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यालुचांगबू नदी की विशेष तटीय नृत्यकला
2011-10-31 14:46:23

यह चाइना रेडियो इंटरनेशनल है , श्रोता दोस्तो, श्याओ थांग की नमस्ते। सीआरआई देशी विदेशी पत्रकारों की तिब्बत-यात्रा वृत्तांत के संदर्भ में एक रिपोर्ट सुनने के लिए आप का स्वागत।

दोस्तो, जैसा कि आप को मालूम है कि आयरलैंड में महा नदी नृत्य नामक टाप डांस दुनिया में अपनी विशेष पहचान बना देता है , इस डांस का प्रमुख विषय है कि जब कोई भी महा नदी कलकल कर आगे बह जाती है , तो नदी की दोनों तटीय भूमि नदी के पानी से सिंचित होकर धीरे धीरे उपजाऊ बन जाती है , इसी बीच यहां पर बसे पूर्वजों ने ऐतिहासिक लम्बी नदी में अपनी जीवंत कहानियां रचकर छोड़ दी हैं । लेकिन यदि आप चीन के तिब्बत स्वायत्त प्रदेश में यालुचांगबू नदी के तट से ऊपर जाकर शिकाजे क्षेत्र में जा पहुंचे , तो आप को पता चलेगा कि यहां के निवासी आयरलैंड वासियों की ही तरह संगीत के तालमेल के साथ उल्लासपूर्ण टाप डांस भी कर लेते हैं ।

अगस्त 2011 की एक सुबह शिकाजे शहर के एक उपनगरीय पार्क में धुम मची , बहुत ज्यादा शहर वासी और स्थानीय किसान लघु बेंच लिये साइकिल चलाकर इस पार्क में उमड़ आये , ठीक 11 बजे तिब्बती टाप डांस सांस्कृतिक उत्सव विधिवत रुप से शुरु हो गया है । डांस प्रस्तुति के महा निदेशक लोसान ने हमारे संवाददाता को बताया कि इस प्रस्तुति में कुल 16 कार्यक्रम पेश किये जा रहे हैं ।

"ये सभी कार्यक्रम शिकाजे प्रिफेक्चर की विभिन्न कांऊटियों से चुने गये हैं । प्रथम कार्यक्रम का नाम है बसंत का दौरा , यह लाची कांऊटी में प्रचलित लोक नृत्य है और सीसीटीवी के वसंत त्यौहार मिलन समारोह में दिखाया गया था।"

आज हम जो तिब्बती टाप डांस देखते हैं , उसे तिब्बत में त्वी श्ये कहलाया जाता है , क्योंकि तिब्बती भाषा में त्वी का अर्थ है टीला , इसलिये त्वी श्ये को लाची कांऊटी से तिंगरअ कांऊटी तक के ऊंचे स्थान में प्रचलित ग्रामीण लोक नृत्यों का संज्ञा दिया जाता है । तिब्बती पंचांग के अनुसार हर वर्ष जुलाई के शुरु में श्वेटन उत्सब की खुशियों में हम चान्ये नामक 6 तार वाले वायलिन की धुन के साथ परिवर्तनशील व उल्लासपूर्ण टाप डांस पेश करते हैं । लाची कांउटी की किसान चरवाहा कला मंडली के बुजुर्ग सुप्रसिद्ध कलाकार 48 वर्षिय तावा न सिर्फ पेइचिंग व शांगहाई जैसे बड़े-बड़े शहर गये थे, बल्कि उन्होंने डांसर और संगीतकार की हैसियत से सीसीटीवी के वसंतोत्सव मिलनसमारोह में भी कार्यक्रम पेश किया । कलाकार के विश्रामगृह में हम ने देखा कि तावा अपने साथियों के साथ गीते गाते हुए डांस का अभ्यास करने में संलग्न हैं। लाची किसान चरवाहा कला मंडली के संपादक चाशिवांगला ने परिचय देते हुए कहा:

"हमारी कला मंडली की स्थापना 2006 में हुई थी । इस के बाद हम ने तीसरी अल्पसंख्यक जातीय सांस्कृतिक प्रस्तुति में भाग लिया , इस के बाद 2007 के सीसीटीवी वसंतोत्सव मिलन समारोह में कार्यक्रम पेश करने के लिये हम ने और 50 कलाकारों को अपनी कला मंडली में शामिल कर दिया । आज जो कलाकार आये हैं , उन में अधिकतर पेइचिंग गये थे । इस वर्ष हम ने तिब्बत की शांतिपूर्ण मुक्ति की 60वीं वर्षगांठ की खुशियों में आयोजित सांस्कृतिक महफिल में प्रस्तुतियां भी पेश कीं , कला मंडली के सभी कलाकारों को बड़ा गर्व महसूस हुआ है।"

