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यूरोपीय संघ को कर्ज संकट से बचाने में चीन का संजीदा रूख
2011-11-04 16:11:51

3 नवम्बर को चीनी राष्ट्राध्यक्ष हु चिनथाओ ने फ्रांस में आयोजित जी 20 शिखर सम्मेलन में कहा कि जी बीस को मुश्किल समय में सहयोग करने तथा मिल कर समान विजय पाने की भावना का परिचय देते हुए विश्व में वित्तीय स्थिरता बनाए रखने की अथक कोशिश करनी चाहिए। उन्होंने यह भी बताया कि चीन के आर्थिक विकास में नया छलांग आया है, जिसने विश्व आर्थिक वृद्धि में अधिक से अधिक योगदना किया है, लेकिन चीन के आर्थिक विकास के सामने भी बहुत सी चुनौतियां हैं। चीन यथाशक्ति से विश्व की आर्थिक स्थिरता बनाए रखने में रचनात्मक रूप में योगदान करता रहेगा।

फिलहाल, कर्ज संकट को दूर करने के लिए यूरोपीय संघ का प्रयास नाजुक स्थिति में पड़ा है, प्रयास का नतीजा नकारात्मक सिद्ध हुआ, इस तरह यूरो क्षेत्र भारी दबाव में आया। यूरोपीय संघ के शिखर सम्मेलन में इस समस्या के समाधान के लिए एकमुश्त योजना बनायी गयी है, किन्तु योजना पर अमल के लिए कोई ठोस गारंटी नहीं मिली और बाजार पर लोगों का विश्वास भी नहीं बढ़ा।

इधर के दो सालों में यूरो क्षेत्र द्वारा अन्तरराष्ट्रीय मुद्रा कोष की सहायता में ग्रीस को बचाने के लिए धनराशि देने का तरीका अपनाया जा रहा है, लेकिन इस में भारी रकम की पूंजी की आवश्यकता है, और इसे पूरा करने के लिए यूरोपीय संघ को असमर्थ महसूस हुआ है। अंततः वह अन्तरराष्ट्रीय समाज से मदद मांगना चाहता है। ऐसे में चीन जैसी नवोदित अर्थव्यवस्थाएं उस का पहला प्रयाशी बन गयीं। दरअसल, यूरोपीय संघ की वित्तीय स्थिरता योजना के जिम्मेदार अधिकारी ने विशेष कर चीन की यात्रा भी की है और यूरोपीय संघ के कुछ सदस्यों ने भी नाना प्रकार के माध्यमों से चीन के साथ इस विषय पर संपर्क किया।

