्छी परियोजना है, जो सकारात्मक भूमिका निभाती हैं। उस समय कई बच्चों के स्कूल पढ़ने के लिए जगह नहीं होती थी। कई बच्चों के माता पिता व परिजन भूकंप में मारे गए, उनके पास घर नहीं है, उन्हें शिविर में रहना पड़ता है। तेज़ बारिश, बर्फ में ये बच्चे दुखी रहते थे। लेकिन यह परियोजना शुरू होने के बाद उन बच्चों को सहायता मिली है। बाल घर में आकर दूसरे बच्चों के साथ खेलने, शिक्षकों के मार्गदर्शन, स्वयं सेवकों की मदद से उनके चेहरे पर एक बार फिर मुस्कान लौट आयी है।"
युशु के स्थानीय सरकार के समर्थन से बाल घरों के बच्चे अच्छा जीवन बिताने लगे हैं। यहां शून्य से 18 तक की उम्र वाले बच्चों की सहायता दी जाती है। देश-विदेश के बाल क्षेत्र से संबंधित विशेषज्ञ व दल उनका तकनीकी समर्थन व निरीक्षण करते हैं। एक साल से ज्यादा समय में युशु भूकंप से प्रभावित क्षेत्रों में स्थापित बाल घर संस्थाओं ने भूकंप पीड़ित बच्चों को एक गर्म वातावरण दिया है, जहां उनकी सामान्य मनोवैज्ञानकि स्थिति बहाल की जाती है। इस परियोजना के कार्यान्वयन दल के सदस्य, चीनी पारिवारिक शिक्षा संघ परिषद के सदस्य और अखिल चीन महिला कॉलेज के प्रोफेसर च्याओ च्यान ने कहा:
"मुझे लगता है कि यहां बच्चे बहुत खुशी से रहते हैं। विशेषकर छोटी उम्र के बच्चे। बाल घर ने बच्चों के लिए दूसरों के साथ आवाजाही व दोस्त बनाने का अच्छा वातावरण बनाया है। यहां खेलने के साधन है, स्थल है और दोस्त भी हैं। यह बच्चों के स्वस्थ विकास के लिए काफी महत्वपूर्ण है।"
भूकंप के बाद आपदा प्रभावित क्षेत्रों में कई मकान ढह गए, बाल घर खंडहर में तब्दील हो गए। स्कूलों व किंडरगार्टन नष्ट होने के कारण शैक्षिक उपकरण व खिलौनों की कमी है। लेकिन बाल घरों में पर्याप्त खिलौने व पुस्तक तैयार किए गए हैं, जिनसे बच्चों के लिए खाली समय में अच्छा माहौल तैयार हुआ है। एक नन्हे बच्चे की मां ने कहा:
"मैं अपने बच्चे के साथ यहां आती हूं। उसे यहां आना बहुत पसंद है। शिक्षक बच्चों को नृत्य, चित्रलिपी पढ़ाते हैं। छोटे बच्चे यहां खिलौनों से भी खेलते हैं।"
एक साल से ज्यादा समय के बाद अब बाल घरों की कार्य क्षमता बच्चों के आपातकालिक संरक्षण से बदलकर उनके सर्वांगीर्ण मानसिक व शारीरिक विकास के स्तर पर पहुंच गई है। जाशी ताथोंग गांव का बाल घर युशु कांउटी के प्रथम प्राइमरी स्कूल में है, सत्तर वर्ग मीटर वाले इस बाल घर प्राइमरी स्कूल के विद्यार्थियों के लिए खाली समय में खेलने का मैदान बन चुका है। प्राइमरी स्कूल के हेड मास्टर लोतिंग निमा ने कहा:
" इस बाल घर के स्कूल में स्थापित होने के बाद हमारे विद्यार्थी कभी कभार इसमें खेलते हैं। खिलौनों से खेलते समय उनके ऊपर मानसिक दबाव कम हो गया है। इससे पढ़ाई में मदद मिलेगी। वहीं बच्चे यहां चित्र बनाने के साथ-साथ संगीत भी सीख सकते हैं।"
बाल घर परियोजना से आपदा पीड़ित बच्चों और उनके परिजनों की मनोवैज्ञानिक व शारीरिक स्थिति बेहतर हुई है। इसके साथ ही यहां कार्यरत शिक्षकों व स्वयं सेवकों का जीवन के प्रति विश्वास भी बढ़ा है। जाशी ताथोंग बाल घर के प्रधान डोर्चे ने कहा:
"मुझे लगता है कि रोजाना बच्चों के साथ संपर्क कर उन्हें खुशी होती है। इसके मैंने भी कुछ सीखा है। सुख और दुनिया के प्रति उनके विचार से मैं प्रभावित हुआ हूं।"
भूकंप के खंडहर पर स्थापित इन बाल घरों में कभी-कभार बच्चों के हंसने की आवाज़ सुनाई देती है। उनके चेहरे पर मुस्कुराहट देखते ही लोगों को संतुष्टि होती है और वे आपदा पीड़ित क्षेत्रों के सुनहरे भविष्य के प्रति आशान्वित भी हैं।