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अंतर्राष्ट्रीय ताओ धर्म मंच में सामंजस्य पर सहमति
2011-10-26 17:35:14

श्रोता दोस्तो , अंतर्राष्ट्रीय ताओ धर्म मंच हाल ही में चीन के हूनान प्रांत के हंग यांग शहर में आयोजित हुआ । जापान , कोरिया गणराज्य , अमरीका , आस्ट्रेलिया , ब्रिटेन और चीन समेत 20 से अधिक देशों व क्षेत्रों से आये पांच सौ से ज्यादा विद्वानों व विशेषज्ञों ने विभिन्न कोणों से ताओ धार्मिक संस्कृति की व्याख्या की और वर्तमान दुनिया व आधुनिक जीवन के प्रति ताओ धार्मिक बुद्धिमत्ता का गहन रुप से रहस्योद्घाटन कर दिया ।   

इस मंच के दौरान चीन ने पहली बार ताओ धर्म पर पश्चिम व पूर्व के बीच उच्च स्तरीय वार्तालाप किया । चीनी राष्ट्रीय जन प्रतिनिधि सभा की स्थायी कमेटी के पूर्व उपाध्यक्ष शू चा लू और विश्व धर्म व पर्यावरण संरक्षण कोष के महा सचिव मार्टिन पालमेर ने अलग अलग तौर पर पूर्व व पश्चिम की ओर से मानव जाति व प्रकृति के सामंजस्यपूर्ण सहअस्तित्व के बारे में ताओ धार्मिक विचारधारा की समीक्षा की ।

ब्रिटिश चीनी भाषा विशेषज्ञ मार्टिन पालमेर ने चीनी परम्परागत संस्कृति पर गहरा अनुसंधान किया है , उन्होंने लाउ ची व च्वांग ची नामक इन दोनों प्रसिद्ध ताओ धार्मिक रचनाओं का अंग्रेजी में अनुवाद कर दिया और बहुत ज्यादा क्षेत्रों में ताओ धार्मिक विचारधारा का प्रचार प्रसार भी किया । उन्होंने इस मंच में ताओ धार्मिक तर्क की चर्चा में कहा कि अब कुछ पश्चिमी लोगों का मानना है कि मानव जाति सब पर हावी करती है , जबकि ताओ धर्म का विचार है कि मानव जाति व प्रकृति के संबंध का समुचित रुप से निपटारा करना अत्यावश्यक है , मानव जाति के लिये प्रकृति की सेवा व वापसी करनी और इन व यांग के बीच का संतुलन बनाये रखना जरुरी है , न कि इन दोनों पक्षों को आमने सामने खड़ा किया जाये , यह विचार सीखने लायक है ।

इधर सालों में प्राकृतिक विपत्तियां उत्पन्न होने के साथ साथ विश्व के जलवायु में बड़ा बदलाव भी आया है , अधिकाधिक लोगों ने मानव जाति व प्रकृति के बीच अंतरविरोध को साफ साफ समझ लिया है , वे प्रकृति के साथ सामंजस्यपूर्ण रुप से सहअस्तित्व रहने , पृथ्वी से प्यार करने व पर्यावरण का संरक्षण करने पर सहमत हुए हैं । जापानी ताओ धर्म संघ की उपाध्यक्षा म्योचो हामाशिमा ने ताओ धर्म के सहअस्तित्व और मानव जाति के भावी विकास पर विचार व्यक्त किया । उन का कहना है आज तक भी मानव जाति अपनी इच्छा के अनुसार प्रकृति के प्रयोग में मनचाही कार्यवाही करते हैं , मानव जाति का पृथ्वी पर हावी करने का विचार गलत है । मानव जाति को अंतरिक्ष और आकाश व धरती समेत प्रकृति का एक अंश होने के नाते उस के साथ मध्यस्थता बिठाना और उस से सीखना चाहिये ।

चीनी ताओ धर्म संघ के उपाध्यक्ष तिंग छांग युन का ध्यान आधुनिक व्यक्तियों के दिल संरक्षण पर केंद्रित है । उन का मानना है हम ताओ धर्म की श्रेष्ठ परम्परागत संस्कृति को प्रदर्शित करने के साथ साथ नैतिक धारणा के प्रचार प्रसार को विशेष महत्व देते हैं , समुदायों की विनम्र व स्वस्थ भावना को बढावा देते हैं , ताकि सामंजस्यपूर्ण समाज के निर्माण के लिये सकारात्मक योगदान किया जा सके ।

ताओ धर्म अंतरिक्ष के सामंजस्य , देश की शांति और प्राण की शांति व सफलता का पक्ष लेता है और पुण्य कार्य करने से सुख व अमन चैन प्राप्त करने पर विश्वसनीय है । ताओ धार्मिक विचारधारा ने पश्चिम के प्रसिद्ध मनोविज्ञान के विशेषज्ञ कार जोन और उन के साथियों को गहन रुप से आकर्षित किया है , उन्होंने एक बिलकुल नयी दृष्टि से ताओ शास्त्र के प्यार व समावेश जैसी विचारधारा मे निहित योगदान की व्याख्या की है और हृदय में घृणा , टक्कर व युद्ध के बीजों को जड़ से काटने की कोशिश की , यह सचेत व विचारशील है ।

चुंगनान विश्वविद्यालय के प्रशासनिक प्रबंध कालेज के प्रोफेसर ल्यी शी छन ने कार जोन के मनोविज्ञान की दृष्टि से डावांडोल , मुठभेड़ों की तीव्रता व युद्ध के दर्ज में बृद्धि जैसी पृथ्वीव्यापी परिस्थिति और ताओ धर्म के विशाल प्यार व साल्वेशन मूल्य पर प्रकाश डाला । उन का विचार है कि किसी दूसरे देश व राष्ट्र की ठोस स्थिति पर परवाह न कर अपने मूल्य या सिद्धांत को एकमात्र सही मापदंड समझने और अपने कुछ माचाहा सिद्धांतों को किसी दूसरे देश या राष्ट्र पर जबरन थोपने से गम्भीर कुपरिणाम उत्पन्न किया जा सकता है ।

तभी अस्तित्व की विशाल बेहतरीन गुंजाइश उपलब्ध होगी , जबकि विभिन्न संस्कृतियां व विभिन्न जातियां एक दूसरे का सम्मान करें, एक दूसरे को समावेश में करें और सामंजस्यपूर्वक सहअस्तित्व रहें। ताओ विद्या की यह विचारधारा एक शांतिपूर्ण सहअस्तित्व की भावना को बढावा देने का रामबाण कही जा सकती है ।

संभ्यता के विकास व सूचनाओं के आदान प्रदान की वजह से पुराने ताओ धर्म का प्रचार प्रसार सारी दुनिया के बहुत ज्यादा देशों व क्षेत्रों में हो गया है । जिन में इंडोनेशिया , मलेशिया और सिंगापुर आदि दक्षिण पूर्वी एशियाई क्षेत्र में ताओ धर्म का प्रचार प्रसार सब से उत्थान पर है ।

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