चीन का शनचो नम्बर आठ अंतरिक्ष यान पहली नवम्बर की सुबह च्योछ्वान उपग्रह प्रक्षेपण केन्द्र से छांगजङ नम्बर दो एफ वाहक राकेट से अंतरिक्ष में स्थापित किया गया, वहां वह इस से पहले छोड़े गए थ्येनकुंग नम्बर एक यान के साथ जुड़ेगा, इसतरह चीन के दो अंतरिक्ष यानों का अंतरिक्ष कक्षा में मिलन और ड़ॉकिंग होगा।
पहली नवम्बर की सुबह, पांच बजकर 58 मिनट और 7 सैकंड पर उत्तर पश्चिम चीन के च्योछ्वान उपग्रह प्रक्षेपण केन्द्र से 58 मीटर लम्बे छांगजङ नम्बर दो एफ राकेट पर लदा शनचो नम्बर आठ अंतरिक्ष यान ने वेग गति से अनंत अंतरिक्ष को उड़ान भरी, वह अंतरिक्ष में प्रतीक्षा में घूम रहे चीनी अंतरिक्ष यान थ्येनकुंग नम्बर एक से मिलेगा और उस से जुड़ जाएगा, यह चीन द्वारा अंतरिक्ष में दो यानों को आपस में जोड़ने की पहली कोशिश है।
उड़ान भरने के दस मिनट बाद शनचो नम्बर आठ पूर्व निश्चित कक्षा में स्थापित हुआ। इस तरह चीनी समानव अंतरिक्ष उड़ान परियोजना के जनरल कमांडर छांग ने घोषणा कीः
मैं ऐलान करता हूं कि शनचो नम्बर आठ का प्रक्षेपण पूरी तरह कामयाब हुआ है।
योजना के अनुसार शनचो नम्बर आठ दो दिन बाद अंतरिक्ष में सितम्बर माह में छोड़े गए थ्येन कुंग नम्बर एक से जुड़ेगा।
शनचो अंतरिक्ष यान की उड़ान में चीनियों का सदियों पुराना सपना संजोए हुआ है। अंतरिक्ष में कदम रखने के लिए अपना पुरातन सपना को साकार करने के लिए चीन ने सन् 1999 से शनचो नम्बर एक यान छोड़ा, अब तक इस के कुल आठ यान अंतरिक्ष में छोड़े जा चुके हैं और वे सभी वापस धरती पर भी आए थे। चीन की समानव अंतरिक्ष उड़ान परियोजना के मुताबिक यह परियोजना तीन चरणों में पूरी होगी, अंत में चीन अंतरिक्ष में अपना स्थाई स्टेशन स्थापित करेगा। वर्तमान में जो थ्येन कुंग नम्बर एक और शनचो नम्बर आठ छोड़े गए है, उन का लक्ष्य अंतरिक्ष कक्षा में दोनों यानों के मिलन व डॉकिंग में सफलता पाना है।
शनचो नम्बर आठ में तीन कक्ष यानी वापसी कक्ष, कक्षा मॉड्यूल और प्रणोदक कक्ष हैं, समूचे यान की लम्बाई 9 मीटर, सब से बड़ा व्यास 2.8 मीटर और उस का भार 8.802 टन है। थ्येन कुंग नम्बर एक से मिलने में सफलता के लिए इस यान की तकनीकों में बड़ा सुधार किया गया है। चीनी समानव अंतरिक्ष उड़ान परियोजना की प्रेस प्रवक्ता सुश्री वु फिंग ने कहा कि शनचो नम्बर आठ के 600 से अधिक उपकरणों में तकनीकी उन्नति की गयी है। उन्होंने कहाः
समूचे यान में 600 से अधिक तकनीकी सेट हैं, जिन में से आधे में तकनीकी सुधार किया गया। सुधार व उन्नति मुख्यतः दोनों यानों के परस्पर जुड़ने के लिए आवश्यक तकनीकी क्षमता बढ़ाने में की गयी, जोड़ने के काम को स्वचालित रूप से या हाथों से चलाने की कार्यक्षमता उन्नत की गयी है । इस के अलावा कुछ तकनीक सिस्टमों में उन्नति होने के कारण थ्येनकुंग नम्बर एक से जुड़ने के बाद शनचो आठ वहां 180 दिन ठहर सकेगा।
दोनों अंतरिक्ष यानों के सफल मिलन के लिए उपग्रह प्रक्षेपण केन्द्र तथा वाहक राकेट सिस्टमों का भी सुधार किया गया। चीन का छांगजङ नम्बर दो एफ राकेट श्रृंखला चीन का सब से बड़ा और लम्बा वाहक राकेट है, वह 8 टन का भार ले जा सकता है। शनचो आठ ले जाने वाले वाहक राकेट 58 मीटर लम्बा है और 8.13टन का भार ले जा सकता है, इस राकेट की वाहन शक्ति, अंतरिक्ष यान को कक्षा में पहुंचाने की सटीकता और निश्चितता काफी उन्नत हुई है। चीनी अंतरिक्ष विज्ञान समूह के उप जनरल डिजाइनर चांग ची ने परिचय देते हुए कहाः
नए राकेट में विभिन्न तकीनीकी सुधार व उन्नति की जाने से राकेट में प्रणोदक ईंधन ज्यादा भरा है, यान को कक्षा में स्थापित करने की क्षमता बढी है और दस सिस्टमों से गठित राकेट में कार्य की गारंटी भी उन्नत हो गयी है।
अंतरिक्ष यानों के अंतरिक्ष कक्षा में मिलने और जुड़ने की तकनीकें सर्वमान्य कठिन प्रौद्योगिकी है। विश्व के अन्य देशों द्वारा किए गए इस प्रकार के काम में यानों के एक दूसरे से टक्कर जाने की दुर्घटना भी हुई थी, इसलिए यह एक जोखिम भरी काम है।
यानों के टक्कर जाने के खतरे से बचने के लिए चीन ने अनेक कदम उठाए और भूमि पर अनेकों बार प्रयोगी परीक्षण भी किए और पूर्वाभ्यास भी किया, जिस से यानों के मिलन व डॉकिंग की सफलता के लिए आधार डाला गया।
शनचो नम्बर आठ अंतरिक्ष यान के मौजूदा वैज्ञानिक परीक्षण कामों में अन्तरराष्ट्रीय सहयोग के विषय भी शामिल है। यान पर चीनी व जर्मन वैज्ञानिकों के संयुक्त रूप से विकसित जीवन संबंधी वैज्ञानिक परीक्षण के उपकरण लदे है, अंतरिक्ष में उन के 17 परीक्षण मुद्दे किए जाएंगे।
प्रवक्ता सुश्री वु फिंग ने कहा कि चीन में मानव युक्त अंतरिक्ष उड़ान कार्य के निरंतर विकास के चलते आगे चीन अंतरिक्ष प्रयोगशाला तथा स्पेस स्टेशन कायम करेगा और आपसी सम्मान व समानता के आधार पर विश्व के विभिन्न देशों के साथ व्यवहारिक सहयोग करेगा और विश्व के अंतरिक्ष कार्य के लिए अपना योगदान देगा।