आज चांगची काऊटी से आये कलाकार कोसानफिंगचो ने अपने साथियों के साथ तागा नामक डांस पेश किया , इस डांस में मकान का निर्माण करने और दूसरे नाना प्रकार वाले काम करने में तिब्बती जनता की मेहनती , कुशल और हर्षोल्लासपूर्ण भावना अभिव्यक्त हुई है । प्रस्तुत कार्यक्रम की तैयारी के दौरान हम ने कोसांगफिंगचो के साथ बातचीत की ।

"क्या तागा नामक डांस में तिब्बती वासियों के मकान बनाने के दृश्य का वर्णन किया गया है , इस डांस की तैयारी में आप को कितना समय लगता है , शिकाजे के अलावा आप प्रस्तुति के लिये और कहां-कहां गये । हम ने इसी तरह कई प्रश्न पेश किये , तो उन्होंने जवाब में कहा कि मकान बनाने का दृश्य ही नहीं , खेती बाड़ी करने का दृश्य भी है , इस डांस की तैयारी में लगभग एक महीने का समय लगा , 2000 वर्ष में हम ने शांगहाई व पेइचिंग में यह प्रोग्राम पेश किया।"

ल्हासा से शिकाजे तक जाने वाले रास्ते पर यालुचांगबू नदी देखने को मिलती है, इस बड़ी नदी ने जीवन से प्यार करने वाले इस पठारीय कलाकारों का पालन पोषण किया । हालांकि उन का जन्म गांवों या चरागाहों में हुआ था , पर नृत्य नाट्य या गीत संगीत से उन की नजरें क्रमशः विस्तृत हो गयीं , साथ ही सीधे सादे व उल्लासपूर्ण टाप डांस की वजह से उन्हें अधिकाधिक व्यापक प्रशंसा भी मिली है । जैसा कि इसी प्रकार वाले टाप डांस सांस्कृतिक सप्ताह ने सांस्कृतिक विरास्तों के संग्रहण व सामाजिक समुदाय में अच्छी भूमिका निभायी है, शिकाजे प्रिफेक्चर की शिक्षा कमेटी के प्रचार प्रसार कार्यालय के जिम्मेदार व्यक्ति ने गर्व के साथ हमारे संवाददाता से कहा:

"इस बार हम ने तिंगरअ, लाची, च्यांगची और खांगमा इन चार कांऊटियों के दो सौ कलाकारों को आमत्रित किया है , वे सब के सब इन चार कांऊटियों के किसान व चरवाहे कलाकार हैं , उन्होंने जो डांस किये हैं, वे सरासर शुद्ध स्थानीय लोकप्रिय लोक नृत्य ही हैं । आज टाप डांस सांस्कृतिक सप्ताह का तीसरा दिन है, पिछले तीन दिनों में कोई तीन हजार से अधिक दर्शक प्रोग्राम देखने आये हैं, लाची व तिंगरअ कांऊटियां संगीत बजाते हुए टाप डांस करने में बड़ी नामी हैं, अब इस डांस ने इन क्षेत्रों में अपनी विशेष पहचान बना ली है।"

बेशक, चाहे कोसान हो या तावा की लोककला मंडली क्यों न हो , वे कला सीखने की कठोरता , नये कार्यक्रमों के सृजन और लोकप्रिय नृत्य नाट्य के संपादन जैसी कठिनाइयों का सामना करते हैं । नृत्यकार त्सरन ने 1975 में चांगची लोक कला मंडली के नेता का भार संभाल लिया , उन्होंने अपना अनुभव बताते हुए कहा:

"हालांकि हमारी तिब्बती जाति में यह कहावत प्रचलित है कि किसी भी व्यक्ति को बोलना आने से गीत गाना जरूर आता है और चलना आने से नाच करना भी आता है , लेकिन नृत्य कला पर महारत हासिल करना फिर भी कोई आसान काम नहीं है । हमारी कला मंडली के अधिकतर सदस्यों ने नियमित व्यवसायिक स्कूलों के स्नातकों के बजाये स्वयं कला कौशल सीखा है, नये प्रोग्रामों का खुद सृजन व अभिनय किया है।"