यह सर्वज्ञात है कि इन सालों में जब विश्व अर्थव्यवस्था में मंदी आ रही है, तब चीन ने सक्रिय रूप से कदम उठाकर अपने देश की आर्थिक स्थिति को सुस्थिर करने की कोशिश की और चीन में तेज वृद्धि भी बरकरार रही, जिससे चीन ने विश्व आर्थिक विकास में अहम प्रेरणा की भूमिका निभायी है। चीन के विकास से यूरोपीय देशों को लाभ मिला है। यूरोप में कर्ज संकट पैदा होने के बाद चीन बराबर इस पर नजर रखे हुआ है और उसने यूरोपीय संघ को बड़ी पूंजीगत मदद दी है। यूरो बाजार का साख नीचे आने के वक्त चीन ने यूरो क्षेत्र द्वारा संकट निवारण के लिए किए गए प्रयासों का दृढ़ समर्थन किया और यूरो क्षेत्र पर पक्का विश्वास प्रकट किया। चीन ने यूरो क्षेत्र के उन देशों, जिन पर कर्ज का बोझ भारी है, में वित्तीय निवेश के साथ वहां की परियोजनाओं में भी पूंजी लगायी है। यह कहना अतिशयोक्त नहीं है कि वर्तमान विश्व स्थिति में चीन ने जो कदम उठाए है, वो एक उल्लेखनीय पहलकदमी है। चीन इसलिए यूरोपीय संघ को सहायता देता है, क्योंकि वह चीन का संपर्ण रणनीतिक साझेदार है और पिछली आधी शताब्दी में दोनों का मैत्रीपूर्ण संबंध है और सहयोग का लम्बा इतिहास है। यूरोपीय संघ ने चीन को सुधार, खुलेपन व विकास के कार्य में बहुत सी मदद दी थी। यह स्वाभिविक बात है कि जब यूरोपीय संघ में संकट आया, तो चीन उसे मदद देने के लिए आगे आया। इस से जाहिर है कि चीन यूरोपीय संघ के साथ लम्बे अरसे से कायम आपसी सहायता के संबंध को मूल्यवान समझता है और इस प्रकार के संबंध को आगे ले जाने के प्रतिबद्ध है। एक कारण यह भी है कि यूरोपीय संग विश्व मामलों में एक अहम शक्ति है। वर्तमान में यूरो क्षेत्र में जो संकट बढ़ता जा रहा है, वह विश्वव्यापी रूप ले रहा है, अतः उस पर चिंता और ध्यान देना लाजिमी है, और वो सा भी हुआ है। चीन यूरोपीय संघ को जो मदद दे रहा है, वह विश्व की विभिन्न अर्थव्यवस्थाओं में परस्पर मदद, एकजुटता और सहयोग बढ़ाने के लिए अपनी एक कोशिश भी है।

भविष्य में चीन के यूरोपीय संघ को संकट से उद्धारने के सिलसिलेवार कामों में भाग लेने के लिए यूरोपीय संघ की मांग पर चीन संजीदगी और जिम्मेदाराना रूख अपनाना चाहता है।

फिर भी इसे स्पष्ट किया जाना चाहिए कि यूरोपीय संघ विश्व का सब से बड़ा विकसित देशों का समूह है, उस का आर्थिक व सामाजिक विकास स्तर, प्रति व्यक्ति के हिस्से में सकल उत्पादन मूल्य और जनता का समृद्धि स्तर चीन से कहीं अधिक ऊंचा है, इसलिए चीन से हद से ज्यादा वित्तीय सहायता मांगना व्यवहारिक व उचित नहीं है।

दूसरा, अन्तरराष्ट्रीय जगत, यहां तक यूरोपीय संघ के भीतर भी यह सहमति हुई है कि कर्ज संकट को दूर करने के लिए यूरोपीय संघ का आत्म प्रयास निहायत जरूरी और आधारभूत काम है। यूरो क्षेत्र में आया वर्तमान संकट उस में लम्बे समय से संचित हुई समस्याओं एवं त्रुतियों का परिणाम है, ऐसे में यूरोपीय संघ को अपनी अर्थव्यवस्था में सुधार लाना चाहिए, नकि अन्तरराष्ट्रीय सहायता पर पूरी तरह निर्भर रहेगा।

इस के अलावा, यूरोपीय संकट को हल करने में चीन की भागीदारी से दोनों पक्षों को समान लाभ दिलाना चाहिए। वहां चीन के पूंजी निवेश के कानूनी हितों का भी समुचित रूप से ख्याल किया जाना चाहिए और चीन के लिए पूंजी निवेश की स्थिति सुधारी जानी चाहिए।

अंत में, कर्ज संकट का समाधान यूरोपीय संघ के लिए एक कुंजीभूत संघर्ष है, चीन इस में योगदान दे रहा है, इसलिए यूरोपीय संघ को चीन के साथ राजनीतिक विश्वास बढाना तथा चीन यूरोप संबंध को आगे बढ़ाने के लिए अपनी तरफ से कोशिश करनी चाहिए और चीन के प्रति वहां की गलतफहमी या झूठारोप को दुरूस्त करना चाहिए।

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