कला मंडली की प्रस्तुतियों के विषयों की चर्चा में तिब्बती बंधु त्सेरिंग ने कहा:

"हम स्वयं प्रोग्राम बनाते समय स्थानीय किसानों व चरवाहों के पसंदीदा मनोरंजक कार्यक्रमों , जनता के प्रति सरकार की उदार नीतियों और नये खुशहाल गांवों में किसानों व चरवाहों के सुखमय जीवन के प्रचार को बेहद महत्व देते हैं , इस प्रकार की प्रस्तुतियां स्थानीय वासियों में बहुत लोकप्रिय हैं।"

पूरी सुबह की सभी प्रस्तुतियां मुफ्त में पेश की जाती हैं , हालांकि आज छुट्टी का दिन है, पर फिर भी बड़ी तादाद में दर्शक सपरिवारों के साथ सांस्कृतिक कार्यक्रम देखने पार्क में आ गये हैं , साथ ही बहुत ज्यादा दुकानदार भी बडी खुशी के साथ अपना व्यापार करने में व्यस्त हैं । दोपहर 12 बजे पूरी प्रस्तुतियां समाप्त हो गयी हैं , पर दर्शक वापस लौटना भी नहीं चाहते । बड़ी सुंदर प्रस्तुतियों का आनन्द उठाने के साथ-साथ हमारे मन में यह शंका पैदा हुई है कि कार्यक्रमों में कोई फीस न लिये जाने से कला मंडली और कलाकार किस पर आश्रित हुए हैं । इन शंकाओं को लेकर हम ने शिकाजे शिक्षा कमेटी के प्रचार कार्यालय के जिम्मेदार व्यक्ति से पूछा । उन्होंने इस का जवाब देते हुए कहा:

"अब शिकाजे प्रिफेक्चर में लोक संस्कृति की खुदाई पर जोर दिया जाता है , जब खुदाई में प्राप्त लोक संस्कृति के आधार पर तैयार लोकप्रिय नृत्य नाट्य मंच पर प्रदर्शित होता है , तो उसे अभौतिक सांस्कृतिक विरासत की सूची में शामिल करने का आवेदन पेश किया जाता है , सांस्कृतिक विरासत की सूची में शामिल करने पर भी तदनुरुप भौतिक सहायता व समर्थन मिल सकता है , मसलन लाची कांऊटी में लोकप्रिय त्वी श्ये जैसे कलात्मक मुद्दे हमारे शिकाजे में कोई सत्तर अस्सी से अधिक उपलब्ध हुए हैं।"

2005 में चीनी संस्कृति मंत्रालय ने तिब्बत को लगातार तीन करोड़ 25 लाख 80 हजार य्वान की विशेष धन राशि जुटायी है , इसी बीच तिब्बत स्वायत्त प्रदेश की सरकार ने करीब तीन करोड़ य्वान की सहायता भी दे दी , इस विशेष धन राशि का प्रयोग मुख्यतः राज्य व तिब्बत स्वायत्त प्रदेश स्तरीय अभौतिक सांस्कृतिक विरासत की सूची में शामिल मुद्दों की रक्षा व संरक्षण में किया जाता है । राज्य की सहायता और संकल्प से च्यांगची कांऊटी की लोक कला मंडली जैसी दसियों सदस्यों वाली कला मंडलियों को प्रोत्साहन व फायदा मिला है , जिस से तिब्बती लोक नृत्य नाट्य और अन्य विविधतापूर्ण लोक कलात्मक कार्यक्रमों का विकास हो गया है ।

स्वच्छ यालुचांगबू नदी कलकल कर आगे बह जाती है, ऊपर आकाश पर चमकदमक चंद्रमा का उदय हो गया है । गीत के इस बोल की ही तरह हमें विश्वास है कि खूब सूरत यालुचांगबू नदी के दोनों तटों पर लम्बी नदी का डांस थिरकते थिरकते बना रहेगा ।

अच्छा दोस्तो, अभी आपने सीआरआई देशी विदेशी पत्रकारों की तिब्बत-यात्रा वृत्तांत के संदर्भ में एक रिपोर्ट सुनी, शीर्षक है《यालुचांगबू नदी की विशेष तटीय नृत्यकला》। अब श्याओ थांग को आज्ञा दें, नमस्कार।

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